आज कार्तिक मास की त्रयोदसी अर्थात तेरहवीं तिथि है. आज का दिवस अलग-अलग मान्यताओं के कारण विशेष महत्व रखता है. मान्यताएं धार्मिक ग्रंथों एवं जनश्रुतियों पर आधारित होती हैं. प्रत्येक मान्यता के पीछे एक सन्देश छिपा रहता है, जिसे प्रतीक के रूप में लोग मनाते चले जाते हैं. कई बार ऐसा होता है कि सिर्फ प्रतीक शेष रह जाता है और उसका सन्देश पूरी तरह गायब हो जाता है. आइये जानते हैं आज के दिन के लिए प्रचलित विभिन्न मान्यताओं और उसके पीछे छिपे संदेशों के बारे में.
1. ऐसा माना जाता है कि समुद्रमंथन के परिणामस्वरूप आज के ही दिन भगवान धन्वन्तरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. धन्वन्तरी को हिन्दू धर्म में देवता का पद प्राप्त है.कुछ जनश्रुतियों के आधार पर ऐसा माना जाता है कि वे सेन(नाई) वंश के थे तथा वह महान चिकित्सक थे. उन्हें विष्णु का अवतार भी माना जाता है. आज के दिन उनका अवतरण दिवस है और चिकित्सा क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों के कारण भारत सरकार ने आज के दिन को आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. धन्वन्तरी को आरोग्य का देवता कहा जाता है.
2. जैन सम्प्रदाय की मान्यता के अनुसार आज के दिन को "ध्यानतेरस" के रूप में मनाया जाता है. महावीर स्वामी आज के ही दिन ध्यानस्थ हुए थे तथा तीन दिन के ध्यान के बाद दीपावली के दिन महानिर्वाण को प्राप्त हुए थे.
3. कुछ स्थानों पर आज के दिन धनिया खरीदते हैं और दीपवाली के बाद उसे खेतों में बोते हैं.
4. आज के दिन चांदी खरीदने की प्रथा है. चांदी को चन्द्रमा का प्रतीक माना जाता है और चंद्रमा को शीतलता का प्रतीक माना जाता है. शीतलता को संतोष का पर्याय माना गया है. संतोष सभी प्रकार के सुखों का मूल माना गया है. इस प्रकार चांदी खरीदना हमारे संतोष भाव का प्रतीक है.
5. आज के दिन सोना खरीदने की भी प्रथा है. ऐसा माना जाता है कि आज के दिन खरीदी गयी वस्तु अपने मूल्य का तेरह गुना वृद्दि करती है. इसीलिये लोग सोना खरीदते हैं.
6. आज के दिन दक्षिण दिशा में दीपदान की भी प्रथा है. लोककथा के अनुसार हेम नाम के देवता के पुत्र की कुंडली में विवाहोपरांत अकाल मृत्यु का योग था. हेम ने अपने पुत्र को आजन्म अविवाहित रखने के उद्देश्य से एकांत में रख दिया किन्तु संयोग से उस एकांत में भी एक कन्या से मुलाकात हो जाती है और उस कन्या के मोहपाश में फंसकर हेम का पुत्र उस कन्या से गंधर्व विवाह कर लेता है. तब यमदूत को उसके प्राण हरने ही पड़ते हैं. हेम ने जब यमदूत से पूछा कि क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है तो उसने बताया कि जो लोग धनतेरस की शाम को यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखते हैं उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगन में यम देवता के नाम पर दीया जलाकर रखते हैं। इसी कारण आज से ही दीप जलाने की शुरुआत हो जाती है.
इसी प्रकार अन्य कथाएं भी प्रचलित हैं. हमें धार्मिक प्रथाओं एवं मान्यताओं को हमेशा वर्तमान परिदृश्य में उसकी प्रासंगिकता के अनुसार मनाना चाहिए. धनतेरस का दिन हमें आरोग्य रहने की प्रेरणा देता है. हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क और सावधान रहने की सीख देता है. साथ ही दीपक हमारी दृष्टि का प्रतीक है. दीपक हमें जागरूक रहने की प्रेरणा देता है. धन की अपनी महिमा है. धनतेरस हमें सिखाता है कि जीवन में धन का कितना महत्व है. महात्मा गाँधी ने भी कहा है धन का जीवन में बहुत महत्व है. धन के अभाव में बहुत से कार्य पूरे नहीं हो पाते. किन्तु जिस प्रकार धन के अभाव में बहुत सी बुराईयाँ होती हैं वैसे ही धन के आधिक्य में भी बुराई है क्योंकि अधिक धन अहंकार का कारण बनता है.
धनतेरस के दिन बहुत से लोग विशेष वस्तुएं खरीदते हैं. किन्तु बहुत से लोग नहीं खरीद पाते. वह मन मसोस कर रह जाते हैं. जिनके पास अधिक सामर्थ्य है वे ऐसे लोगों की कोई आर्थिक सहायता करके धनतेरस के दिन अपने धन से लोगों का सहयोग कर वास्तविक आशीष प्राप्त कर सकते हैं.
धनतेरस का दिन हमें उपयोगी कार्यों के लिए धन बचाकर रखने तथा उस धन से जरूरतमंद व्यक्तियों का सहयोग करने की याद दिलाता है. हमारे धन से कई छोटे-बड़े दुकानदारों की आजीविका चलती है, अतः हमें अपने धन से जरूरत की चीज खरीदनी चाहिए किन्तु किवदंतियों के फेर में पड़कर आवश्यक कार्यों के लिए संचय किये गये धन को व्यर्थ नष्ट होने से बचाने का भी संकल्प लेना चाहिए.
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1 टिप्पणी:
अच्छी जानकारी सर
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