आपके आसपास ऐसे कई लोग हैं जो सफल हैं और ऐसे भी कई लोग हैं जिन्हें लगता है कि वे असफल हैं। ऐसे लोग जो जीवन में कभी असफल नहीं हुए उनके बारे में आपकी क्या राय है? निश्चित ही ऐसे लोगों के प्रति आपके मन में सम्मान का भाव होता है। कभी असफल न होना दो बातें बताती हैं एक तो यह कि व्यक्ति ने सफलता के लिए पूरे मन से प्रयत्न किए हैं और दूसरा यह कि व्यक्ति ने केवल उतना किया है जिसमें सफल होना उसके लिए पूरी तरह निश्चित था। उसने हद में रहकर ही काम किया है। अक्सर जो हदें पार नहीं करते, उनके लिए असफल होने का खतरा कम होता है। किन्तु दुनिया में चमत्कारिक परिवर्तन हदों में रहने से नहीं बल्कि हदें तोड़ने से आते हैं। इसमें खतरे बहुत अधिक हैं।
असफलता को सबसे सुंदर तरीके से अभिव्यक्त करने वाले एडीसन अल्वा ने एक बार कहा कि वह स्कूल में जो भी सीखते, उसमें नाकाम साबित होते। उन्हें पहली दो नौकरियों से निकाल दिया गया था। ऐसे ही हज़ार नाकामियों के बाद उन्होंने वो कर दिखाया जिसके बाद पूरी दुनिया ने उनका लोहा माना। इस सफलता के बाद उन्होंने कहा, 'मैं हारा नहीं बल्कि मैंने ऐसे हज़ार रास्ते खोजे जिनसे सफलता नहीं मिल सकती'। दुनिया के सबसे अमीर इंसान बनने से पहले बिल गेट्स ने हावर्ड कॉलेज में बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी थी। इसके बाद उन्होंने अपना पहला बिज़नेस शुरू किया जो बुरी तरह असफल साबित हुआ। दुनिया में जीनियस के तौर पर पहचाने जाने वाले वैज्ञानिक आइंस्टीन चार साल तक बोल और सात साल की उम्र तक पढ़ नहीं पाते थे। इस कारण उनके मां-बाप और शिक्षक उन्हें एक सुस्त और गैर-सामाजिक छात्र के तौर पर देखते थे। इसके बाद उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया और ज़्यूरिच पॉलिटेक्निक में दाखिला देने से इंकार कर दिया गया। इन सब के बावजूद वे भौतिक विज्ञान की दुनिया में सबसे बड़ा नाम साबित हुए। अल्बर्ट आइंस्टीन ने दुनिया को सापेक्षिकता का सिद्धांत दिया। नौकरी के दौरान वॉल्ट डिज़्नी को अख़बार के संपादक ने ये कहकर निकाल दिया कि उनके पास कल्पनाशीलता और नए विचार नहीं है। इसके बाद उन्होंने अपने व्यवसाय शुरु किए लेकिन दिवालिए हो गए। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उनके नाम से एक पूरा साम्राज्य चलता है जिसके हम सब गवाह हैं। नोबल पुरस्कार विजेता और दो बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चुने गए विंस्टन चर्चिल की भी कहानी संघर्ष से भरी है। स्कूली शिक्षा के दौरान चर्चिल 6वीं क्लास में फेल हुए। इसके बाद प्रधानमंत्री बनने से पहले अपने हर चुनाव में वो फेल हुए लेकिन उन्होंने मेहनत करना नहीं छोड़ा। अपनी पूरी ज़िंदगी के दौरान विंसेंट अपनी बनाई सिर्फ एक ही पेंटिंग बेच पाए थे। वो एक भी उनके दोस्त ने बहुत कम पैसों में खरीदी थी। आज विंसेंट कला के सबसे बड़े दिग्गज़ों में गिने जाते हैं और उनकी पेंटिंग्स करोड़ों में बिकती हैं। दुनिया में अरबों कमाने वाली जुरासिक पार्क जैसी फिल्म के निर्देशक स्पिलबर्ग को एक बार नहीं तीन बार कैलिफॉर्निया की साउदर्न यूनिवर्सिटी ऑफ थियेटर एंड टेलीविज़न में दाखिले से इंकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने कहीं और से शिक्षा ली और अपने काम के लिए बीच में पढ़ाई छोड़ दी। 35 साल बाद वो दोबारा उस कॉलेज में पहुंचे और ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।भारत की ओर से नोबल पुरस्कार जीतने वाले महान क़वि और साहित्यकार रबिंद्रनाथ टैगोर स्कूल में फेल हो गए थे। उनके शिक्षक उन्हें पढ़ाई में ध्यान न देने वाले छात्र के तौर पर पहचानते थे। बाद में वही टैगोर देश का गर्व साबित हुए। रबिंद्रनाथ टैगोर ने ही लिखा था कि "हर ओक का पेड़, पहले ज़मीन पर गिरा एक छोटा सा बीज होता है."
असफलता को सबसे सुंदर तरीके से अभिव्यक्त करने वाले एडीसन अल्वा ने एक बार कहा कि वह स्कूल में जो भी सीखते, उसमें नाकाम साबित होते। उन्हें पहली दो नौकरियों से निकाल दिया गया था। ऐसे ही हज़ार नाकामियों के बाद उन्होंने वो कर दिखाया जिसके बाद पूरी दुनिया ने उनका लोहा माना। इस सफलता के बाद उन्होंने कहा, 'मैं हारा नहीं बल्कि मैंने ऐसे हज़ार रास्ते खोजे जिनसे सफलता नहीं मिल सकती'। दुनिया के सबसे अमीर इंसान बनने से पहले बिल गेट्स ने हावर्ड कॉलेज में बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी थी। इसके बाद उन्होंने अपना पहला बिज़नेस शुरू किया जो बुरी तरह असफल साबित हुआ। दुनिया में जीनियस के तौर पर पहचाने जाने वाले वैज्ञानिक आइंस्टीन चार साल तक बोल और सात साल की उम्र तक पढ़ नहीं पाते थे। इस कारण उनके मां-बाप और शिक्षक उन्हें एक सुस्त और गैर-सामाजिक छात्र के तौर पर देखते थे। इसके बाद उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया और ज़्यूरिच पॉलिटेक्निक में दाखिला देने से इंकार कर दिया गया। इन सब के बावजूद वे भौतिक विज्ञान की दुनिया में सबसे बड़ा नाम साबित हुए। अल्बर्ट आइंस्टीन ने दुनिया को सापेक्षिकता का सिद्धांत दिया। नौकरी के दौरान वॉल्ट डिज़्नी को अख़बार के संपादक ने ये कहकर निकाल दिया कि उनके पास कल्पनाशीलता और नए विचार नहीं है। इसके बाद उन्होंने अपने व्यवसाय शुरु किए लेकिन दिवालिए हो गए। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उनके नाम से एक पूरा साम्राज्य चलता है जिसके हम सब गवाह हैं। नोबल पुरस्कार विजेता और दो बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चुने गए विंस्टन चर्चिल की भी कहानी संघर्ष से भरी है। स्कूली शिक्षा के दौरान चर्चिल 6वीं क्लास में फेल हुए। इसके बाद प्रधानमंत्री बनने से पहले अपने हर चुनाव में वो फेल हुए लेकिन उन्होंने मेहनत करना नहीं छोड़ा। अपनी पूरी ज़िंदगी के दौरान विंसेंट अपनी बनाई सिर्फ एक ही पेंटिंग बेच पाए थे। वो एक भी उनके दोस्त ने बहुत कम पैसों में खरीदी थी। आज विंसेंट कला के सबसे बड़े दिग्गज़ों में गिने जाते हैं और उनकी पेंटिंग्स करोड़ों में बिकती हैं। दुनिया में अरबों कमाने वाली जुरासिक पार्क जैसी फिल्म के निर्देशक स्पिलबर्ग को एक बार नहीं तीन बार कैलिफॉर्निया की साउदर्न यूनिवर्सिटी ऑफ थियेटर एंड टेलीविज़न में दाखिले से इंकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने कहीं और से शिक्षा ली और अपने काम के लिए बीच में पढ़ाई छोड़ दी। 35 साल बाद वो दोबारा उस कॉलेज में पहुंचे और ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।भारत की ओर से नोबल पुरस्कार जीतने वाले महान क़वि और साहित्यकार रबिंद्रनाथ टैगोर स्कूल में फेल हो गए थे। उनके शिक्षक उन्हें पढ़ाई में ध्यान न देने वाले छात्र के तौर पर पहचानते थे। बाद में वही टैगोर देश का गर्व साबित हुए। रबिंद्रनाथ टैगोर ने ही लिखा था कि "हर ओक का पेड़, पहले ज़मीन पर गिरा एक छोटा सा बीज होता है."
एक हद तक देखा जाए तो जीवन में छोटी-छोटी असफलताएं हमे जाने-अनजाने में बहुत कुछ सिखा कर जाती है जिनसे बाद में हमे एक बड़ी कामयाबी मिलती है। हम ही थे, जिनसे करवटें बदलना नहीं आता था। हम सैकड़ों बार फेल हुए। हमें खड़ा होना नहीं आता था, हम सैकड़ों बार फेल हुए। हमें चलना नहीं आता था, हम सैकड़ों बार फेल हुए। हमें बोलना नहीं आता था, हम फेल हुए। इन सभी बातों को गौर से सोंचेंगे तो पाएंगे कि असफलताएं सफलता की सीढ़ियां हैं। असफलताओं पर चलकर ही हमने सफलता पाई।
हम हर रोज सफल और असफल होते हैं। हम सुबह जागना चाहते हैं परन्तु जाग नहीं पाते। समय से ऑफिस के लिए निकलना चाहते हैं पर निकल नहीं पाते। हम क्रोध नहीं करना चाहते मगर करते हैं। ऐसी अनेकानेक चीजें हैं जिनमें हम हर रोज सफल होते हैं या असफल होते हैं। परंतु सफलता की परवाह किये बगैर हम हर रोज सफल होने के लिए काम करते हैं। जीवन के बड़े कार्यों के प्रति भी हमारा नजरिया यही होना चाहिए। कुछ न करने से, कुछ करके असफल हो जाना सदैव बेहतर होता है। कुछ न करने वाला किसी को कुछ नहीं सिखा सकता। परन्तु एक असफल व्यक्ति यह सिखा सकता है कि वह असफल क्यों रहा। परन्तु ध्यान रहे असफलताएं सीढ़ियाँ ही रहें, आखिरी मंजिल सफलता ही हो।
प्रस्तुति-सुरेन्द्र कुमार पटेल
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6 टिप्पणियां:
Excellent
Very well thought
बहुत-बहुत आभार। यदि आप अपना नाम लिखते, नाम के साथ आभार कह पाता। बहुत-बहुत शुक्रिया।
Suneel
Thanks
बहुत असानी से समझा दिया सर जी आपने सफलता और
असफलता के बारे में ।
you are great
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