शनिवार, फ़रवरी 18, 2023

तनावमुक्त जीवन कैसे जियें?

तनावमुक्त जीवन कैसेजियें?

तनावमुक्त जीवन आज हर किसी का सपना बनकर रह गया है. आज हर कोई अपने जीवन का ऐसा विकास चाहता है जिसमें उसे कम से कम तनाव का सामना करना पड़े. आज हर किसी के सामने यह प्रश्न है कि तनावमुक्त जीवन कैसे जियें?

तनावमुक्त जीवन जीने के लिए जरूरी है कि हम अपने जीवन का उचित प्रबंधन करें. सही समय पर सही निर्णय लें. अपने जीवन शैली को समयानुकूल बदलते रहें. अपने कर्तव्यों का उचित निर्वहन करें.  लोगों के साथ उचित भावनात्मक सम्बन्ध बनाकर रखें. जीवन निर्वाह के लिए उचित रोजगार चुनें और भविष्य के लिए कुछ योजनाएं सुरक्षित रखें.

तनावमुक्त जीवन की कल्पना अपने आप में कभी न सुलझने वाली पहेली है. क्योंकि किसी का भी जीवन पूर्णतः तनावमुक्त नहीं होता. जीवन में तनाव का होना केवल समस्याओं के होने अथवा न होने से जुडी हुयी बात नहीं है बल्कि जीवन का तनाव समस्या की प्रकृति और उसके प्रति हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर है. और यही तनावमुक्त जीवन की कुंजी भी है. हम समस्या की प्रकृति को पहचानकर और उसके प्रति अपने दृष्टिकोण में बदलाव करके तनाव का उचित प्रबंधन कर सकते हैं. अतः मूल सवाल कि तनावमुक्त जीवन कैसे जिएं को एक दूसरे प्रश्न से प्रतिस्थापित कर सकते हैं और वह प्रश्न यह है कि हम अपने जीवन के तनाव का प्रबंधन कैसे करें?

क्या हम इस आलेख को इस प्रश्न से आगे बढ़ा सकते हैं कि हमें तनाव क्यों होता है? निश्चित रूप से  इस प्रश्न का उत्तर हर किसी के लिए एक-सा नहीं होगा. सबसे पहले यह पहचानने की जरूरत है कि हमें तनाव क्यों होता है? अथवा इस बात की भी खोज की जा सकती है कि किन परिस्थितियों में हमें अधिक तनाव होता है. एक बार तनाव के क्षेत्र की पहचान होने पर हम आसानी से तनाव का प्रबंधन कर सकते हैं.

जब भी हम तनाव के प्रबंधन की बात करेंगे तो एक बात बहुत सामान्य होगी और वह यह है कि उस काम का अथवा उस तरीके का जिससे तनाव पैदा होता है, उसका कोई दूसरा विकल्प मौजूद है या नहीं? और यह संसार इतना अद्भुत है कि दूसरा तरीका होता ही है. सबसे मजेदार बात यह भी है कि यदि हम स्वयं अन्य विकल्पों के बारे में विचार नहीं करें तो भी समय और परिस्थिति के बदलते ही अन्य विकल्प स्वतः ही उभर आते हैं. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जिस समस्या का समाधान बहुत मुश्किल दिखाई पड़ता था, उसका बहुत आसान समाधान निकल आता है. किन्तु हमें हमारी जरूरत के मुताबिक समाधान चाहिए और इसके लिए जरूरी है कि हम स्वतः ही अन्य विकल्पों की तलाश करें.

मुस्कुराने का नाटक करें. हाँ, यह बेहूदा लगता है कि हमें कोई नाटक करने के लिए कह रहा है. परन्तु यह सच है कि हमारा जीवन नाटकों से भरा है. नाटक क्या है? पर्दे के सामने लगातार घटनाओं का और घटना के अनुसार लोगों की भाव-भंगिमा का बदल जाना ही तो नाटक है. क्या हर रोज हम यही नहीं करते? हाँ, हमारा वह नाटक बाकी लोगों के साथ एकरूप हो गया है इसलिए अलग समझ नहीं आता और इसलिए हम उसे नाटक कहलवाना पसंद नहीं करते. मुस्कुराना जबकि हम बहुत तनाव में हों, तनाव से बाहर निकल आने का एक तात्कालिक उपाय है.

अपनी ड्यूटी निभाएं. सही समय पर काम का निष्पादन नहीं करने से जिन्दगी में परेशानियाँ बढ़ जाती हैं. हम मानव हैं. अन्य लोगों के प्रति हमारी कुछ जिम्मेदारियां हैं. उनका समय पर निर्वहन नहीं करने से हमारे अवचेतन में द्वंद्व पैदा होता है. हमारा मन बार-बार हमें हमारी जिम्मेदारियों का स्मरण कराता है और जिम्मेदारियों की तुलना में हमारे किए गए कार्य का मूल्यांकन करके मौजूद अंतर का हमें आभास कराता है. इसका आभास ही हमारे तनाव का कारण बन जाता है. अतः समय रहते अपनी जिम्मेदारियों को पहचानें और उसका निर्वहन करने में आरम्भ से ही तत्परता दिखाएँ. अक्सर कई लोगों से यह सुना जाता है कि हमने अपनी जिम्मेदारी निभा दी अब आगे उसकी मर्जी! या ऊपर वाले की मर्जी! इस उदाहरण से यह स्पष्ट होता है कि जिम्मेदारी के निर्वहन उपरांत एक प्रकार का मानसिक सांत्वना स्वयं को मिलता है और यद्यपि अपेक्षित सफलता न मिले फिर भी मन में कोई क्षोभ नहीं रहता.

हर अच्छी चीज का कुछ हिस्सा अपने पास बचाकर रखें. कहने का तात्पर्य यह है कि जब बहुत धन हो तो उसे बहुत समझकर उड़ा न दें. बहुत समय हो तो उसे व्यर्थ न गवां दें. धन का भी और समय का भी सदुपयोग करना चाहिए और आने वाले समय के लिए कुछ हिस्सा बचाकर रखना चाहिए. धन का उचित निवेश और समय के साथ कुछ न कुछ सीखते रहने की ललक विपरीत परिस्थितियों में बहुत काम आते हैं. इसी प्रकार हमारे शारीरिक स्वास्थ्य का भी मामला है. शरीर स्वस्थ हो तो जानबूझकर उसे खराब करने वाली गतिविधियों में लगाकर अथवा आलस्य में बर्बाद नहीं करना चाहिए. अन्य लोगों के साथ हमारे मेल जोल बढ़ जाएँ, बहुत सारे साथी बन जाएँ तो इस वजह से जान-बूझकर अपने लोगों के साथ रिश्तों को खराब नहीं करना चाहिए. बल्कि सबके साथ रिश्तों को सम्हालकर रखना चाहिए. यदि इन नियमों का पालन करें तो जीवन में अपेक्षाकृत कम तनाव का सामना करना पड़ेगा.

हमारा मस्तिष्क चित्रों में बहुत रूचि लेता है. उन्हें ठीक तरह से पहचानकर स्मरण रखता है. ऐसा कहा जाता है कि किसी पदार्थ के अन्य लक्षणों को हमारा मस्तिष्क चित्रों के साथ जोड़कर देखने की कोशिश करता है. जब भी हमारे मन में किसी विषय को लेकर कोई तनाव होता है तो तनाव से जुड़े लोगों या चीजों के चित्र मस्तिष्क में बार-बार उभरते  हैं. अतः तनाव की स्थिति में हमें स्वयं ही इन चित्रों को अन्य चित्रों से बदलने की कोशिश करनी चाहिए. ऐसा कैसे होगा? हमें एकांतवास से बाहर निकलकर ऐसी  भीड़ में शामिल होना चाहिए जहाँ हमें समझने वाले लोग हों. जिनके साथ हमारा मेल-जोल हो. हमारे आँखों के सामने दृश्य बदलते ही कुछ न कुछ पूर्व के चित्र बदलेंगे और तनाव को कम करने में मदद मिलेगी.

अपने शौक भुला न दें. हरेक के जीवन के कुछ शौक होते हैं. वास्तव में यही शौक इंसान को जिन्दादिल बनाये रखते हैं. अपने शौक को भुलाकर आप अपने जीवन को कैसे बेहतर बना सकते हैं? क्योंकि शौक इंसान की वह पहली पसंद है जो उसके ह्रदय और उसकी भावना के सर्वाधिक निकट होती है. यदि कोई आपके लिए अपने शौक को छोड़ने की बात कहे तो आप हरगिज उसे ऐसा न करने दें क्योंकि उसके शौक के मरते ही इंसान भी मर जायेगा. फिर ऐसा मरा हुआ इंसान आपके किस काम आयेगा? अपने शौक पर ध्यान दें और उसे पूरा करें.

पूरा संसार प्रबंधन पर टिका हुआ है. प्रकृति स्वसंचालित प्रबंधन के आधार पर काम करती है. एक घटक के बदलते ही दूसरे घटक बदल जाते हैं. हमारे शरीर की आकारिकी और कार्यिकी प्रकृति के प्रबंधन का ही हिस्सा हैं. हमारे मन की प्रतिक्रियाएं और हमारे विचार हमारे पूर्व के अनुभव से शोधित होकर आकार  लेते हैं. लेकिन वे सब स्वचालित अवस्था में आ गये हैं और हमारा मस्तिष्क उन पर ध्यान नहीं देता. तनाव का उचित प्रबंधन करने के लिए जरूरी है कि अपने मस्तिष्क में बन रहे विचारों पर ध्यान दें और यदि वे तनाव की स्थिति पैदा करते हैं तो उन्हें दूसरे तरीके से विचार करने के लिए प्रेरित करें, इसमें कुछ गलत नहीं है.

यदि कोशिश की जाए तो जीवन तनावमुक्त हो सकता है. यदि ऐसा संभव न भी हो पाए तो तनाव को कम से कम किया जा सकता है. बस इसके लिए स्वयं के पहल करने की जरूरत है. एक बार यह समझ आ जाये कि तानव का प्रबंधन किया जा सकता है तो आप इसके लिए पहल करना नहीं छोड़ेंगे. आशा है कुछ हद तक इस प्रश्न का हल मिल गया होगा कि हम तनावमुक्त जीवन कैसे जिएं!  

[इस ब्लॉग में रचना प्रकाशन हेतु कृपया हमें 📳 akbs980@gmail.com पर email करें।]

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

अतिसुंदर

बेनामी ने कहा…

अतिसुंदर

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