हाइकु:-श्रावण मास
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श्रावण मास
रिमझिम बारिश
मनमोहक।
कोयल कूक
रंग बिरंगे खेत
आया सावन।
गरजे मेघ
कड़कती बिजली
चले पवन।
कजरी गाये
रोपे धान के खेत
मन को भाये।
चले बहार
रिमझिम फुहार
मिले ठंडक।
सजनी ओढ़े
हरी भरी चुनरी
खोजे साजन।
सूखी धरती
हुई जल से धन्य
आये सुगंध।
सावन माह
भोलेनाथ की पूजा
चढ़ाओ जल।
श्रावण बेला
रिमझिम फुहार
मेघ मल्हार।
साजन देख
सजनी इठलाई
खूब रिझाई।
भोले की भक्ति
राखी का है त्योहार
आया सावन।
पपीहा बोले
कहाँ हो रे साजन
आओ आँगन।
पुतरी पीटे
सखिया झूले झूला
गगन नीला।
हुआ सपना
कागज़ वाली नाव
फिर बनाओ।
दिखे नभ में
काले घने बादल
फिर उजाला।
हे भोलेनाथ
तुमसे है ये भक्ति
दो हमें शक्ति।
Ⓒअविनाश सिंह
गोरखपुर
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