गुरुवार, जून 11, 2020

सायबर अपराध एवं बचाव: जय प्रकाश पटेल



सायबर अपराध एवं बचाव
साइबर अपराध क्या है?  सूचना क्रांति के अंतर्गत आने वाले विभिन्न साधन- जैसे मोबाइलकंप्यूटर,  लैपटॉपफेसबुक इंस्टाग्रामगूगल-पेपेटीएमएटीएम मशीन आदि विभिन्न साधन जिनके माध्यम से डिजिटल कार्य किए जाते हैं,  इन्हीं माध्यमों का उपयोग करके जब  किसी व्यक्ति या संस्था को किसी प्रकार की आर्थिक,  सामाजिक या उसकी ख्याति पर कोई क्षति कारित की जाती है तो उसे साइबर अपराध के रूप में परिभाषित किया जाता है।  
आज विश्व में जिस तेजी से डिज़िटल कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है, हमारे देश में भी सूचना क्रांति और डिजिटलाइजेशन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यहां तक कि हमारे देश के प्रधानमंत्री भी देश की जनता को डिजिटल माध्यमों को बढ़ावा देने के लिए कई बार अपील कर चुके हैं। सरकार इसे बढ़ावा देने के लिए ग्राहकों को प्रोत्साहित भी कर रही हैं। वास्तव में डिजिटल माध्यम जैसे इंटरनेट, मोबाइल, एटीएम तथा विभिन्न डिजिटल माध्यमों ने एक ओर  जहां हमारे समय, श्रम एवं आर्थिक लागत को कम करके हमारे जीवन को सरल एवं आसान बना दिया है, वही अगर इन माध्यमों का समझदारी एवं विवेकपूर्ण  इस्तेमाल न किया जाए तो हमें इनसे आर्थिक एवं अन्य प्रकार की  हानियां  उठानी पड़ सकती  है। इसका मतलब यह नहीं कि हमें डिजिटल माध्यमों का उपयोग कम कर देना, या समाप्त कर देना चाहिए बल्कि अपने जीवन में,  या व्यावसायिक कार्यों में जब भी डिजिटल माध्यमों का उपयोग करें तो बड़ी ही सावधानी एवं सतर्कता से इनका उपयोग करना आवश्यक है। साथियो आज देश में प्रायः अधिकांश  लोग मोबाइल, नेट बैंकिंग, बैंक एटीएम कार्ड या डेबिट कार्ड क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं। किंतु इन माध्यमों का दुरुपयोग साइबर अपराधी किस तरह कर लेते हैं इसका ज्ञान बहुत ही कम लोगों को है। साइबर अपराधी विभिन्न माध्यमों से लोगों से उनकी निजी जानकारियां प्राप्त करके उनके साथ धोखाधड़ी कर उन्हें आर्थिक क्षति पहुंचा रहे हैं। साइबर जालसाज जिन तरीकों का व्यापक स्तर पर प्रयोग करके लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं उनमें से प्रमुख निम्न हैं  :-
      1. . टी. एम. कार्ड ब्लॉक के नाम पर ठगी - इस तरह के ठगी वाले गिरोह के लोग अपने आप को बैंक अधिकारी या बैंक मैनेजर बताकर ग्राहकों से प्रोफेशनल तरीके से बात करके तथा उन्हें उनके बैंक अकाउंट एटीएम बंद हो जाने की बात कहकर तथा उन्हें बातों में फंसाकर उनसे उनकी बैंक एटीएम के ऊपर लिखे हुए 16 अंकों का नंबर, वैलिड तिथि एवं सीवीवी नंबर प्राप्त करके ग्राहक कें मोबाइल नंबर पर आए हुए ओटीपी नंबर को प्राप्त करके कुछ ही मिनटों में उनके बैंक अकाउंट से रकम दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैँ या कोई ऑनलाइन शॉपिंग करके उनके मेहनत एवं पसीने की कमाई को अपने  दूसरे फर्जी  खातों में ट्रांसफर कर लेते हैं। जब तक ग्राहक को अपने साथ हुए धोखाधड़ी या ठगी का एहसास हो पाता है, तब तक उनका बैंक अकाउंट पूरी तरह से खाली हो चुका होता है।  
कैसे बचें - कोई भी बैंक अपने ग्राहकों से कभी भी खाते से सम्बंधित उसकी निजी तथा गोपनीय जानकारी जैसे एटीएम कार्ड के नंबर,  सीसीवीओटीपी आदि फोन के माध्यम से नहीं मांगती है। अतः अपने पास आने वाले इस तरह के किसी भी मोबाइल कॉल को रिसीव न करें।  या उन्हें उन्हें जानकारी देने से साफ इंकार कर दे एवं अपनी निजी जानकारियां कतई किसी को शेयर ना करें।  यदि किसी भी ग्राहक के साथ धोखे से फ्रॉड हो गया हैँ तो तुरंत ही बैंक के टोल फ्री नंबर या बैंक जाकर एटीएम को ब्लाक करवा दें और पुलिस को सूचित करें।  
      2- एटीएम एक्सचेंज स्कैमिंग- इस प्रकार की ठगी में ठगी करने वाले लोग एटीएम मशीन या उसके आसपास मौजूद रहते हैं। एवं ऐसे लोगों को अपना निशाना बनाते हैं जो कम पढ़े लिखे या थोड़ी भोले-भाले दिखते हैं। ये  लोग खुद ही भोले-भाले बनकर एटीएम मशीन के अंदर प्रवेश करके खुद की मदद करने के बहाने या सामने वाले की मदद करने की आड़ में उन्हें बातों में लगाकर उनका एटीएम पिन गोपनीय तरीके से या उंगलियों की चाल देखकर या गुप्त कैमरोंया स्कैमिंग डिवाइस के माध्यम से देख लेते हैं। बाद में ए. टी. एम. के अंदर उपस्थित व्यक्ति की या  खुद की  मदद करने के बहाने से अपने पास रखे उसी बैंक के एटीएम खाली ए. टी. एम. से धोखे से एक्सचेंज कर लेते हैं। बाद में ग्राहक के एटीएम छोड़ते ही या तो उसी एटीएम से या अन्य एटीएम से पैसे निकाल कर उनका पूरा खाता मिनटों में खाली कर देते हैं।
     3-फेक हैक्ड फेसबुक प्रोफाइल -इस तरह के मामलों में ठगी करने वाले लोग महिलाओं या लड़कियों के नाम से उनके सुंदर व लुभावने फोटो लगा कर के फेसबुक या इंस्टाग्राम प्रोफाइल बनाते हैं। या किसी व्यक्ति के फेसबुक प्रोफाइल को हैक करके उसमें अश्लील कमेंट या पोस्ट किया जाता है। और लड़कों से दोस्ती करने, या उनसे उनका कोई मित्र बनकर किसी मुसीबत के नाम पर या इनसे मिलने के नाम पर अपने फर्जी अकाउंट में पैसे डलवाए जाते हैं। जब तक ठगी के शिकार लोगों को ठगी का एहसास होता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। इस प्रकार की ठगी का शिकार व्यक्ति अपनी बदनामी या प्रतिष्ठा खोने के डर से कहीं शिकायत नहीं कर पाता। कई बार ऐसे फेसबुक अकाउंट का उपयोग आपराधिक गतिविधियों में भी प्रयोग किया जाता है।  
कैसे बचें- फेसबुक में कभी किसी अनजान अपरिचित  व्यक्ति का फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें। किसी लुभावने प्रस्ताव को भावनाओं में आकर स्वीकार न करें। पैसे के आग्रह को स्वीकार न करें जब तक आप अपने परिचित से फोन से बात करके आश्वस्त न हो जायें।  
4-ईमेल हैकिंग या थ्रीयेटिंग- इस प्रकार के अपराध में अपराधी किसी ईमेल आई. डी. हैक करके किसी भी व्यक्ति के ईमेल आईडी पर फर्जी ई-मेल भेजकर या उन्हें लुभावने रोजगार के अवसर प्रदान करने के नाम पर  उनके खातों में नकद रकम डलवाया जाता हैँ। कभी-कभी  निजी जानकारी प्राप्त कर बाद में धमकी भरे मैसेज भेज कर ब्लैक-मेल किया जाता है।
कैसे बचें- अपने ईमेल आईडी पासवर्ड समय-समय पर चेंज करते रहें। लुभावने ईमेल य विज्ञापन पर विश्वास न करें। रोजगार के नाम पर ऑनलाइन जानकारी में खातों आदि की जानकारी ने दें।  
  4-लॉटरी फ्रॉड या फर्जी विज्ञापन के द्वारा ठगी -इस प्रकार की ठगी में ठगी करने वाले गिरोह के द्वारा अखबार में फेसबुक में या व्हाट्सएप के माध्यम से कुछ विज्ञापन प्रसारित किए जाते हैं। जिनमें किसी फेमस सेलिब्रिटी का चेहरा पहचानने और उत्तर भेजने के नाम पर या खाली पड़ी जमीन पर मोबाइल टॉवर लगाने के नाम पर उनसे संपर्क स्थापित किया जाता है। बाद में उन्हें लुभावने  ईनाम प्राप्त करने के नाम पर फर्जी खातों में कई हजार रुपए डलवाकर धोखाधड़ी की जातीं है।  इसी तरह कई बार मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से यह अज्ञात फोन नंबर जो मोबाइल ग्राहक कों उनकी लॉटरी लगने या उनके नंबर को कंपनी के द्वारा सेलेक्ट कर उन्हें लाखों रुपए जीतने का विश्वास दिलाया जाता है।  किंतु उन्हें राशि प्राप्त करने के लिए हजारों रुपए की राशि फर्जी खातों में डलवा करके ठगी की जाती है, किंतु ईनाम कभी प्राप्त नहीं होता। इसी प्रकार कुछ ठग पेपर में निजी जमीन में मोबाइल टावर लगवाने के लुभावने विज्ञापन देकर खातों में पैसा जमा करा लेते हैँ। कुछ मामलों में फेसबुक में फ्लिपकार्ट या अन्य शॉपिंग माध्यमों के फर्जी मिलते जुलते विज्ञापन दिखाकर तथा किसी भी वस्तु की बहुत कम कीमत या डिस्काउंट दिखाकर ऑनलाइन शॉपिंग के माध्यम से पैसे जमा करवा लिए जाते हैं। बदले में खरीदी गयी वस्तु ना भेजकर कोई खिलौना या उसी प्रकार का कोई डमी  भेज दिया जाता है। जिसकी वापसी या पेमेंट की पुनः वापसी संभव नहीं हो पाता है।  
कैसे बचें- लुभावने विज्ञापन के लालच में न फंसेंलालच बुरी बला की स्थिति से बचें। मोबाइल नंबर की लाटरी नहीं लगती ऐसे फोन काल पर विश्वास न करें। न ही किसी ईनाम के लालच में कोई भी राशि किसी खाते में डालें।  ऑनलाइन खरीददारी केवल प्रतिष्ठित व लोकप्रिय कम्पनी जैसे-फ्लिपकार्ट,  अमेजॉन जैसे शॉपिंग सेंटर से ही खरीददारी करें। अनजान वेबसाईटों से बचें।
5. कम ब्याज दर पर लोन के नाम पर ठगी -आजकल कम ब्याज दर पर लोन दिलाने के नाम पर ठगों के द्वारा फेसबुक,  व्हाट्सएप,  दैनिक समाचार पत्र में आकर्षक लोन के नाम पर फर्जी विज्ञापन प्रकाशित किए जाते हैं।  ठगों के द्वारा लोन लेने के इच्छुक व्यक्तियों से उनके दस्तावेज ईमेल,  व्हाट्सएप के माध्यम से प्राप्त किए जाते हैं एवं फर्जी अनुबंध पत्र तैयार कर भेजे जाते हैं। बाद में हितग्राहियों से जीएसटी रजिस्ट्रेशन एवं प्रोसेसिंग फीस के नाम पर राशि ई-वालेट एवं बैंक खातों में जमा करा ली जाती है। इस तरह एक बार नहीं कई बार पैसे जमा कराए जाते हैं। किंतु लोन कभी प्राप्त नहीं होता जब तक हितग्राही को अपने साथ हुई धोखाधड़ी का पता चलता है,  तब तक उसके साथ कई हजार रुपयों की धोखाधड़ी हो चुकी होती है। बाद में पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता।
कैसे बचें - कभी भी कम ब्याज या जीरो प्रतिशत ब्याज के नाम पर छपे हुए किसी भी विज्ञापन पर विश्वास न करें। उन्हें अपने दस्तावेज या बैंक खातों की जानकारी ईमेल या व्हाट्सएप के माध्यम से न भेजें। यदि आपको लोन की आवश्यकता है तो किसी रजिस्टर्ड बैंक या संस्था से जाकर संपर्क करें। कम ब्याज दर के लालच में न फंसें ।
इसी तरह किसी ऐसे विज्ञापन जिसने फोन पर पैमेंट रिक्वेस्ट  गूगल-पेफोन-पेपेटीएम के माध्यम से या क़्यूआर कोड स्कैन करने को कहा जाये या UPI पिन दर्ज करने को कहा जाये लिंक पर  जब तक पूर्ण विश्वास न हो, न जायें।  न ही किसी अनजान लिंक को डाऊनलोड करें, जहाँ खातों से ऑनलाइन रकम की चोरी हो सकती है।  
कुछ विज्ञापन जैसे फ्री में मोबाइलया डीटूएच रिचार्ज के नाम पर ठगी की जाती है।  
इस तरह सायबर अपराध से केवल सही जानकारी एवं सतर्कता के द्वारा ही बचा जा सकता है।  वरना इंटरनेटमोबाइलऑनलाइन लेन-देन जीवन को जितना आसान बनाया है, एक जरा सी चूक परेशानी का सबब बन सकता है।  
©सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखक - जय प्रकाश पटेल
ग्राम-आमडीह वरिष्ठ उपनिरीक्षक (पुलिस) 
बालाघाट (म.प्र.)

(लेख पूर्णतः मौलिक व स्वलिखित है। लेखक की अनुमति के बिना इस लेख की कॉपी या नक़ल करना कॉपी राइट का उलंघन माना जायेगा।) 


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