शनिवार, फ़रवरी 18, 2023

तनावमुक्त जीवन कैसे जियें?

तनावमुक्त जीवन कैसेजियें?

तनावमुक्त जीवन आज हर किसी का सपना बनकर रह गया है. आज हर कोई अपने जीवन का ऐसा विकास चाहता है जिसमें उसे कम से कम तनाव का सामना करना पड़े. आज हर किसी के सामने यह प्रश्न है कि तनावमुक्त जीवन कैसे जियें?

तनावमुक्त जीवन जीने के लिए जरूरी है कि हम अपने जीवन का उचित प्रबंधन करें. सही समय पर सही निर्णय लें. अपने जीवन शैली को समयानुकूल बदलते रहें. अपने कर्तव्यों का उचित निर्वहन करें.  लोगों के साथ उचित भावनात्मक सम्बन्ध बनाकर रखें. जीवन निर्वाह के लिए उचित रोजगार चुनें और भविष्य के लिए कुछ योजनाएं सुरक्षित रखें.

तनावमुक्त जीवन की कल्पना अपने आप में कभी न सुलझने वाली पहेली है. क्योंकि किसी का भी जीवन पूर्णतः तनावमुक्त नहीं होता. जीवन में तनाव का होना केवल समस्याओं के होने अथवा न होने से जुडी हुयी बात नहीं है बल्कि जीवन का तनाव समस्या की प्रकृति और उसके प्रति हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर है. और यही तनावमुक्त जीवन की कुंजी भी है. हम समस्या की प्रकृति को पहचानकर और उसके प्रति अपने दृष्टिकोण में बदलाव करके तनाव का उचित प्रबंधन कर सकते हैं. अतः मूल सवाल कि तनावमुक्त जीवन कैसे जिएं को एक दूसरे प्रश्न से प्रतिस्थापित कर सकते हैं और वह प्रश्न यह है कि हम अपने जीवन के तनाव का प्रबंधन कैसे करें?

क्या हम इस आलेख को इस प्रश्न से आगे बढ़ा सकते हैं कि हमें तनाव क्यों होता है? निश्चित रूप से  इस प्रश्न का उत्तर हर किसी के लिए एक-सा नहीं होगा. सबसे पहले यह पहचानने की जरूरत है कि हमें तनाव क्यों होता है? अथवा इस बात की भी खोज की जा सकती है कि किन परिस्थितियों में हमें अधिक तनाव होता है. एक बार तनाव के क्षेत्र की पहचान होने पर हम आसानी से तनाव का प्रबंधन कर सकते हैं.

जब भी हम तनाव के प्रबंधन की बात करेंगे तो एक बात बहुत सामान्य होगी और वह यह है कि उस काम का अथवा उस तरीके का जिससे तनाव पैदा होता है, उसका कोई दूसरा विकल्प मौजूद है या नहीं? और यह संसार इतना अद्भुत है कि दूसरा तरीका होता ही है. सबसे मजेदार बात यह भी है कि यदि हम स्वयं अन्य विकल्पों के बारे में विचार नहीं करें तो भी समय और परिस्थिति के बदलते ही अन्य विकल्प स्वतः ही उभर आते हैं. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जिस समस्या का समाधान बहुत मुश्किल दिखाई पड़ता था, उसका बहुत आसान समाधान निकल आता है. किन्तु हमें हमारी जरूरत के मुताबिक समाधान चाहिए और इसके लिए जरूरी है कि हम स्वतः ही अन्य विकल्पों की तलाश करें.

मुस्कुराने का नाटक करें. हाँ, यह बेहूदा लगता है कि हमें कोई नाटक करने के लिए कह रहा है. परन्तु यह सच है कि हमारा जीवन नाटकों से भरा है. नाटक क्या है? पर्दे के सामने लगातार घटनाओं का और घटना के अनुसार लोगों की भाव-भंगिमा का बदल जाना ही तो नाटक है. क्या हर रोज हम यही नहीं करते? हाँ, हमारा वह नाटक बाकी लोगों के साथ एकरूप हो गया है इसलिए अलग समझ नहीं आता और इसलिए हम उसे नाटक कहलवाना पसंद नहीं करते. मुस्कुराना जबकि हम बहुत तनाव में हों, तनाव से बाहर निकल आने का एक तात्कालिक उपाय है.

अपनी ड्यूटी निभाएं. सही समय पर काम का निष्पादन नहीं करने से जिन्दगी में परेशानियाँ बढ़ जाती हैं. हम मानव हैं. अन्य लोगों के प्रति हमारी कुछ जिम्मेदारियां हैं. उनका समय पर निर्वहन नहीं करने से हमारे अवचेतन में द्वंद्व पैदा होता है. हमारा मन बार-बार हमें हमारी जिम्मेदारियों का स्मरण कराता है और जिम्मेदारियों की तुलना में हमारे किए गए कार्य का मूल्यांकन करके मौजूद अंतर का हमें आभास कराता है. इसका आभास ही हमारे तनाव का कारण बन जाता है. अतः समय रहते अपनी जिम्मेदारियों को पहचानें और उसका निर्वहन करने में आरम्भ से ही तत्परता दिखाएँ. अक्सर कई लोगों से यह सुना जाता है कि हमने अपनी जिम्मेदारी निभा दी अब आगे उसकी मर्जी! या ऊपर वाले की मर्जी! इस उदाहरण से यह स्पष्ट होता है कि जिम्मेदारी के निर्वहन उपरांत एक प्रकार का मानसिक सांत्वना स्वयं को मिलता है और यद्यपि अपेक्षित सफलता न मिले फिर भी मन में कोई क्षोभ नहीं रहता.

हर अच्छी चीज का कुछ हिस्सा अपने पास बचाकर रखें. कहने का तात्पर्य यह है कि जब बहुत धन हो तो उसे बहुत समझकर उड़ा न दें. बहुत समय हो तो उसे व्यर्थ न गवां दें. धन का भी और समय का भी सदुपयोग करना चाहिए और आने वाले समय के लिए कुछ हिस्सा बचाकर रखना चाहिए. धन का उचित निवेश और समय के साथ कुछ न कुछ सीखते रहने की ललक विपरीत परिस्थितियों में बहुत काम आते हैं. इसी प्रकार हमारे शारीरिक स्वास्थ्य का भी मामला है. शरीर स्वस्थ हो तो जानबूझकर उसे खराब करने वाली गतिविधियों में लगाकर अथवा आलस्य में बर्बाद नहीं करना चाहिए. अन्य लोगों के साथ हमारे मेल जोल बढ़ जाएँ, बहुत सारे साथी बन जाएँ तो इस वजह से जान-बूझकर अपने लोगों के साथ रिश्तों को खराब नहीं करना चाहिए. बल्कि सबके साथ रिश्तों को सम्हालकर रखना चाहिए. यदि इन नियमों का पालन करें तो जीवन में अपेक्षाकृत कम तनाव का सामना करना पड़ेगा.

हमारा मस्तिष्क चित्रों में बहुत रूचि लेता है. उन्हें ठीक तरह से पहचानकर स्मरण रखता है. ऐसा कहा जाता है कि किसी पदार्थ के अन्य लक्षणों को हमारा मस्तिष्क चित्रों के साथ जोड़कर देखने की कोशिश करता है. जब भी हमारे मन में किसी विषय को लेकर कोई तनाव होता है तो तनाव से जुड़े लोगों या चीजों के चित्र मस्तिष्क में बार-बार उभरते  हैं. अतः तनाव की स्थिति में हमें स्वयं ही इन चित्रों को अन्य चित्रों से बदलने की कोशिश करनी चाहिए. ऐसा कैसे होगा? हमें एकांतवास से बाहर निकलकर ऐसी  भीड़ में शामिल होना चाहिए जहाँ हमें समझने वाले लोग हों. जिनके साथ हमारा मेल-जोल हो. हमारे आँखों के सामने दृश्य बदलते ही कुछ न कुछ पूर्व के चित्र बदलेंगे और तनाव को कम करने में मदद मिलेगी.

अपने शौक भुला न दें. हरेक के जीवन के कुछ शौक होते हैं. वास्तव में यही शौक इंसान को जिन्दादिल बनाये रखते हैं. अपने शौक को भुलाकर आप अपने जीवन को कैसे बेहतर बना सकते हैं? क्योंकि शौक इंसान की वह पहली पसंद है जो उसके ह्रदय और उसकी भावना के सर्वाधिक निकट होती है. यदि कोई आपके लिए अपने शौक को छोड़ने की बात कहे तो आप हरगिज उसे ऐसा न करने दें क्योंकि उसके शौक के मरते ही इंसान भी मर जायेगा. फिर ऐसा मरा हुआ इंसान आपके किस काम आयेगा? अपने शौक पर ध्यान दें और उसे पूरा करें.

पूरा संसार प्रबंधन पर टिका हुआ है. प्रकृति स्वसंचालित प्रबंधन के आधार पर काम करती है. एक घटक के बदलते ही दूसरे घटक बदल जाते हैं. हमारे शरीर की आकारिकी और कार्यिकी प्रकृति के प्रबंधन का ही हिस्सा हैं. हमारे मन की प्रतिक्रियाएं और हमारे विचार हमारे पूर्व के अनुभव से शोधित होकर आकार  लेते हैं. लेकिन वे सब स्वचालित अवस्था में आ गये हैं और हमारा मस्तिष्क उन पर ध्यान नहीं देता. तनाव का उचित प्रबंधन करने के लिए जरूरी है कि अपने मस्तिष्क में बन रहे विचारों पर ध्यान दें और यदि वे तनाव की स्थिति पैदा करते हैं तो उन्हें दूसरे तरीके से विचार करने के लिए प्रेरित करें, इसमें कुछ गलत नहीं है.

यदि कोशिश की जाए तो जीवन तनावमुक्त हो सकता है. यदि ऐसा संभव न भी हो पाए तो तनाव को कम से कम किया जा सकता है. बस इसके लिए स्वयं के पहल करने की जरूरत है. एक बार यह समझ आ जाये कि तानव का प्रबंधन किया जा सकता है तो आप इसके लिए पहल करना नहीं छोड़ेंगे. आशा है कुछ हद तक इस प्रश्न का हल मिल गया होगा कि हम तनावमुक्त जीवन कैसे जिएं!  

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शुक्रवार, फ़रवरी 17, 2023

बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कैसे करें

बोर्ड की परीक्षाओं के आरम्भ होते ही विद्यार्थी और उनके अभिभावकों की चिंताएं बढ़ जाती हैं. सबके मन में यही प्रश्न होता है कि बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कैसे करें? बोर्ड परीक्षा परिणाम पर हमारे पड़ोसी, रिश्तेदार और हमारे परिचितों की नजर रहती है. इसलिए इसे प्रतिष्ठा की दृष्टि से भी देखा जाता है और उच्च शिक्षा पर भी  बोर्ड परीक्षा के परिणाम असर डालते हैं इसलिए बोर्ड परीक्षा परिणाम का अपना महत्व है. बोर्ड परीक्षा के समय विद्यार्थियों और अभिभावकों के मन में कुछ इस तरह के प्रश्न आते हैं

1.      बोर्ड परीक्षा मेंशत-प्रतिशत प्रश्नों के उत्तर कैसे तैयार करें?

2.      बोर्ड परीक्षा की तैयारी केलिए प्रश्नों का दोहराव कैसे करें?

3.      बोर्ड परीक्षा के समय तनाव से कैसे बचें?

4.      बोर्ड परीक्षा के समय, समयका प्रबंधन कैसे करें?

5.      बोर्ड परीक्षा के समय अपनेखानपान का ख्याल कैसे रखें?

6.      बोर्ड परीक्षा में निर्धारित समयावधि में सभी प्रश्नों को कैसे हल करें?

उपरोक्त प्रश्नों के आतिरिक्त भी कुछ प्रश्न मन में आते हैं किन्तु सभी प्रशों का सार यही है कि कम समय में बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे करें ताकि अच्छे अंक हासिल हो सकें. आइए बिन्दुवार इन प्रश्नों का उत्तर जानने की कोशिश करते हैं.

बोर्ड परीक्षा में शत-प्रतिशत प्रश्नों के उत्तर कैसे तैयारकरें?

बोर्ड परीक्षा में शत-प्रतिशत प्रश्नों के उत्तर तभी दिए जा सकते हैं जब सत्र के आरम्भ से ही बेहतर तैयारी की गयी हो. ठीक तरह से अध्ययन किया गया हो, समय-समय पर नोट्स बनाये गए हों और उनका लगातार रिवीजन किया गया हो. फिर भी यदि थोड़ी-बहुत पढने में चूक हो गयी हो तो घबराने की बात नहीं है, परीक्षा के लिए अभी जितना समय बचा है उसका सदुपयोग किया जाए तो बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक हासिल हो सकते हैं.

जब सत्र आरम्भ होता है तभी से नोट्स बनाना आरम्भ कर देना चाहिए और जो प्रश्न अच्छी तरह तैयार हो गये हों उनका भी बीच-बीच में अवश्य रिवीजन करते रहना चाहिए अन्यथा अधिक समय बीत जाने पर तैयार प्रश्न भी भूल जाते हैं. इसके लिए एक तकनीक का सुझाव देना चाहूंगा. जब भी पहली बार आप कोई प्रश्न तैयार करें तो उसमें तारीख लिख दें. ताकि आपको ध्यान रहे कि इसका रिवीजन कब करना है. फिर जब रिवीजन करें तो फिर तारीख लिख दें. ऐसा हर रिवीजन पर करें. शुरुआत के  रिवीजन जल्दी करें, फिर चार –छः रिवीजन के बाद यदि थोड़े अंतराल में भी रिवीजन करेंगे तो चल जायेगा.

सभी प्रकार के प्रशों का अभ्यास आरम्भ से ही करें:

प्रश्नों की तैयारी करते समय विद्यार्थी किस प्रकार की गलतियाँ करते हैं, इस पर ध्यान देना जरूरी है. प्रायः विद्यार्थी आरम्भ में सभी प्रकार के प्रश्नों का अभ्यास नहीं करते. वे विकल्पीय प्रश्न, सत्य/असत्य, रिक्त स्थान, सही-जोड़ी जैसे वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की परीक्षा के समय ही तैयारी करते हैं. यह सही तरीका नहीं है. सभी प्रकार के प्रश्नों की तैयारी विद्यार्थियों को आरम्भ से ही करना चाहिए. इससे अध्ययन किये गए पाठ का कांसेप्ट क्लियर हो जाता है और यदि मन में कोई डाउट है तो शिक्षकों की मदद भी ली जा सकती है. चूंकि वे भी पाठ पढ़ाते समय पाठ से जुड़े रहते हैं अतः सही तरीके से डाउट को हल करा पायेंगे और आपका परीक्षा के समय बोझ भी नहीं बनेगा.

ठीक तरह से नहीं पढ़ पायें हैं तो क्या करें?

इसके लिए आप उन प्रश्नों पर अधिक ध्यान दें जिन प्रश्नों को आसानी से और जल्दी तैयार कर सकते हैं. जो प्रश्न बहुत कठिन लग रहे हैं, उनके उत्तरों का रट्टा मारना छोड़ दें और उनके मुख्य बातों को समझने पर जोर दें. ऐसा सोचें कि यदि यह प्रश्न परीक्षा में आ जाए तो इसकी मुख्य कौन सी बातें हैं जिनका उल्लेख करके उत्तर तैयार किया जा सकता है.

यदि आप ठीक तरीके से नहीं पढ़ पायें हैं तो

1.      विगत वर्ष के प्रश्नपत्र एकत्र कर लें. उनमें से ऐसे प्रश्नों के उत्तर तो तैयार कर ही लें जो अन्य प्रश्नों की अपेक्षा सरल व याद करने में आसान हों.

2.      ऐसे प्रश्न चिन्हित कर लें जिनके उत्तर समझकर लिखे जा सकते हैं. उन प्रश्नों के उत्तर याद करने के बजाय समझने पर जोर दें.

3.      बड़े उत्तरों के सबसे पहले पॉइंट्स याद करें. पॉइंट्स याद हो जाने के बाद उनके डिटेल को समझने और डिटेल के मुख्य तथ्यों को याद करके स्वयं ही उत्तर तैयार करने की कोशिश करें.

4.      धैर्य रखें. लगातार तैयार हुए प्रश्नोंत्तरों की संख्या बढाते रहें. यह ना सोचें कि एक या दो उत्तर तैयार करने से क्या हो जायेगा. जैसे-जैसे तैयार उत्तरों की संख्या बढती जाएगी , वैसे-वैसे आपका आत्मविश्वास बढ़ता जायेगा और अधिक स्पीड से आप तैयारी कर पाएंगे.

5.      चिंतामुक्त रहें. जो समय बीत गया, उसके बारे में बार-बार सोचकर परेशान न हों. जो समय शेष है, उसमें जितनी अधिक तैयारी हो सकती है, वह करते रहें.

6.      यदि विद्यालय जा रहे हों और वहां कोई कालखंड खाली मिले तो उसका भी सदुपयोग करें. यदि कुछ नोट्स बनाने की जरूरत हो तो ऐसे खाली कालखंड का उपयोग करें. इससे घर में प्रश्नों के उत्तर तैयार करने का समय मिल जाएगा.

7.      शांत रहें. इससे आपकी मानसिक क्षमता बनी रहेगी. पर्याप्त नींद और ठीक तरह से भोजन लें. समय- समय पर पानी पियें. उत्साह बनाकर रखें.

8.      फोकस बनाकर रखें. अपने मन को व्यर्थ की चिंता में न उलझाएँ. इस समय कुछ दिनों के लिए पारिवारिक और सामाजिक गतिविधियों जैसे शादी-ब्याह/ पार्टी आदि में अधिक न उलझाएं.

समय कहीं और से लाया नहीं जा सकता किन्तु जो समय उपलब्ध है, उसका सही उपयोग करके कुछ हद तक उसकी भरपाई की जा सकती है. वही करने की कोशिश करें.   

बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए प्रश्नोंत्तर का दोहरावकैसे करें

परीक्षा में प्रशोंत्तर का दोहराव बहुत जरूरी होता है. इसके लिए विद्यार्थी दो तरह की टेक्निक अपना सकते हैं.

1)      तैयार प्रश्नों की अलग कॉपी बनाना- अच्छी तरह तैयार किया हुआ प्रश्न यदि दोहराने की कमी के कारण भूल जाये तो बहुत अफ़सोस होता है. इससे बचने के लिए कुछ विद्यार्थी तैयार प्रश्नों की एक अलग पुस्तिका बना लेते हैं. इससे उन्हें मालूम होता है कि किन प्रश्नों का रिवीजन करना आवश्यक है.

2)      तैयार प्रश्नों पर तारीख अंकित करना- अलग से प्रश्न-पुस्तिका तैयार न करना पड़े इसके लिए कुछ विद्यार्थी तैयार प्रश्न के आसपास वह तारीख लिखते जाते हैं जब-जब वह इन प्रश्नों को तैयार अथवा रिवीजन करते हैं. इससे उन्हें याद रहता है कि आगामी बार कब किस प्रश्न का दोहराव करना है. यह तरीका वाकई बहुत कारगर है.

बोर्ड परीक्षा के समय तनाव से कैसे बचें?

बोर्ड परीक्षा के समय केवल पढाई के तनाव से ही नहीं अन्य सभी प्रकार के तनावों से मुक्त रहने की जरूरत होती है. क्योंकि विद्यार्थी के वर्षभर के मेहनत पर सिर्फ किसी तात्कालिक कारण से पानी फिर जाए तो विद्यार्थी को जीवनभर अफ़सोस रहता है. यह ध्यान रखें कि पढाई का जो भी परिणाम आएगा वह आपके ही जीवन को प्रभावित करेगा, और किसी के जीवन को नहीं. इसलिए समझदार और होशियार रहते हुए काम करें और हर प्रकार के तनाव से दूर रहें.

1)      यदि पढाई के कारण कोई काम भूल जाते हैं तो कामों की लिखित सूची बना लें और पढाई खत्म कर उसे पूरा कर लें.

2)      मन में कोई बात बार-बार आये तो अपने माता-पिता अथवा भाई-बहन से साझा कर लें. क्योंकि वही बात मन में बार-बार आती है जिसका समाधान हमारा दिमाग नहीं ढूढ़ पाता. हो सकता है बात साझा करने से आपके मन की शंका दूर हो जाए.

3)      फोकस होकर पढाई करें किन्तु खुद पर उसे हावी न होने दें. सहज बने रहें. गुमसुम न रहें. थोडा-बहुत वक़्त निकालकर अपने माता-पिता या भाई-बहन के साथ खुलकर हँसे-बोलें. इससे एक झटके में ही सारा तनाव गायब हो जाएगा.

4)      माता-पिता अथवा अभिभावक परीक्षा के समय कड़े अनुशासन की अपेक्षा रखते ही हैं. अतः इसे अनावश्यक तूल न दें और न झल्लाएं. जितना हो सकता है अपनी तैयारी करते रहें.

बोर्ड परीक्षा के समय, समय का प्रबंधन कैसे करें

वैसे तो हमेशा ही समय के बेहतर प्रबंधन की जरूरत होती है किन्तु परीक्षा के समय इसका महत्व अधिक होता है. परीक्षा के समय समय प्रबंधन की दृष्टि से निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-

1.      यदि आप अपने पास मोबाईल फोन रखते हैं तो उसे स्वयं से दूर रखने की आदत डाल लें ताकि अनावश्यक नोटिफिकेशन से आपका ध्यान भंग न हो.

2.      यह ध्यान रखें कि प्रतिदिन सभी विषयों का अध्ययन या दोहराव करें. विषय की मांग के अनुसार समय कम/अधिक कर सकते हैं.

3.      टाले जा सकने वाले समारोहों को टालें.

4.      पूरी नींद लें. इसके लिए जरूरी है कि सही समय पर जागना-सोना करें.

5.      दैनिक गतिविधियों का समय चक्र बना लें और उसका पालन करें.

बोर्ड परीक्षा केसमय अपने खानपान का ख्याल कैसे रखें

कहा गया है स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है. हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य हमारे भोजन पर निर्भर करता है. अतः यह ध्यान दिलाना उचित होगा कि विद्यार्थियों को किस प्रकार के खानपान को अपनाने की जरूरत है-

1.      परीक्षा के समय बाहरी खानपान से परहेज रखें तो अच्छा होगा. खानपान की वजह से स्वास्थ्य पर विपरीत असर सालभर के मेहनत पर पानी फेर सकता है.

2.      पेट को ख़राब करने वाला या अधिक गरिष्ठ भोजन करने से बचें. ऐसे भोजन से बचना चाहिए जो आलस्य को बढ़ाते हैं.

3.      पढाई में अधिक फोकस करने वाले विद्यार्थी अक्सर पर्याप्त पानी लेना भूल जाते हैं जबकि मस्तिष्क को सही तरीके से काम करने के लिए समय-समय पर उचित मात्रा में पानी चाहिए होता है. अतः ध्यान देकर समय-समय पर पानी पीते रहें.

 

बोर्ड परीक्षा में निर्धारित समयावधि में सभी प्रश्नों को कैसे हल करें

परीक्षा कक्ष ही वह स्थल होता है जहाँ विद्यार्थी अपने अर्जित ज्ञान का प्रदर्शन कर उत्तरपुस्तिका में उत्तरों के रूप में अंकित करता है. कई बार केवल ज्ञान के कारण नहीं बल्कि परीक्षा के दौरान लिए गये निर्णय और अपनाई गयी रणनीति के कारण उसके वार्षिक परीक्षा परिणाम प्रभावित हो जाते हैं. इसलिए कुछ बिन्दुओं पर ध्यान देना आवश्यक है-

1.      प्रवेश पत्र उपयोग के बाद ड्राइंग बॉक्स में रख लें. इससे उसे बार-बार सम्हालने में समय खर्च नहीं होगा.

2.      उत्तरपुस्तिका में अनुक्रमांक आदि की प्रविष्टियां ठीक तरह से करें. इसके लिए अनुक्रमांक का अंकों एवं शब्दों में लिखने का अभ्यास पहले से अवश्य कर लें.

3.      परीक्षा हाल में प्रश्नपत्र को लेकर सहज रहें. जो प्रश्न प्रश्नपत्र के रूप में मिलेंगे वह बहुत पहले से मुद्रित हो चुके होते हैं. आपके घबराने या हडबडाने से उसमें कुछ होने वाला नहीं है. कक्ष में पहुँचने के बाद शुरूआती समय में अपने साँसों पर ध्यान दें और ठीक तरह सांस लें.

4.      प्रश्नपत्र के निर्देशों को ध्यान पूर्वक पढ़ लें. यदि एक बार निर्देशों को ठीक तरह पढ़ लिया तो वह आगे आपका बहुत समय बचा सकते हैं और गलतियाँ भी नहीं होंगी.

5.      प्रश्नपत्र को हल करना आरम्भ करने से पूर्व एक बार सभी प्रश्नों को इत्मीनान के साथ पढ़ अवश्य लें. इससे आपके दिमाग में प्रश्न हल करने का एक आईडिया बन जायेगा.

6.      यथासंभव एक प्रश्न के उपप्रश्नों को एक साथ हल करें. जैसे यदि वस्तुनिष्ठ प्रश्नों में बहुविकल्पीय प्रश्न हल कर रहे हैं तो सभी विकल्पीय प्रश्नों को एक साथ हल करें.

7.      सबसे पहले आसान प्रश्नों के उत्तर हल करें. इससे कठिन प्रश्नों को हल करने के लिए सोचने का आपको वक़्त मिल जायेगा.

8.      अपने आप में यह हिसाब करते चलें कि आपको किस प्रश्न पर कितना समय देना है. कुछ प्रश्नों के उत्तर हल हो जाने के बाद एक अनुमान लगा लें कि अभी आपके पास कितना समय है और कितने प्रश्न हल करना शेष है. इससे जरूरत के अनुसार आप लिखने की स्पीड बढ़ा सकते हैं.

9.      उत्तरपुस्तिका के दोनों और उचित अनुपात में हाशिया छोड़ें. इससे उत्तर आकर्षक दिखता है जो परीक्षक पर सकारात्मक प्रभाव डालता है.

10.   प्रश्नोत्तर क्रमांक को अंडरलाइन कर दें और पहले दिए गए उत्तरों की पंक्ति से थोड़ी दूरी बनाते हुए उत्तर अंकित करें.

11.   यदि किसी प्रश्न का उत्तर बिन्दुओं में है तो उसके सभी बिन्दुओं के डिटेल दिए गए निर्धारित शब्द  सीमा में लिखे गये हों. कई बार पूर्व में तैयार उत्तर से भिन्न प्रकार से प्रश्न पूछ लिया जाता है, अतः प्रश्न की मांग के अनुसार उत्तरों को संक्षिप्त में अथवा दीर्घ उत्तर में बदलकर लिखें.

12.   एक बार ठीक तरह से बन रहे प्रश्नों के उत्तर लिखे जाने के बाद उन प्रश्नों के उत्तर भी लिख दें जिनके उत्तर ठीक तरह से नहीं जानते किन्तु प्रश्न के अनुसार अपनी और से जितना बेहतर हो सकता है उतना अपनी ओर से बेहतर उत्तर लिख दें.

13.   परीक्षा कक्ष प्रभारी को उत्तरपुस्तिका सौंपने से पूर्व एक बार अनुक्रमांक सहित समस्त उत्तरों को देख और मिला लें.

परिश्रम का कोई शार्टकट नहीं होता. यहाँ यह बताने की कोशिश की गयी है कि परीक्षा के समय किस प्रकार समय का उचित प्रबंधन करके उच्चतम अंक प्राप्त किये जाएँ. आशा है कि बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कैसे करें इस प्रश्न का कुछ हद तक उत्तर मिल गया होगा. यदि आपके मन में अभी भी कोई प्रश्न है तो कमेन्ट बॉक्स में अपना प्रश्न अवश्य लिखें.  

 

 

 

 

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हम हमेशा मोटिवेशन में कैसे रह सकते हैं?

हम हमेशा मोटिवेशन में कैसे रह सकते हैं?

दैनिक जीवन में हम एक सामान्य प्रश्न का सामना करते हैं कि हम हमेशा प्रेरित कैसे हो सकते हैं।  यदि हम उन प्रश्नों के उत्तर को देखने का प्रयास कर रहे हैं, तो हमें यह जानने की आवश्यकता है कि अभिप्रेरणा क्या है।  प्रेरणा को हम अपने मन की स्थिति के रूप में परिभाषित कर सकते हैं जब हम बिना थके काम करने के लिए तैयार होते हैं।  इसे हमारे दिमाग की स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जब हम काम करने के लिए सहमत होते हैं और उसी समय काम का आनंद लेते हैं।

दैनिक दिनचर्या में हमें लगता है कि हमारा मूड हमें खुशी से काम करने की अनुमति नहीं देता है।  हम भी उस कार्य के महत्व और लाभ को जानते हैं लेकिन हम अपने आप को हमेशा के लिए तैयार नहीं रख पाते हैं।  हमें उन कारकों को खोजने की जरूरत है जो हमारे निरंतर टूट गए हैं।

आपने एक बात नोटिस की है कि हर व्यक्ति किसी काम को बहुत ही उत्सुकता से शुरू करता है।  उन्होंने अपनी ऊर्जा वहां लगा दी।  लेकिन कुछ समय बाद धीरे-धीरे वह काम की गति को धीमा कर देता है और कई बार काम बंद कर देता है।  ये चीजें क्यों होती हैं?  कई facotr शामिल हैं।
1. एक उस काम के निष्कर्षों की अति उत्सुकता है।  जब हम अति उत्सुक होते हैं, और बेहतर परिणाम नहीं पाते हैं तो हम उस काम को दोष देते हैं जो उचित नहीं है और हम उस काम को छोड़ना चाहते हैं।  इस हालत में हमें अपने काम के उच्च और निम्न निष्कर्षों की गणना करने की जरूरत है।  शुरुआत में हमें न्यूनतम निष्कर्षों की गणना करनी चाहिए और उनके साथ हमें काम जारी रखना चाहिए था।
2. दूसरा फैक्टर ये सवाल है कि लोग क्या कहेंगे.  एक बार जब आप काम शुरू कर देंगे तो यह मत सोचिए कि लोग क्या कहेंगे।
3. तीसरा कारक यह है कि नकारात्मक बिंदु जिन्हें हमने पहले नहीं गिना होगा, और जब वे उत्पन्न होते हैं तो हमारे मूड में शामिल नहीं होते हैं।  नकारात्मक परिणाम का डर हमारे मन को दुगुनी तिगुनी ताकत से काम रोकने का संदेश देता है।  इस स्थिति में हमें यह सोचने की जरूरत है कि इस दुनिया में कोई भी काम बिना ब्लैक एंड व्हाइट के नहीं है।  इसलिए एक बार सोच-समझकर काम को नहीं रोकना चाहिए।  यदि कोई नकारात्मक कारक उत्पन्न करता है, तो उस कार्य का सकारात्मक पहलू उत्पन्न होता है। इन बिंदुओं को लिखना बहुत अच्छा है।  यह आपको काम के सभी कारकों की कल्पना करने में मदद करेगा।
4. चौथा कारक जो बहुत महत्वपूर्ण है वह है हमारे शरीर की शारीरिक स्थिति।  जब हम बेहतर महसूस नहीं करते क्योंकि हमारा मन हमें संघर्ष छोड़ने के लिए दबाव डालता है।  ऐसे में बेहतर होगा कि आत्मनिरीक्षण में काम दूसरे को सौंप दें।
5. पांचवां महत्वपूर्ण कारक है अनावश्यक कार्य की भावना।  जब हमने काम का कारण नहीं देखा तो हम लगातार काम नहीं कर सकते।  यदि आप अपने दिल से लगातार काम करना चाहते हैं तो ऐसे काम का क्यों देखें। हमेशा अपने क्यों को मजबूत रखें?
6. किसी भी काम को लेकर डिमोटिवेशन के लिए रिकॉर्डलेस काम एक अतिरिक्त कारक है।  हमारा दिमाग दृश्यों को बेहतर तरीके से पढ़ता है अन्यथा आवाजें और आदि। इसलिए आप ग्राफिक्स, चार्ट्स, काउंटिंग आदि जैसे विजुअल्स में काम का रिकॉर्ड रखें।  इससे मन हमेशा प्रेरित महसूस करता है।
7. सातवाँ कारक जो बहुत ही महत्वपूर्ण है वह है एक बड़ा लक्ष्य रखना।  जब आप एक बड़ा लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो मन कठिनाई महसूस करता है और यह भावना शरीर और मन को नकारात्मक संदेश भेजती है।  इसलिए बड़े लक्ष्य को कुछ छोटे लक्ष्यों में तोड़ दें।  इसका मतलब है कि आपको काम पूरा होने का कोई संदेश भेजना है।
8. आठवां समान महत्वपूर्ण कारक यह है कि अपने तन और मन को तरह-तरह के काम देना कभी न भूलें।  लंबे समय तक एक ही गतिविधि में रहने से शरीर और मन आपको स्थिति बदलने के लिए कहते हैं।  जब आप इस मांग की उपेक्षा करते हैं तो मन दुखी होता है।  इसलिए अपने महत्वपूर्ण कार्य के मध्य में आपको अपने कार्य की स्थिति में परिवर्तन करने की आवश्यकता है ताकि आप कार्य और गतिविधियों की विविधता को महसूस कर सकें।
9. अपने शौक को न भूलें।  शौक ऐसी गतिविधियाँ हैं जो हमारे दिल को संतुष्ट करती हैं।  इसलिए अपने शौक को पूरा करना न भूलें।
10. सामाजिक गतिविधियों में भाग लें और जितना हो सके अपना बेहतर योगदान दें।  सामाजिक गतिविधियों से लोगों से मिलने और उन्हें समझने का मौका मिलता है।  जब आप प्रत्येक प्रकार के लोगों से मिलते हैं तो आप मानवीय समस्याओं को बेहतर ढंग से समझते हैं।  आपकी समस्या अद्वितीय नहीं रहती है।  इस तरह आप समझते हैं कि आप केवल कतार में खड़े व्यक्ति नहीं हैं।  सामाजिक गतिविधियाँ आपको मानव मनोविज्ञान को समझने का मौका देती हैं और इस तरह आप मानव व्यवहार को समझ सकते हैं।  इससे लोगों को समझने में मदद मिलेगी और आप इंसानों के बारे में बेहतर निर्णय ले सकेंगे।

मुझे उम्मीद है कि यह लेख इस प्रश्न को हल करता है कि हम हमेशा कैसे प्रेरित हो सकते हैं।

हम बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे करें?

हम बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे कर सकते हैं?

आजकल छात्रों को वहां बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी की जा रही है, इसलिए इस समय में सबसे अधिक बार पूछे जाने वाले प्रश्न यह हैं कि हम बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे कर सकते हैं।  कई छात्र वहां परीक्षा के बारे में चिंतित हैं और वे परीक्षा के बारे में तनाव में हैं।  यहां हम परीक्षा की तैयारी के बारे में कुछ सुझाव दे सकते हैं।

अगर छात्र ने अपना कोर्स अच्छे से पूरा किया है, तो चिंता की कोई बात नहीं है।  लेकिन अगर किसी छात्र ने अपना कोर्स अच्छी तरह से पूरा नहीं किया है, तो उसे ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।

परीक्षा की तैयारी के बारे में यहां कुछ विषय दिए गए हैं:-
1. सबसे पहले उन प्रश्नों पर ध्यान दें जो आपने पूरे कर लिए हैं।  इस तरह आपका कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ा हुआ रहेगा।
2. यदि आपने अधिक बेहतर तैयारी नहीं की है तो आपको उन प्रश्नों को तैयार करने की आवश्यकता है जो हल करने या याद करने में बहुत आसान और सरल हैं।
3. जब कुछ उत्तर तैयार हो जाएं तो उस उत्तर के नीचे तारीख लिखें और नियमित अंतराल के बाद उन्हें दोहराते रहें।
4. शुरुआत में सरल उत्तरों को हल करें और याद करें और उसके बाद धीरे-धीरे कठिन प्रश्नों-उत्तरों को याद करें।
5. पिछले वर्ष के प्रश्न पत्र एकत्र करें और उनका अभ्यास करें।  यदि आप किसी प्रश्न को हल करने में बहुत कठिन महसूस करते हैं, तो उत्तर को कुछ भागों में विभाजित करें और उन्हें दो या अधिक बार में याद करें।
6. सभी प्रकार के प्रश्नों का अभ्यास करें।  आमतौर पर छात्र वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्नों पर ध्यान नहीं देते हैं।  आपको सभी प्रकार के प्रश्नों की तैयारी करनी चाहिए।
7. जानिए इस साल आने वाले प्रश्न पत्रों का ब्लूप्रिंट।  ब्लूप्रिंट में अध्याय, अंक और पूछे जाने वाले प्रश्न के प्रकार का उल्लेख किया गया है।  इसलिए, ब्लूप्रिंट के अनुसार अपनी परीक्षा की तैयारी करें।  कई बार कुछ चैप्टर या चैप्टर वाले हिस्से को बाहर कर दिया जाता है, आप उस चैप्टर को छोड़ सकते हैं।
8. इन दिनों में पूरी नींद लें।  लेकिन अपने 24 घंटों की गणना करें और अपने अध्ययन के लिए अधिक गुणवत्ता पूर्ण समय दें।  वैकल्पिक रूप से प्रश्नों को याद करने और गणित के प्रश्नों को हल करने से आप अपना मूड बदल सकते हैं।
9. गुणवत्‍ता पूर्ण आहार लें।  भारी भोजन को नज़रअंदाज़ करें।  पानी ठीक से पियें।  और मन में किसी भी तरह की चिंता आने से बचें।
10. वास्तविक परीक्षा में बैठने से पहले अपने सामने कम से कम एक से दो प्रश्नपत्र हल करें।
11. परीक्षा में जाने से पहले सुनिश्चित करें कि आपके पास पर्याप्त पेन, पेंसिल और आपका प्रवेश पत्र भी है।  हो सके तो इन सबको अलग ड्रॉइंग बॉक्स में रख दें।  लेकिन कलम की स्याही जांचना न भूलें।
12. परीक्षा में आपको पहले आसान प्रश्नों को हल करना चाहिए।  अपनी उत्तर पुस्तिका के बाएँ और दाएँ में उचित स्थान छोड़ें।  अपनी उत्तर पुस्तिका परीक्षक को सौंपने से पहले यह जांच लें कि आपने सभी प्रश्न पूरे कर लिए हैं या नहीं।

मुझे उम्मीद है कि हमें अपनी बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे करनी चाहिए, यह प्रश्न हल हो गया होगा।  हमें आशा है कि आप आसानी से उत्तर देंगे।  बेहतर परिणाम के लिए बहुत-बहुत बधाई।

बुधवार, फ़रवरी 08, 2023

मजदूर : रजनीश की कविता

👏मजदूर👏
मैं मजदूर हूँ
पसीने से ही मन महकाता हूँ
कुछ पैसों से ही, अपना चूल्हा सुलगाता हूँ
कुछ पैसे अपनी संगी के हाथों थमाता हूँ।
बच्चों वास्ते कुछ मिठगोलियाँ ले जाता हूँ
तो कुछ पैसे अपने औलादों के लिए जमा करता हूँ
सच, ऐसा है मेरा परमानंद।

महलों के फूलों से
मेरे कुटियों के बेल
ज्यादा लदे हैं
उनमें मानवता की शीतल महक है
और न खत्म होने वाली हरियाली भी

मैं मजदूर हूँ
दिनभर कर्मरत होकर धूलों के संग
खेलना मेरी आदत-सी हो गई है

दूसरों के कामों को ओढ़ना मेरी साधना है
मुझे कभी ठेला चलाना होता है
तो कभी सड़कों में झाड़ू भी लगानी होती है
हाँ,हाँ, मैं मजदूर हूँ
दो जून की रोटी संतोष और आनंद के साथ खाने वाला "दिलेर" मजदूर हूँ।
नवगीत गाने वाला मजदूर हूँ
संगीत बुनाने वाला मजदूर हूँ। 
हाँ, मैं मजदूर हूँ।
🖊️रजनीश

संत शिरोमणि रविदास जी की पुण्य जयंती पर ....मनोज कुमार चंद्रवंशी की कविता

संत शिरोमणि रविदास जी के पुण्य जयंती पर ....
                            (१)
जाति  पांति  छुआछूत    उद्धारक अग्रदूत,
क्रांतिकारी    रविदास     जगत   महान हैं।

रवि संत  शिरोमणि  करें   चिंता  हर  घड़ी,
समाज   के  सुधार  में    बहु   योगदान है।

कर्म योगी ज्ञान वान उर  तल  स्वाभिमान,
ब्रम्हा  लीन  रविदास  पुण्य  शीलवान  है।

निर्मल  भाव  उनके  समदर्शी  थे  मन के,
अंध  भक्ति  नष्ट कर   दिए  सद्  ज्ञान है।

                          (२)
पाखंडवाद था व्याप गुरुजी किए समाप्त,
सामाजिक  अग्रदूत   अलख   जगाएं  हैं।

भेदभाव  ऊॅंच नीच धरा में मचा था कीच,
लिए   अवतार   गुरु   तिमिर   मिटाएं हैं।

कर्मनिष्ट  रविदास,  कहता  है  इतिहास,
उदार वान  व्यक्तित्व सुकीर्ति कमाएं हैं।

वो ज्ञान तर्क भंडार मानवता के आधार,
ईश्वरीय  भक्ति भाव जग  में  फैलाएं हैं।

                      रचना
            मनोज कुमार चंद्रवंशी

तनावमुक्त जीवन कैसे जियें?

तनावमुक्त जीवन कैसेजियें? तनावमुक्त जीवन आज हर किसी का सपना बनकर रह गया है. आज हर कोई अपने जीवन का ऐसा विकास चाहता है जिसमें उसे कम से कम ...