बुधवार, मई 27, 2020

किसान पिता और पुत्र: बी एस कुशराम


किसान पिता और पुत्र

परदेश न जा लल्ला, कमाबै यहाँ गल्ला। परदेश न जा....
परदेश जा हूँ दादा, पैसा कमाहॅूं ज्यादा। परदेश जा हूँ...--

खुद के जमीन है, दो हर के बरदा।
हर जोते खातिर, हम दो जन मरदा॥

कोऊ नहीं निठल्ला, परदेश न जा..--

संगी संगबारी सब, जाथे बहुत जन।
वहाॅं रहिके कमाबो हम बहुत सा धन॥

या मोर है इरादा, परदेश जा हॅूं दादा....................

घर के चिराग तै, एकै ठन पुत्तर।
वहाॅं कुछ हो जाई, ता का देहूँ उत्तर॥

लई देहूॅं चांदी छल्ला, परदेश न जा लल्ला...........

वहाॅं कमाहूॅं औ लेहूॅं मोबाइल।
तोर निता जाकिट औ अम्मां के पायल॥

फोन करहॅूं दादा, परदेश जा के दादा.........

फोन से बात भइस, यहाॅं फैले कोरोना।
लाॅकडाउन लागू है, घर से निकरोना॥

काम बंद दादा, पैसा नहीं ज्यादा। परदेश जाके.........

बाप के कहना तो माने तै नहीं।
लौट कइसे आबे, तै ठहर जा वहीं॥

अब का करिहे लल्ला, न देहीं कोऊ धेल्ला। परदेश माहीं....

मा-बाप के कहना, तोही मान ले चाही।
कुशरामकहे सुख चैन मिलत घर माहीं॥

अब घर आ जा लल्ला, घर मां हवे गल्ला। परदेश छोड़....
समझ गयो दादा, पलटगे मोर इरादा। परदेश जाके .....
बी एस कुशराम
प्रभारी प्राचार्य, हाई स्कूल बड़ी तुम्मी

विकासखंड-पुष्पराजगढ़जिला-अनूपपुर
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