शनिवार, अगस्त 15, 2020

मेरा भारत देश : मनोज कुमार चंद्रवंशी

मेरा भारत देश

मेरे    प्यारा   भारत   के    स्वर्णिम    धरा   में,
जहाँ    ज्ञान    विज्ञान   का    अभ्युदय   हुआ।
ऋषि   मुनियों  का  अनुपम   दिव्य  तपस्थली,
जहाँ  गौरवशाली  संस्कृति  का  उद्भव  हुआ॥

ध्रुव,  प्रहलाद,  वीर   जवानों   की   धरती  है,
जहाँ गौतम बुद्ध,महावीर स्वामीअवतार लिए।
जिनके   कीर्तियाँ   जग   में   अतीव   अपार,
धरा में  महान विभूतियाँ अद्भुत सृजन किये॥

हिंद  भूमि    बहु    सभ्यताओं   की    पलना,
जहाँ  कला, ज्ञान, शिल्प  का अद्भुत संगम है।
गंगा, यमुना  की   कल - कल  धारा  बहती है,
जहाँ जन हिंद के गौरव को करते हृदयंगम हैं॥

भारत में अतुलित  खनिज  संपदा  का भंडार,
जहाँ की उर्वर भूमि में हीरा, सोना  उगलता है।
पवन  सी   गंगा   बहकर  खेतों  में  आती  है,
जहाँ की  वैभव दृष्टिपात कर  रिपु  जलता है॥

हिंद  के   मस्तक   में    हिमाद्रि   मुकुट  सोहे,
जहाँ   पर   सप्त   गिरि  श्रृंग  सहोदर   बहना।
अथाह  सिंधु  माँ  भारती   के  सदा  पग धुले,
वतन  के   अनुपम  सौंदर्य  को  क्या कहना॥

हिंदआदि काल से सनातन धर्म का परिपोषक,
जहाँ समरसता, सद्भाव  का  रसधार  बहा  हो।
"वसुधैव कुटुंबकम"का भाव हर भारतवासी में,
जहाँ भाईचारा,सह अस्तित्व का भाव रहा हो॥

हिंद के पुण्य भूमि में काले-गोरे का भेद नहीं,
जहाँ    पर   सभी   माँ   भारती   के   संतान।
जाती-पातीं,छुआछूत ऊँच-नीच का भेद नहीं,
जहाँ   पर  स्वतंत्रता,  समानता  एक समान॥

                ✍ रचना
          स्वरचित एवं मौलिक
         मनोज कुमार चंद्रवंशी
      जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
    रचना दिनाँक-15/08/2020

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