🌧️🌧️सावन गीत🌧️🌧️
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बहुत ही व्यथित भाव से यह सावन गीत लिख रहा हूं,जिस सावन में घनाघोर वारिस होती थी, ठण्डी हवा प्रवाहित होती थी,आज परिस्थितियां उल्टी हो गयी हैं उमस और गर्मी से हालत गंभीर बनी हुई है...... एहसास करें🙏
1.
सावन का महीना,धूप है चहुं ओर।
गर्मी ऐसे लागे, जैसे आग लगे चारों ओर।।
गर्मी ऐसे लागे..........
सावन का महीना...........2
2.
कहां गये बदरिया , कहां पवन का झकझोर।
मेघ गर्जन बिजली चमकन, का थम गया है शोर।।
मेघ गर्जन बिजली चमकन........
सावन का महीना............2
3.
धान का पौधा तैयार हो गया ,रोपा का है इंतजार।
बिन पानी सब सून पड़ी है, खेत बाड़ी खनिहार।।
बिन पानी सब सून........
सावन का महीना...............2
4.
किसान भाई हैरान हो रहे,और हो रहे परेशान।
जल्दी आओ बरसने वाले , बनकर तुम मेहमान।।
जल्दी आओ बरसने..........
सावन का महीना.............2
आपका भाई - धर्मेंद्र कुमार पटेल✍️✍️
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