मां
मां के चरणों में
चारो धाम है,
मां को मेरा नमन
बारंबार है।
मां दुआ से
बिगड़े काम बन जाते हैं,
जैसे खेतों में
फसल लहलहाते हैं,
मां के आंचल में
ही स्वर्ग धाम है
मां को मेरा नमन
बारंबार है।
कष्ट सह नव महीने पेट में पालती है मां,
जन्म से गीले में सो सूखे में सुलाती है मां,
मां छड़ में
कष्टों से देती आराम है
मां को मेरा नमन
बारंबार है।
उंगली पकड़कर
चलना सिखाती है मां,
अज्ञान हटा ज्ञान
भंडार दिलाती है मां,
मां सेवा से ही
तेरा नाम है
मां को मेरा नमन
बारंबार है
त्याग करुणा ममता
की मूर्ति है मां,
दुखों का सहारा
कामना पूर्ति है मां,
मां की सेवा में
मानो सुबह शाम है
मां को मेरा नमन
बारंबार है।
जीवन जीने की
कला सिखाती है मां,
अमृत जैसा दूध
पीला बड़ा बनाती मां,
मां का ऋण देने
का न दाम है
मां को मेरा नमन
बारंबार है।
रचना: मीनाक्षी पटेल
पुरैना , व्योहारी जिला
शहडोल मध्य
प्रदेश
मो. 9981415300
-000-
प्रकाशनार्थ रचनाएँ भेजें-
1. हमें इमेल करें: 📳 akbs980@gmail.com
2. व्हाट्सप करें- ✆ 8982161035
3. कृपया देखें- ➤➤नियमावली
4, सुझाव भेजने के लिए ⏩ कृपया यहाँ क्लिक करें
-000-
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें