बुधवार, मई 20, 2020

साजन के आँगन में (प्रेम गीत): मनोज कुमार

साजन के आँगन में (प्रेम गीत)

साजन के आँगन  में  मन की बगिया  लगाऊंगी।
नैन जल से  सिंचित कर  उसे पुष्पित  बनाऊंगी॥
            तन  और   मन  पुलकित   होगा,
            जीवन का हर पल पुलकित होगा।
                 साजन के आँगन में॥

फूलों की कलियों के ऊपर अपनी सेज सजाऊंगी।
सुख-दुख ग्रीवा के नीचे निज ममता दिखालाऊंगी॥
             स्नेह प्यास है रग - रग में,
             प्रेम खुशी  है पग -पग में ।
                साजन के आँगन में॥

मन के इस सुंदर बगिया में विविध सुमन की खिलेंगे।
साकार  होगा तब  सपना  जब युगल  हृदय  मिलेंगे॥
         जब वक्त आएगा  प्रेम प्रसंग का,
         चिर काल सुधि निज अंतरंग का।
                साजन के आँगन में॥

प्रेम भाव की रसधार बहाकर उसमें स्नान कराऊंगी।
प्रेम अमिय का स्वाद चखा कर  मैं महत्ता बताऊंगी॥
           हर्षित  होगा  तन-मन   सारा,
           तब उदित होगा भोर का तारा।
                 साजन के आँगन में॥

कर्ण  में  घोलूंगी  प्रेमरस  शुचि,  सुह्रद और  सरस।
युगल हृदय तृप्त होगी सुधि आएगी  जीवन का रस॥
        विविध क्रीडा होगी हृदय स्थल में,
         उन्मादित  होगा  हृदय  पटल  में।
              साजन के आँगन में॥

जीवन के प्रेम की बगिया नित फूले - फले  हरियाय।
प्रेम   की  तृष्णा  ना  बुझे  दिन-दिन  बढ़ती  जाए॥
                 इस अनुराग भरे जीवन में,
                 मेरे  प्रियतम  के आंगन में।
                     साजन के आँगन में॥
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                        रचनाकार
  मनोज कुमार चंद्रवंशी (शिक्षक) ग्राम बेलगवाँ
     पोस्ट उमनियाँ विकासखंड पुष्पराजगढ़
              जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश

2 टिप्‍पणियां:

Ram Sahodar Patel ने कहा…

अति सुन्दर

Unknown ने कहा…

हृदय की अनंत गहराइयों से आपको साधुवाद

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