शनिवार, जनवरी 25, 2020

हमारा गणतंत्र महान हो:सुरेन्द्र कुमार पटेल




71 वां दिवस गणतंत्र का,
हमारा गणतंत्र महान हो।
विशाल व्योम-क्षितिज से,
आशाओं का नव बिहान हो।

वसुधा विशाल, सुधा-सिंचित
कृषि की अपार संभावना।
शक्ति सम्पन्न हो मूलतः धरा,
पुष्पाच्छादित वृक्ष फलघना।

जलराशि पूरित सर-सरित,
खनिज तत्व प्रचुर है धना।
उदधि से ऊर्ध्व होता मानसून,
उत्तर से हिम वायु करे वंदना।

संविधान-विधि पोषित गणतंत्र का,
'हम भारत के लोग' शक्ति श्रोत बने।
पंथनिरपेक्ष,समाजवादी, लोकतंत्रात्मक
गणराज्य में हम विविध धर्म, जाति के सने।

अनंत पर्व, पंथ, वेशभूषा अनन्त,
यह गणतंत्र, अनेक रीतियों की आशा।
हैं अनेक श्रोत, संस्कृति मगर एक,
भारतीयों की यद्यपि बोली-बहुत-भाषा।

संकट हटा थाल में मिला हमें,
यह गणतंत्र गांधी के स्वराज का।
अवलोक लोकतंत्र है यही क्या,
कल्पना गांधी-सा लोकतंत्र आज का?

स्फूर्त का नवसंचार हो विकासपथ पर,
बढ़ें सब साथ-साथ राष्ट्र के नवनिर्माण में।
मिथक का न प्रसार हो देशहित बना रहे,
उल्लास न बिखर जाए ढूढ़ने प्रमाण में।

भौगोलिक सीमाओं से सीमित मात्र
राष्ट्र का अवलंब है नहीं भूगोल ही।
राष्ट्रवासियों के मध्य प्रेम का प्रसार हो,
राष्ट्र के राष्ट्रवाद का संवाहक हैं लोग ही।

उन्नति के चिन्ह अनेक दिए इस गणतंत्र ने,
भारतोदय हुआ सूर्य-सा विश्व मानचित्र में।
भावपुष्ट हो भारतीयता का हर भारतीय में,
हर भारतीय का भाल भारत के चित्र में।

राष्ट्रवासियों का हितध्यान रख सदा,
विकास राष्ट्र का इस तरह किया करें।
स्वहित रक्षक ही रहें नहीं, परहित में
स्वहित का अंश त्याग भी कुछ किया करें।

अपने गणतंत्र को करें नमन सदा,
स्वतंत्रता अक्षुण्ण है, सदा बना रहे।
रक्षित हो शहीदों का स्वातंत्र्य भाव,
आजादी का श्रृंगभाव सदा बना रहे।

जब-जब उठे तिरंगा पवित्र हाथ में,
तब-तब नमन करने झुका आसमान हो।
हर भारतीय में उल्लसित भाव हो और
सावधान हो मुंह से उच्चरित राष्ट्रगान हो।

71 वां दिवस गणतंत्र का,
हमारा गणतंत्र महान हो।
विशाल व्योम-क्षितिज से,
आशाओं का नव बिहान हो।

रचनाकार -सुरेन्द्र कुमार पटेल
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6 टिप्‍पणियां:

अखिलेश कुमार पटेल ने कहा…

Very nices sir

आपस की बात सुनें ने कहा…

रचनाकार का मनोबल बढाने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.

Er. Pradeip ने कहा…

बहुत खूबसूरत पंक्तियां सर,

सुरेन्द्र कुमार पटेल ने कहा…

शुक्रिया प्रदीप जी.

Gyan Punj ने कहा…

मैं किन शब्दों में अपने अल्फाज को बयान करूं समझ नहीं पा रहा हूं सच कहूं तो बिन कहीं ही इन अल्फाजों का मतलब आप समझ लेना कविताओं में जो गहराई है कह नहीं सकता आपने हमें कैद कर लिया है अब निकलना मुश्किल है

आपस की बात सुनें ने कहा…

(उपरोक्त टिप्पणी मेजर श्री के के पटेल जी की है)
उक्त प्रोत्साहन के लिए आपका बहुत-बहुत आभार हमारी टीम और हमारे रचनाकारों के लिए आपके ये शब्द बहुत मूल्यवान हैं. ऐसा ही सहयोग बनाये रखियेगा. बहुत-बहुत आभार.

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