शुक्रवार, अक्तूबर 18, 2019

आरे का जंगल:सुरेन्द्र कुमार पटेल की कविता


आरे का जंगल 
मन बहुत अकुला जाता है
जब जंगल कट जाता है आरे का,
नियमों का प्रयोग होता ऐसे,
जैसे संविधान हुआ है भाड़े का।

विकास नाम जब कंक्रीटों का पड़ जाता
तब अचरज नीति नियंताओं पर होता है,
सारी रात जागने वाली मुम्बई का आदमी
आरे के कटने की रात चैन से कैसे सो जाता है?

जंगल को जंगल न माना,
आरे का जंगल पल भर में उजाड़ा है।
कर बर्बाद जंगल को लोभियों ने
अपना भी भाग्य बिगाड़ा है।

करो विकास इनकार नहीं पर,
वृक्षों की कीमत पर विकास मंजूर न हो।
वृक्षहीन धरती पर होगा जीवन
इतना तो तुम मगरूर न हो।

एक वृक्ष पर जीव अनेक,
एक वृक्ष पूरा संसार कहाता है,
चिड़ी, कोकिला और कबूतर
न जाने कितनों का आवास बनाता है।

शनैः-शनैः वनहीन हुई धरती,
बढ़ने लगा ताप आसमानों-का।
धन्ना सेठों की भी पड़ी जिंदगी खतरे में
यह संकट नहीं मात्र किसानों का।

इधर पर्यावरण का पाठ पढ़ाना,
उधर ढहाना जंगल पूरा।
धरती अब धरती रही नहीं
बना रहे तुम इसको पूरा कूड़ा।

इतना बड़ा दोगलापन तेरा
क्या खरीद पश्चिम से लाये हो?
थे तो प्रकृति पुजारी तुम
ऐसा कुसंस्कार सीख कहाँ से आये हो।

अब मानव गिन ले
दिन बचे जो जीवन के अवशेषों को।
दम घुट रहा है धरती का
विवर्ण हुई धरा हटा अपने केशों को।

मैं मौन रहा तो रक्त खौल रहा,
इसे विचार कहूँ या स्वयं का मौत विलाप,
अकेली धरती कितने दिन सही रहेगी
जब हो गया मानव ही स्वयं खिलाफ।

ग्लेशियर पिघल रहे,
चिंता तो किसी को हुई नहीं।
जब डूबेगी धरा समंदर में
ढूंढे पाओगे एक सुई नहीं।।

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6 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Nice sir super poem

Er. Pradeip ने कहा…

चिंताजनक स्थिति है पर्यावरण की। सटीक कविता।

Bharat Kumar kol ने कहा…

Nice sir

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर बधाई हो।

Unknown ने कहा…

आपके अंदर बहुत सारी हलचल है पर्यावरण को लेकर जिसके लिए आप यह कविता लिखे हैं और यह पूरी सच्चाई को भी बयां करती है लोगों को लकड़ी के दरवाजे तखत कुर्सियां खिड़की के पल्ले और नाना प्रकार की चीजें तो चाहिए परंतु पेड़ पौधे कोई नहीं लगाना चाहता है उसी तरीके से जिस तरह पानी सबको चाहिए पर कोई भी अपना खेत नहीं बनाना चाहता ना घर में सो क्विट बनाना चाहता है और आरो का पानी पीना तो चाहते हैं परंतु उसके पीछे 3 गुना बर्बाद होता हुआ पानी भी किसी को नहीं दिखाई देता है

Rashmi Rao ने कहा…

Bahut sunder aur sarthak kabita👌👌

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