चाहे मुसीबत हो भारी,
जंग हमारी है जारी।
घर में बैठें कुछ काम करें,
समर अभी है बाकी।
नहीं रुके हैं, नहीं रुकेंगे,
चाहे हों हम एकाकी।।
किसी को 'कोरोना' से नहीं है डरना,
हम सभी को इससे मुकाबला है करना।
इसे पैर नहीं फैलाने देना है,
साफ-सफाई का संकल्प हमें लेना है।।
'सोशल डिस्टेंसिग' है सभी को रखना,
सभी को यह बतालाना है।
मास्क पहनना, घर में रहना
और बार-बार हाथ है धोना।।
निश्चित है यह होगा हमसे दूर
यदि आचरण हो समझदारी से युक्त।
रहेंगे हम सुरक्षित, समाज भी रहे
इसके चंगुल से मुक्त।।
हाथ धुलाई सभी करें हम,
गले नहीं मिलाएं हम।
इसे मजाक में नहीं है लेना
तो सुरक्षित बच जाएंगे हम।।
भीड़ में नहीं जाना है,
सभी को बचाना है।
नहीं थूंकना कहीं किसी जगह ,
हांथ अब नहीं मिलाना है।।
यह भारत विश्व गुरु है,
हमसे हार सभी ने मानी है।।
जब भी हम एक हुए हैं,
जग ने हमारी एकता जानी है।।
हम जीते हैं, हम ही जीतेंगे,
सफल किया मार्च 22 का जनता कर्फ्यू।
जब शेष है अभी लड़ाई,
फिर घर से हम निकलें क्यूं?
लापरवाही पड़ेगी भारी,
'लाकडाउन' अभी है जारी।
हम सभी ने ठाना है,
'कोरोना' को भगाना है।।
अत: अब हम सभी की बारी है,
'कोरोना' को हटाने की तैयारी है।
मानवता और कोरोना के बीच,
जंग अभी जारी है।।
रचनाकार:अंजली सिंह, (राज्यपाल पुरस्कार प्राप्त)उच्च माध्यमिक शिक्षक,शा. उ. माध्य. विद्यालय भाद
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