हाइकु(जापानी विधा): अविनाश सिंह
(1)
दिखावे लोग
लगे मन को प्रिय
रहो सक्रिय।
बाग बगिया
बने स्विमिंग पूल
इंसानी भूल।
कोयल कूक
इंसानी करतूत
हुए विलुप्त।
वाणी के गुण
मिले धन सम्मान
रखना ध्यान।
कोख में हत्या
होता कानूनी जुर्म
नर्क में जन्म।
बेटी के काम
झाड़ू चौका बर्तन
बेटों से भेद।
होती पराई
गैरो के घर आई
लाडली बेटी।
कोमल हाथ
कालिख से है सने
फफोले पड़े।
सौदा में धोखा
बेटी के साथ खेल
जीवन हेल।
सपना टूटा
आकर ससुराल
हुई बेहाल।
(2)
नाम कमाओ
स्वार्थी मत हो जाओ
मान बढ़ाओ।
हाथ की रेखा
बदलते कर्मों से
ना की तंत्रों से।
धार्मिक ग्रंथ
देते शांति की शिक्षा
न करे भ्रांति।
बेटी के रूप
दुर्गा लष्मी सम्मुख
होती है पूज्य।
गंगा का जल
करे सबको निर्मल
स्वयं दूषित।
कैद परिंदे
आजाद है मनुष्य
फिर नाख़ुश।
गिर के उठो
तेजी से आगे बढ़ो
न पीछे मुड़ो।
बेटी का जन्म
खिले बाग उद्यान
समाज दुःखी।
© अविनाश सिंह
लेखक
मो. नम्बर 8010017450
पता:- लक्ष्मी नगर, नई दिल्ली 110092
संक्षिप्त परिचय:-
नाम-अविनाश सिंह
पिता- श्री विनोद सिंह
पिता- श्री विनोद सिंह
माता-श्रीमती सुषमा सिंह
मोबाइल -8010017450 ईमेल-kaviavi8400@gmail.com
प्रकाशित संकलन:-
1-भाव्य कलश 2-अलकनंदा,3 -एहसास प्यार का,4-नीलाम्बरा5-सम्यक 6-काव्यदीप वार्षिकी 7-वो सुनहरा पल
प्राप्त सम्मान:-
युवा कवि सम्मान 2018 अलकनंदा सम्मान 2019 प्रतिभाशाली रचनाकर सम्मान साहित्य अलंकार सम्मान 2018 काव्यदीप सम्मान 2019 अमलताश सरस्वती सम्मान 2019
संपादक :-नव पल्लव साझा काव्य संकलन।
एनसीआर कोऑर्डिनेटर:- आगमन संस्था
सह जन संपर्क सचिव :- काव्यदीप संस्था
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