"जीवन का दीपक बुझा नहीं है"
जीत पर्यंत तक लौ दीपक का,
प्रज्वलित है निज अतरंग में ।
निमिष मात्र अविराम नहीं,
अति उद्वेग समाविष्ट अंतर्द्वंद में ॥
इस वीर बसंतों की समर भूमि में,
जंग हेतु अपना कमर तैयार करो।
हृदय से निज ममत्व, मोह का,
अब अति शीघ्र परित्याग करो॥
चाहे मेघ की तीव्र गर्जना हो,
या अति तीक्ष्ण चले बयार।
विजय की जंग उमंग में,
पराक्रमी, शौर्य, वीर हो तैयार॥
योद्धाओं की इस रणभूमि में,
प्रतिद्वंदी का बज चुका दुदुंभी।
प्रविष्ट कोरोना सैन्य सकल महि में,
अब स्वयं कमर कसा प्रतिद्वंदी॥
हृदय में आदम्य समाविष्ट कर,
अब धीर, वीर संघर्ष करो।
निज कायरता को परित्याग कर,
इस जीवन में उत्कर्ष करो॥
जीवन दीपक प्रदीप्त कर उर में,
अंतःपटल में नवजोश सृजन करो।
अब बुज दिल को उद्दीप्त कर,
सर्व वसुधा जनार्दन के कसक हरो॥
विश्व विक्षिप्त है इस समर से,
निज अंतः करण में क्रोध है।
इस मन में अति ग्लानि है,
किंचित न आमोद - प्रमोद है॥
निज निकेतन से बहिर्गमन कर,
जीवन में नव उच्च श्वास भर।
इस प्रतिकूल परिस्थितियों में,
सकल उर्वी जीव के क्लेश हर॥
कामयाब हो इस महा जंग में,
घट नूतन अरमान सृजन कर।
एकदिन विश्व विजय होगा भारत,
भारत का तत्क्षण विजयगान कर॥
स्वरचित एवं मौलिक
मनोज कुमार चंद्रवंशी
जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
जीत पर्यंत तक लौ दीपक का,
प्रज्वलित है निज अतरंग में ।
निमिष मात्र अविराम नहीं,
अति उद्वेग समाविष्ट अंतर्द्वंद में ॥
इस वीर बसंतों की समर भूमि में,
जंग हेतु अपना कमर तैयार करो।
हृदय से निज ममत्व, मोह का,
अब अति शीघ्र परित्याग करो॥
चाहे मेघ की तीव्र गर्जना हो,
या अति तीक्ष्ण चले बयार।
विजय की जंग उमंग में,
पराक्रमी, शौर्य, वीर हो तैयार॥
योद्धाओं की इस रणभूमि में,
प्रतिद्वंदी का बज चुका दुदुंभी।
प्रविष्ट कोरोना सैन्य सकल महि में,
अब स्वयं कमर कसा प्रतिद्वंदी॥
हृदय में आदम्य समाविष्ट कर,
अब धीर, वीर संघर्ष करो।
निज कायरता को परित्याग कर,
इस जीवन में उत्कर्ष करो॥
जीवन दीपक प्रदीप्त कर उर में,
अंतःपटल में नवजोश सृजन करो।
अब बुज दिल को उद्दीप्त कर,
सर्व वसुधा जनार्दन के कसक हरो॥
विश्व विक्षिप्त है इस समर से,
निज अंतः करण में क्रोध है।
इस मन में अति ग्लानि है,
किंचित न आमोद - प्रमोद है॥
निज निकेतन से बहिर्गमन कर,
जीवन में नव उच्च श्वास भर।
इस प्रतिकूल परिस्थितियों में,
सकल उर्वी जीव के क्लेश हर॥
कामयाब हो इस महा जंग में,
घट नूतन अरमान सृजन कर।
एकदिन विश्व विजय होगा भारत,
भारत का तत्क्षण विजयगान कर॥
स्वरचित एवं मौलिक
मनोज कुमार चंद्रवंशी
जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
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