न देखि न सोची कभी।
आवाज मे सिंह सी दहाड़ थी,
हृदय मे कोमलता की पुकार थी।।
एकता का स्वरूप जो इसने रचा,
देश का मानचित्र पल भर मे बदला।।
गरीवो का सरदार था वो,
दुश्मनो के लिए लोहा था वो।
आंधी की तरह वहता गया,
ज्वालामुखी सा धधकता गया।
बनकर गांधी का अहिंसा का शस्त्र,
महकता गया विश्व मे कोई ब्रम्हास्त्र।
इतिहास के गलियारे खोजते है जिसे,
ऐसे सरदार पटेल अब न मिलते पूरे विश्व मे।।
खंड खंड को जोड़ जिसने,
अखंड राष्ट्र का सृजन किया।
उन शिल्पी वल्लभ को सबने,
लौह पुरुष कह नमन किया।।
खेड़ा से राण मे रखे कदम,
भर हुंकार बारदौली मे बोले।
न दे लगान कि रत्ती हम,
वाणी मे थी सिंह गर्जना।
पांच सौ पैसठ रजवाड़ो को,
कूटनीति से विलय किया।।
रचना:अनिल पटेल,
ग्राम-पोस्ट नगनौड़ी, तहसील-जयसिंहनगर
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14 टिप्पणियां:
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सराहनीय रचना की है आपने Career Alert
आपकी कविता पढ़ कर अच्छा लगा times of mp
आपकी कविता अच्छी है, अब आप north korea news पर भी कोई कविता लिखें
kahani भी लिखा करें. आपकी कविता सराहनीय है
बहुत अच्छी कविता, मैं सोच रहा matka पर कोई कविता लिखूँ, जिसको आज का भारतीय भूल चुका है
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बहुत अच्छा Article है happy birthday wishes
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