शनिवार, अप्रैल 11, 2020

पिय तेरे आने से:कोमल चंद कुशवाहा की कविता


पिय तेरे आने से
जीवन तरु हरा हुआ है।
रोम-रोम हो गया प्रफुल्लित
जब से तुमने स्पर्श किया है।
अंग अंग रंग चढ़ा प्रेम का
भय वियोग का दूर हुआ है।
पिय तेरे आने से
जीवन तरु हरा हुआ है।

आ गई मधुरिमा नैनों में
अधरों में लाल कली।
पिय तेरे आने से
जीवन तरु हरा हुआ है।
झड़ते थे पहले भी आंसू
आज भी आंसू भरे हुए हैं।
पिय तेरे आने से
जीवन तरु हरा हुआ है।

रो-रो कर काटी थी रातें
नींद नहीं मैंनें जानी थी।
बीत गईं वह दुख की घड़ियां
अब आंखें अलसानी हैं।
पिय तेरे आने से
जीवन तरुण हरा हुआ है।

रोम-रोम हो गया प्रफुल्लित,
जब से तुमने स्पर्श किया है।
वर्षा शीत बसंत जलातीं
अब लू भी मन को भाती है।
पिय तेरे आने से
जीवन तरु हरा हुआ है।

रोम-रोम हो गया प्रफुल्लित
जब से तुमने स्पर्श किया है।
रितु बसंत छा गई है तन पर
अंग कलियां सब खिली हुई हैं।
पिय तेरे आने से
जीवन तरु हरा हुआ है।
रोम-रोम हो गया प्रफुल्लित
जब से तुमने स्पर्श किया है।
काव्य रचना: कोमल चंद कुशवाहा
(शोधार्थी हिंदी)
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा
मोबाइल 7610103589
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