बेजुबान
राज कल रात बहुत देर से सोया क्योंकि वह रावण दहन देखने गया था। सुबह राज बहुत देर तक सोता रहा। जब उसके फ्रेंड ने उसे आकर उठाया और उससे कहा-कोचिंग जाना है। कोचिंग के लिए देर हो रही है। तब राज उठकर जल्दी से रेडी हुआ और कोचिंग के लिए जाने लगा। कोचिंग के लिए जाते समय उसने एक मासूम-सी गाय को रोड के किनारे कराहते देखा। उसका एक्सीडेंट हो गया था। वह दर्द से कराह रही थी। राज वहां कुछ देर तक रुका। वह सोच रहा था कि इस गाय की मदद मैं कैसे करूं? वह अपने दोस्त को बोला कि हॉस्पिटल वाले को सूचना कर दें और गाय को ले जाकर इसका इलाज करें। इस पर उसके दोस्त ने हॉस्पिटल वालों को फ़ोन किया। हॉस्पिटल वालों ने कहा कि हम आकर गाय को ले जाएंगे और इसका इलाज कर देंगे। राज का मन थोड़ा-सा शांत हुआ। यह गाय बच जाएगी, यह सोचते हुए वह कोचिंग चला गया।
कोचिंग में पढ़ते समय राज के मन में यही बात आये कि उस गाय को इलाज के लिए ले गए होंगे या नहीं। गाय कैसी होगी? राज का मन पूरी तरह से उसी गाय की चिंता में लगा था। उसे लग रहा था कि जल्दी से कोचिंग समाप्त हो और वह देख सके कि गाय कैसी है। तभी कुछ देर बाद उसके कोचिंग वाले सर ने उससे पूछा- "क्या हुआ? तुम इतने परेशान क्यों लग रहे हो? तब उसने पूरी बात सर को बताई। सर ने उससे कहा कि हॉस्पिटल वाले गाय को अभी नहीं ले गए होंगे क्योंकि सुबह-सुबह वर्कर लोग नहीं आते। अब उसे गाय के लिए और भी ज्यादा चिंता होने लगी। दो घंटे बाद जैसे ही कोचिंग समाप्त हुई जल्दी से वह उस स्थान पर गया जहां गाय का एक्सीडेंट हुआ था। वहां जाकर देखा तो पाया कि गाय उसी हालत में वहीं पर पड़ी थी। गाय को देखकर राज को लगा कि लोग बेजुबानों का दर्द कैसे भूल जाते हैं। दो घंटे तक उसे लेने कोई नहीं आया। लोग रास्ते से जाते हुए उसे देख कर चले जाते हैं। कोई उसकी मदद नहीं कर सका। राज ने गाय की मदद के लिए फिर से अस्पताल में कॉल किया और पता किया कि अभी तक गाय की मदद के लिए वह लोग क्यों नहीं आए हैं। तब अस्पताल वालों ने कहा कि वह लोग आ रहे हैं। अभी रास्ते में हैं। वह गाय के पास खड़ा-खड़ा उसकी तकलीफ नहीं देख सकता था। उसने पास की ही एक दुकान से प्लास्टिक की बाल्टी में पानी पिलाने की कोशिश किया किन्तु वह पानी नहीं पी। राज ने उसे खाने के लिए कुछ केले उसके मुँह के पास रखे किन्तु उसका दर्द के मारे बुरा हाल था। वह दर्द से छटपटा रही थी। वह केला नहीं खा सकी। राज सोचने लगा कि अब वह उसका दर्द कैसे कम कर सकता है।
उसने पास की दुकान से कुछ दवाइयां और घाव में लगाने वाली पट्टी ली और गाय को लगाया। इससे गाय की तकलीफ थोड़ी-सी कम हुई। तब तक अस्पताल वाले भी आ गए और उसे इलाज के लिए ले गए।
अगले दिन राज कुछ दोस्तों के साथ अस्पताल गया। वहां उसने देखा कि गाय का ठीक तरह से इलाज हो रहा है। इससे उसको बहुत अधिक खुशी हुई। परन्तु उसे इस बात का बहुत अफसोस था कि लोग गाय-बछड़ों को सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं जिससे उन्हें तेज वाहन ठोकर मारकर निकल जाते हैं और बेजुबान प्राणी सिर्फ दर्द से कराहते रहते हैं । उसे लगा इंसान इतना निर्दयी और संवेदनाहीन कैसे हो गया है!
रचना:सौरभ पटेल
कक्षा-11, शा.उत्कृष्ट उच्च माध्यमिक विद्यालय ब्योहारी
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3 टिप्पणियां:
अच्छी कहानी है
Thanks
बहुत अच्छा विचार के साथ कार्य,सौरभ जी
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