प्रकृति की खूबसूरती से सजा ये संसार है।
रंग-बिरंगे फूलों से छाई हुई बहार है ,
इनकी खुशबू से महका सब का द्वार है।
बारिश की पहली बूँदें जब धरती को छूती हैं ,
चारों तरफ फैली हरियाली पेड-पत्तियाँ झूमती है।
भोर भई जब सूरज की किरणें चमकती हैं ,
धरती के माथे पर मानो बिंदिया सी सजती हैं।
नदियों में ना कोई सीमाएं हैं,
मस्त मगन सी बहती जाती हैं।
धाराओं की शोर सराहें ,
जैसै कोई गीत सुनाती हैं।
पर्वत की चोटी से छुता आसमां हैं
चारो तरफ अपनी शान फैलने का
देता ये संदेश हैं।
धरती की खूबसूरती को
बर्फ़ और बादलों ने बढाया ।
कुदरत ने क्या यह अनमोल
उपहार बनाया ।
लगता हैं प्रकृति की खूबसूरती को
अपने हाथों से सजाया ।
आओं इसकी रक्षा में हम भी
हाथ बढायें,
इस अनमोल उपहार को सुंदर स्वच्छ
बनायें।
//रचना//
शोभा तिवारी✍
उत्तराखंड
[इस ब्लॉग में रचना प्रकाशन हेतु कृपया हमें 📳 akbs980@gmail.com पर इमेल करें अथवा ✆ 8982161035 नंबर पर व्हाट्सप करें, कृपया देखें-नियमावली]
रंग-बिरंगे फूलों से छाई हुई बहार है ,
इनकी खुशबू से महका सब का द्वार है।
बारिश की पहली बूँदें जब धरती को छूती हैं ,
चारों तरफ फैली हरियाली पेड-पत्तियाँ झूमती है।
भोर भई जब सूरज की किरणें चमकती हैं ,
धरती के माथे पर मानो बिंदिया सी सजती हैं।
नदियों में ना कोई सीमाएं हैं,
मस्त मगन सी बहती जाती हैं।
धाराओं की शोर सराहें ,
जैसै कोई गीत सुनाती हैं।
पर्वत की चोटी से छुता आसमां हैं
चारो तरफ अपनी शान फैलने का
देता ये संदेश हैं।
धरती की खूबसूरती को
बर्फ़ और बादलों ने बढाया ।
कुदरत ने क्या यह अनमोल
उपहार बनाया ।
लगता हैं प्रकृति की खूबसूरती को
अपने हाथों से सजाया ।
आओं इसकी रक्षा में हम भी
हाथ बढायें,
इस अनमोल उपहार को सुंदर स्वच्छ
बनायें।
//रचना//
शोभा तिवारी✍
उत्तराखंड
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें