आषाढ़ का पानी
ये आषाढ़ का पानी है,
घनघोर बरसता है हरदम।
बादल रोज घुमड़ता है,
पुरजोर गरजता है हरदम।।
बादल रोज घुमड़ता है,
पुरजोर गरजता है हरदम।।
चिड़ियों का कलरव लगता है,
जैसे बजता हो सरगम।
बिजली भी तेज कड़कती,
तेज चमकती है हरदम।।
जैसे बजता हो सरगम।
बिजली भी तेज कड़कती,
तेज चमकती है हरदम।।
झूमे गायें तृण-लताएं,
पवन शोर मचाये हरदम।
आजादी उत्सव के दिन,
सब लहरायेंगे परचम।।
पवन शोर मचाये हरदम।
आजादी उत्सव के दिन,
सब लहरायेंगे परचम।।
विपथ न हों पर्वत से,
बहती नदियाँ; ये झरना।
धरती रहे खुशहाल सदा,
पेड़ लगाते ही रहना।।
बहती नदियाँ; ये झरना।
धरती रहे खुशहाल सदा,
पेड़ लगाते ही रहना।।
नभ मंडल में इंद्रधनुष,
विखराये अपना रंग।
नदियाँ भी उफनाती है,
बरखा रानी के संग।।
विखराये अपना रंग।
नदियाँ भी उफनाती है,
बरखा रानी के संग।।
लेकर बादल; पानी को,
सूरज का लाज बचाये।
ये बारिस के मौसम में,
वन-उपवन ताज लगाये।।
सूरज का लाज बचाये।
ये बारिस के मौसम में,
वन-उपवन ताज लगाये।।
खुशियां लाती वसुधा पर,
ये आषाढ़ का पानी।
बसुधा भी हरियाली लाती,
प्रेम प्रगाढ़ की बानी।।
ये आषाढ़ का पानी।
बसुधा भी हरियाली लाती,
प्रेम प्रगाढ़ की बानी।।
धरती अपनी प्यास बुझाकर,
नदियों की सत्कार करे।
पानी बरसे आषाढ़ माह का,
जीवों पर उपकार करे।।
नदियों की सत्कार करे।
पानी बरसे आषाढ़ माह का,
जीवों पर उपकार करे।।
बीज अंकुरित हो जाते हैं,
पाकर आषाढ़ का पानी।
कृषक मगन हो जाते हैं,
पाकर आषाढ़ का पानी।।
पाकर आषाढ़ का पानी।
कृषक मगन हो जाते हैं,
पाकर आषाढ़ का पानी।।
©®डी.ए.प्रकाश खांडेकर
शासकीय कन्या शिक्षा परिसर
पुष्पराजगढ़,अनूपपुर (म.प्र.)
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