शुक्रवार, जून 05, 2020

आओ मिलकर धरा सजाएं: नरेन्द्र प्रसाद पटेल



दो कविताएं

               (1)
आओ मिलकर धरा सजाएं

शस्य श्यामला धरा हमारी,
अनुपम छटा, प्रकृति की प्यारी।
आओ मिलकर इसे सजाएं।
सब मिलकर हम पेड़ लगाएं।।

फैल रहा है बहुत प्रदूषण,
कट रहे सब जंगल वन।
कोई ऐसा यत्न करें हम,
बच जाएं सब जन और वन।।

विटप,जन्तु, सरिता अरु नाले,
ये सब हैं मित्र हमारे।
सूखी धरा आज कह रही,
इन्हें सम्हाले मिलकर सारे।।

आवश्यक है पर्यावरण सुरक्षा,
इनसे होगी मानवता की रक्षा।
परोपकार कर जीवजगत का,
मानव को देते परहित की शिक्षा।।
             
              (2)
एक पेड़ की व्यथा

मैं हूं तो
तुम हो।
मेरी छांव तले,
तुम्हारी कई पीढ़ियां
बीत गई।
यदि धरा को
बचाना है,
तो मुझे भी 
बचाना होगा।
यदि मुझे 
बचाओगे तो,
तुम भी बच पाओगे।
मैं हूं प्राण दायिनी,
जीवन रक्षक,
मुझ में है
सारा विश्व समाया।
आज पूरी मानवता
पुकार रही है।
मेरी ममता की छांव में
कई कहानी गढ़ी गई है।
मैंने सहे हैं 
चौमासा,
अंधड,
लूं ,
सिसकती असीमित ठंड,
तब भी,
नहीं डिगा हूं
मानवता की खातिर।
चाहे कितने जुल्म करो तुम
कहीं वन, 
कहीं उपवन,
कहीं अमराई
बनकर 
हरदम साथ दिया है तुमको।।

रचनाकार :
नरेंद्र प्रसाद पटेल 
(राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक)
शासकीय हाई स्कूल दुलहरा
जिला अनूपपुर म.प्र.
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1 टिप्पणी:

रजनीश रैन ने कहा…

सर आपने हृदय के शीतल धार से प्रकृति भावांशों का बड़ा ही मनोरम चित्र खीचा है ... सच आपके कलाशक्ति को सलाम है .....

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