रविवार, अगस्त 02, 2020

वक्त (कविता): बी एस कुशराम


वक्त (कविता)

वक्त बड़ा बलवान हैयह तो बहुत महान है।

वक्त की धारा जो अपनाता,वहीं खरा इंसान है।।

सुख में हंसाता दुख में रुलातावक्त वक्त की बात है,

वक्त चक्र तो चलता रहतावक्त सदा गतिमान है।वक्त की---।

वक्त से होता ऋतु परिवर्तनवक्त से ही दिन रात है,

बीता वक्त बहुरि ना आतावक्त की महिमा महान है। वक्त की-----।

बालापन यौवन बुढ़ापा,वक्त ही तो बताता है,

जीवन चक्र वक्त भरोसेकहते सभी सुजान है। वक्त की-----।

वक्त भला है वक्त बुरा हैवक्त ये देता परिचय है,

अच्छा बुरा तो आता रहतावक्त चक्र गतिमान है। वक्त की-----।

व्यर्थ गंवाओ नहीं वक्त को,वक्त के सब पाबंद रहो,

सद प्रयत्न परिश्रम करिएवक्त क्षणिक मेहमान है। वक्त की-----।

वक्त बड़ा अनमोल हैइसका कोई मोल नहीं,

सदुपयोग वक्त का करिएबन जाएंगे काम है। वक्त की-----।

वक्त सफलता की कुंजी है,वक्त पकड़ सब काम करो,

कामयाबी मिलके रहेगीयह कहता "कुशराम" है।।

वक्त बड़ा बलवान हैयह तो बहुत महान है।

वक्त की धारा जो अपनातावही खरा इंसान है।।

रचनाकार-बी एस कुशराम बड़ी तुम्मी

जिला अनूपपुर (मध्य प्रदेश)

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