राष्ट्रीय एकता से सामाजिक एकता की ओर: जनार्दन
आज हम सबने भारत वर्ष की राष्ट्रीय एकता के सूत्रधार सरदार वल्लभ भाई पटेल साहब का 145 वां जन्मदिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया । दोस्तों, जब हम लोग एकता शब्द उच्चारित करते हैं तो मन में शक्ति का भाव ज्यादा उभरता है, किन्तु एकता शब्द का अर्थ ( एक + ता = एक जैसा अर्थात समानता) वाला भाव कितना जागता है, आप खुद से पूंछ लें।
साल दर साल हम सरदार पटेल एवम् अन्य महापुरुषों के द्वारा किए गए कार्यों को याद करते हैं और अच्छा महसूस करते हैं, फिर अपने जीवन यापन, अपने व्यवसाय एवं कार्य व्यवहार में लग जाते हैं। हमारा पूरा ध्यान इस बात में रहता है कि हम महापुरुषों के कार्यों के विषय में कितनी सटीकता से जानकारी रखते हैं, आपको क्या लगता है, किए गए कार्यों की चर्चा / उल्लेख से देश(समाज) का उत्थान होगा? मुझे लगता है कि देश ( समाज) की बेहतरी तब होगी, जब चर्चा उन कार्यों की हो, जो अधूरे रह गए, जिन कार्यों को पूरा करने से पहले ही महापुरुष का भौतिक जीवन पूरा हो गया है।
सरदार पटेल साहब को राष्ट्रीय एकता का शिल्पी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने 562 रियासतों को भारतीय गणराज्य में मिलाया, लेकिन राजनीतिक आज़ादी के 73 वर्ष बाद भी सामाजिक एकता अर्थात सामाजिक समानता स्थापित नहीं हुई । बहुत खुशी होती यदि देश सामाजिक समानता की ओर बढ़ता हुआ दिखता, किन्तु अफसोस! ऐसा नहीं जान पड़ता। कभी-कभी ऐसा लगता है कि सुख समृद्धि की मृग मरीचिका के पीछे दौड़ते-दौड़ते, संविधान की प्रस्तावना में चिन्हित उद्देश्यों को हम भूलते जा रहे हैं। वैभव के लिए तड़पते नीति निर्धारकों को याद दिला दूं : एक देश(समाज) के लिए गरीबी से ज्यादा दुखदाई है - असामनता की खाई।
आइए हम सब मिलकर उन कार्यों की चर्चा करें, जो काम सरदार साहब के जीवन में पूरे नहीं हुए, सरदार पटेल ने देश की रियासतों को मिलाकर एक
विशाल राष्ट्र बनाया; हम सब देशवासी अनेक जाति - धर्म रूपी रियासतों को मिटाते
हुए, सामाजिक समानता स्थापित
करके इसे एक श्रेष्ठ राष्ट्र बनाएं।
सामाजिक समानता एवं समान अवसर वाले
श्रेष्ठ राष्ट्र की स्थापना के लिए संकल्पित - सरदार पटेल के द्वारा एकीकृत
विशाल देश का एक कृतज्ञ नागरिक-
जनार्दन पटेल, 31 अक्टूबर 2020
नवी मुंबई।
4 टिप्पणियां:
अति सुंदर बधाई हो hindi me
सटीक रचना
आपनेंं जिस सरल तरीक़े से राष्ट्रीय एवं सामाजिक एकता को परिभाषित किया है,ये आम जनमानस को एकता के सूत्र में बांधने के लिए पर्याप्त है
आप सभी का धन्यवाद
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