बेटी
अंजली सिंह
बेटी है जान से प्यारी,मोहक, चंचल और न्यारी।
बेटी है एक पवित्र जान्हवी,
जिसमें जीवन का सार समाया ।
अनाथों की भगिनी है बेटी,
दीनों की है नाथ ।।
हर विपदा सहने के लिए,
बना तुम्हारा गात ।।
बनिता ,पुत्री ,अनुजा बनकर,
रहती सबके साथ।।
एक घर की दीपक बनकर,
दूसरे घर के तम को देती मात।
इतनी सरल ,सहज बाला ,
समय कहर से कुट पिट कर,
बन जाती है ज्वाला।
हे निर्मल ,सलिला ,इन्दुमुखी,
प्यारी बेटी करुणमूर्ति तुम हो सबकी नाज ।।
सुख में, दु:ख में, जग में,
वैभव की पहचान,।।
कोयल की मीठी तान तुम,
और हर अम्माँ की जान ।।
रचनाकार
श्रीमती अंजली सिंह
(राज्यपाल पुरस्कार प्राप्त, 2018)
उच्च माध्यमिक शिक्षक
शास. उ. मा. विद्यालय भाद
जिला-अनुपपुर (मध्यप्रदेश)
5 टिप्पणियां:
🙏🙏👏💐
Excellent
बेटी से संबंधित भावनात्मक और वास्तविक उद्गगार के लिए हृदय से धन्यवाद।
बहुत ही प्रेरणादायक कविता।
Very Nice Poem
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