श्रद्धा सुमन
रमेश प्रसाद पटेल
अपने देश व समाज की, सेवा करना चाहता हूं।
बलिदानी वीरों को श्रद्धा सुमन चढ़ाना चाहता हूं।
सौभाग्य था जो हमने भारत में जन्म लिया,
यहां की धरती का अन्न जल ग्रहण किया।
यहां की धरती का अन्न जल ग्रहण किया।
मातृभूमि की रक्षा खातिर प्राणों को देना चाहता हूं,
बलिदानी वीरों को श्रद्धा सुमन चढ़ाना चाहता हूं।
समाज में फैले यह अंधविश्वास हटाऊँगा,
संकल्प किया है सभ्य समाज बनाऊंगा।
संकल्प किया है सभ्य समाज बनाऊंगा।
कांटे बिछाए हैं यहां पर, फूल बरसाना चाहता हूं।
बलिदानी वीरों को श्रद्धा सुमन चढ़ाना चाहता हूं।
दीन-दुखियों के साथ हो रहे अन्याय रोकूंगा, उ
नकी सहायता के लिए भारी कष्ट सहूँगा।
नकी सहायता के लिए भारी कष्ट सहूँगा।
दुखियों की आंखों से बहते आंसू पोछना चाहता हूं,
बलिदानी वीरों को श्रद्धा सुमन चढ़ाना चाहता हूं।
एकता का दीपक सब मिलकर जलाएंगे,
नया सवेरा नया उजाला भारत में लाएंगे।
नया सवेरा नया उजाला भारत में लाएंगे।
भारत मां की सेवा में सर्वस्व लुटाना चाहता हूं,
बलिदानी वीरों को श्रद्धा सुमन चढ़ाना चाहता हूं।
रचना:रमेश प्रसाद पटेल, माध्यमिक शिक्षक
रचना:रमेश प्रसाद पटेल, माध्यमिक शिक्षक
पुरैना, ब्योहारी जिला शहडोल (मध्यप्रदेश)
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