एक बच्चे की पुकार
1
ना चाही राजपाट,
ना चाही देवालय।
करो हमारी मदद,
तो बनवा दो विद्यालय।
2
किताबों में छिपी हुई हैं,
नए सृजन की बातें।
ज्ञान ज्योति से काटेंगे,
अंधकार की रातें।
3
नए ज्ञान से नया देश,
फिर स्वयं बनाएंगे।
मानवता का दीप जलाकर,
नई रोशनी लाएंगे।
4
भूल हुई जो पुरखों से,
उसे नहीं दोहराएंगे।
स्वर्ग लोक को भुला,
धरती को स्वर्ग बनाएंगे।
5
प्यासे को पानी,
भूखे को भोजन,
ऐसा संकल्प करेंगे।
दीन, दुखी, निर्बल की सेवा,
ऐसी भक्ति करेंगे।
6
नहीं करेंगे धन, दौलत,
जमा खजाने में।
समभाव का भाव रहेगा,
नए जमाने में।
7
नहीं करेंगे आस किसी से
दीपक स्वयं जलाएंगे।
सुख-दुख का कारण मनुज,
ऐसी बात बताएंगे।
8
सपने होंगे साकार वही,
जो दिन में देखे जाएंगे।
ज्ञान और विज्ञान की बातें,
जन जन तक पहुंचाएंगे।
9
नहीं छिनेगा अधिकार किसी का,
ना कोई भूखा सोएगा।
ऐसा होगा उस दिन,
जब हर बच्चा पढ़ जाएगा।
कोमल चंद कुशवाहा
शोधार्थी हिंदी
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा
मोबाइल 76101035 89
8 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर रचना श्रीमान
बहुत सुंदर रचना श्रीमान
Supeerrr hit sirji
आदरणीय पाठक आप अपना नाम व पता टिप्पणी करते समय अवश्य लिखें ताकि आभार व्यक्त करने में सहूलियत हो फिर भी आपके द्वारा रचना पढ़ी गई जिसके लिए मैं आपका आभारी हूं।
धन्यवाद
Very nice
Nice
Ati sunder
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