स्वतंत्र भारत
बहुमूल्य रत्न अनेक निछाबर
किये,
लाल, बाल, पाल सा विभूतियां
गमाया है।
तब कहीं मिली है आजादी
कठिनाई से,
अगस्त सैतालीस में स्वराज
को पाया है।
जिम्मेदारी बढ़ गयी विकास
आन्दोलन की,
चूसकर विदेशियों ने जमकर
रुलाया है।
बाद स्वतंत्रता के अपनी
सरकार बनी,
अपने हिसाब से विधान को
बनाया है॥
शिक्षा प्रसार कर दरिद्रता को दूर करें,
पंचवर्षीय योजना इक्यावन से
चलाया है।
खाद्यान्न वृद्धि करें हरित
क्रांति लाकर,
मुत्युदर कमी हो औषधालय बनबाया
है॥
आर्थिक प्रगति में न पीछे
रहें किसी से,
सड़क, बंदरगाह, रेल निर्मित
कराया है॥
भारत अखंड रहे सीमा
सुरक्षित हो,
जल, थल, वायु न्यू तकनीकी
अपनाया है।
आवागमन साधनों की कमी नहीं
होने पाये,
रेलमार्ग सड़कों का जाल
बिछवाया है॥
अंतरिक्ष मामले में हम किसी
से कम नहीं,
चन्द्रमा, मंगल ग्रह में
कब्ज़ा कराया है॥
महिला न पीछे हों काम और
नाम करें,
भागीदारी उनका भी निश्चित
कराया है।
स्वावलंबी हम बने किसी पर न
आश्रित हों,
कारखाना उद्योग हमने लगाया
है।
मोबाइल राज आया उसमें भी
आगे रहें,
भारत को हमने डिजिटल कराया
है।
राम सहोदर कहें शिक्षित,
कर्मठ बनो,
जगतगुरु इण्डिया हो, अवसर
फिर आया है॥
रचना: राम सहोदर पटेल, शिक्षक
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1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर रचना सर
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