"भारत का युवा शक्ति"
(१)
हे! भारत का युवा शक्ति, भारत में नव विहान करो।
कर्मवीर, रणधीर, राष्ट्र का नव निर्माण करो॥
हृदय में नव स्वर सृजन कर,
युग प्रवर्तन का दामन थाम लो।
तरुण भारत के अभ्युदय में,
संकल्प शक्ति का गाँठ बांध लो॥
(२)
हे! साहसी वीर पुत्र, राष्ट्र के लिए कुछ कुर्बान करो।
निज प्रबल इच्छाशक्ति से,राष्ट्र का नव निर्माण करो॥
तरुण तव स्फूर्त स्कंध में,
राष्ट्र नव सृजन का भार है।
तुम ही राष्ट्र के प्रकाश पुंज हो,
स्वालंबन जीवन का सार है॥
(३)
हे! अरुण, तरुण, राष्ट्र नव उत्कर्ष का भाव बोध हो।
उन्नत राष्ट्र का नव निर्माण में, किंचित न अवरोध हो॥
पावन हिंद के पुण्य भूमि में,
विकास का नव प्रभात हो।
तुम्हारे शौर्य शक्ति, अदम्य से,
राष्ट्र नव उत्थान की आश हो॥
(४)
नव राष्ट्र का सपना साकार,मुट्ठी में सारा जहान हो।
स्वर्णिम,सशक्त,खुशहाल, राष्ट्र का नव निर्माण हो॥
शोषित, पीड़ित का हितैषी बनो,
न्याय, सम्मान दिलाना फर्ज है।
असमानता की खाई को पाटना,
तुम्हीं पर राष्ट्र का कर्ज है॥
(५)
जागो भारत के युवा शक्ति,नवप्रवर्तन के कर्णधार हो।
स्वर्णिम, सशक्त, खुशहाल, राष्ट्र का नव निर्माण हो॥
समरसता, सद्भाव का संचार हो,
उत्पीड़न, हिंसा का प्रहार करो।
राष्ट्र के शुभचिंतक नवयुवक,
राष्ट्र नवप्रवर्तन का आगाज करो॥
(६)
तुम्हीं भारत का भाग्य विधाता, प्रवर्तन का हुंकार भरो।
हे! भारत का युवा शक्ति, राष्ट्र का नव निर्माण करो॥
-----------------------------0----------------------------
रचना✍
स्वरचित एवं मौलिक
मनोज कुमार चंद्रवंशी बेलगवाँ
पुष्पराजगढ़ जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
रचना दिनाँक-१०|०७|२०२० (शुक्रवार)
नोट- मैं घोषणा करता हूँ कि रचना अप्रकाशित है।
(१)
हे! भारत का युवा शक्ति, भारत में नव विहान करो।
कर्मवीर, रणधीर, राष्ट्र का नव निर्माण करो॥
हृदय में नव स्वर सृजन कर,
युग प्रवर्तन का दामन थाम लो।
तरुण भारत के अभ्युदय में,
संकल्प शक्ति का गाँठ बांध लो॥
(२)
हे! साहसी वीर पुत्र, राष्ट्र के लिए कुछ कुर्बान करो।
निज प्रबल इच्छाशक्ति से,राष्ट्र का नव निर्माण करो॥
तरुण तव स्फूर्त स्कंध में,
राष्ट्र नव सृजन का भार है।
तुम ही राष्ट्र के प्रकाश पुंज हो,
स्वालंबन जीवन का सार है॥
(३)
हे! अरुण, तरुण, राष्ट्र नव उत्कर्ष का भाव बोध हो।
उन्नत राष्ट्र का नव निर्माण में, किंचित न अवरोध हो॥
पावन हिंद के पुण्य भूमि में,
विकास का नव प्रभात हो।
तुम्हारे शौर्य शक्ति, अदम्य से,
राष्ट्र नव उत्थान की आश हो॥
(४)
नव राष्ट्र का सपना साकार,मुट्ठी में सारा जहान हो।
स्वर्णिम,सशक्त,खुशहाल, राष्ट्र का नव निर्माण हो॥
शोषित, पीड़ित का हितैषी बनो,
न्याय, सम्मान दिलाना फर्ज है।
असमानता की खाई को पाटना,
तुम्हीं पर राष्ट्र का कर्ज है॥
(५)
जागो भारत के युवा शक्ति,नवप्रवर्तन के कर्णधार हो।
स्वर्णिम, सशक्त, खुशहाल, राष्ट्र का नव निर्माण हो॥
समरसता, सद्भाव का संचार हो,
उत्पीड़न, हिंसा का प्रहार करो।
राष्ट्र के शुभचिंतक नवयुवक,
राष्ट्र नवप्रवर्तन का आगाज करो॥
(६)
तुम्हीं भारत का भाग्य विधाता, प्रवर्तन का हुंकार भरो।
हे! भारत का युवा शक्ति, राष्ट्र का नव निर्माण करो॥
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रचना✍
स्वरचित एवं मौलिक
मनोज कुमार चंद्रवंशी बेलगवाँ
पुष्पराजगढ़ जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
रचना दिनाँक-१०|०७|२०२० (शुक्रवार)
नोट- मैं घोषणा करता हूँ कि रचना अप्रकाशित है।
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