हर रोज एक जंग
जब टूटकर मैं बिखर गया,लोगों ने कहा तू निखर गया
लड़ रहा अपने आप से ही
सोचता हूँ मैं गलत तो नहीं
मैं नहीं था तो था क्या
अब मैं हूँ तो क्या हो गया नया
मेरे होने का आशय ढूँढता हूँ हर कहीं
मेरा होना कहीं यूं ही तो नहीं
पग-पग चलूँ
वसुंधरा नाप लूँ
ये क्षितिज भी न दूर हो
आसमां मुझसे मजबूर हो
आसमान को चीरकर उडूँ
पाषाण को पानी कर मुडूँ
सूरज को रोशनी दूँ
शीतल हिमालय को करूँ
मौन भी बोल पड़े
संयम जब अधैर्य से लडे
मन में फूटे थे संकल्प ऐसे
करील वन में फूटता हो जैसे
इस संसार में अकेला मैं ही तो नहीं
होते हैं अनेक जन जाता हूँ जहाँ कहीं
सीख अपनी जब वे देने लगे,
प्रेमरस में अपने जब वे भिगोने लगे
अब पहचानूं कैसे रंग अपना
संसार यह सच है, या है सपना
जब नाम हो गया गुमनाम अपना
देने लगा उसे पहचान अपना
अब खुद को पहचानता कहाँ हूँ
इसकी वजह से या उसकी वजह से हूँ, जहाँ हूँ
मैं था अकेला, मुझे बनना था जो था मैं
कौन कहेगा कि मैं वो हूँ जो था मैं
खुद के साथ चलना, और चलना इनके साथ भी
रहना होता है खुद के साथ और इनके साथ भी
हर रोज एक जंग लड़ता हूँ
खुद से खुद को पाने की खातिर जंग करता हूँ
रचना:सुरेन्द्र कुमार पटेल
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मेरा होना कहीं यूं ही तो नहीं
पग-पग चलूँ
वसुंधरा नाप लूँ
ये क्षितिज भी न दूर हो
आसमां मुझसे मजबूर हो
आसमान को चीरकर उडूँ
पाषाण को पानी कर मुडूँ
सूरज को रोशनी दूँ
शीतल हिमालय को करूँ
मौन भी बोल पड़े
संयम जब अधैर्य से लडे
मन में फूटे थे संकल्प ऐसे
करील वन में फूटता हो जैसे
इस संसार में अकेला मैं ही तो नहीं
होते हैं अनेक जन जाता हूँ जहाँ कहीं
सीख अपनी जब वे देने लगे,
प्रेमरस में अपने जब वे भिगोने लगे
अब पहचानूं कैसे रंग अपना
संसार यह सच है, या है सपना
जब नाम हो गया गुमनाम अपना
देने लगा उसे पहचान अपना
अब खुद को पहचानता कहाँ हूँ
इसकी वजह से या उसकी वजह से हूँ, जहाँ हूँ
मैं था अकेला, मुझे बनना था जो था मैं
कौन कहेगा कि मैं वो हूँ जो था मैं
खुद के साथ चलना, और चलना इनके साथ भी
रहना होता है खुद के साथ और इनके साथ भी
हर रोज एक जंग लड़ता हूँ
खुद से खुद को पाने की खातिर जंग करता हूँ
रचना:सुरेन्द्र कुमार पटेल
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6 टिप्पणियां:
अति सुंदर
धन्यवाद प्रमोद जी
अच्छी कविता भाई
जिंदगी में आने वाली हर परिस्थिति जंग के ही समान है कविता पढ़ कर अच्छा लगा।👌
बहुत सुंदर कविता है। शब्द है और शब्द का जादू भी।
विरोधाभासी प्रतीत होता है,पर खुद को खोये बिना,खुद पा लेना संभव नही।
बहुत खूब कविता।
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