शनिवार, अप्रैल 11, 2020

आधुनिक दोहे:रमेश प्रसाद पटेल

प्रकृति को अपना समझें, जैसे हो परिवार
अनमोल जीवन जीयें, असली वह हकदार

प्रकृति को बचाएं सदा, सब रहें सावधान

प्राणी को इस जग में, अब न हो व्यवधान

अपने स्वार्थ कारणे, जग को करता नष्ट

प्राणी जीवे या मरे, ऐसे नर मतिभ्रष्ट

चींटी आँख न होते हैं, चले सही वह राह

मनु की आँख होत हैं, चले न अपनी राह

पर्वत जैसे चाल सा, हृदय में अहंकार

हम हम करता वह चले, जीवन को धिक्कार

ऐसे पहचान कीजिये, जैसे मीठे बेर

मीत न ऐसा कीजिये, संकट में लगे गैर

फूल-फूल कहता फिरे, कभी न करिए भूल

असली नकली पहचानें, स्वार्थ भरा समूल

औरन को सीख देत हैं, चलें न सत की चाल

मौका मिलते वह झपटे, रखो पराई माल

देख पराई चीज को, न रखिये बुरा सोच

आत्म मन जैसे डुले, नर में पडा खरोच

कबहू विपत्ति न हंसिये, सदा मौन हो जाय

दास रमेश हँसत कहैं, संकट में फस जाय
चनारमेश प्रसाद पटेल, माध्यमिक शिक्षक 

पुरैना, ब्योहारी जिला शहडोल (मध्यप्रदेश)
[इस ब्लॉग में  प्रकाशित रचनाएँ नियमित रूप से अपने व्हाट्सएप पर प्राप्त करने तथा ब्लॉग के संबंध में अपनी राय व्यक्त करने हेतु कृपया यहाँ क्लिक करें। अपनी  रचनाएं हमें whatsapp नंबर 8982161035 या ईमेल आई डी akbs980@gmail.com पर भेजें, देखें नियमावली ]

तनावमुक्त जीवन कैसे जियें?

तनावमुक्त जीवन कैसेजियें? तनावमुक्त जीवन आज हर किसी का सपना बनकर रह गया है. आज हर कोई अपने जीवन का ऐसा विकास चाहता है जिसमें उसे कम से कम ...