यह जांच का विषय है
यदि पृष्ठभूमि हो सरल और सहज
तो किसी आरोपी पर आरोप तय है।
पृष्ठभूमि हो जरा-सी गम्भीर उसकी
तो कहते यह जांच का विषय है।
एक इंच भी सरकारी जमीन पर
गरीब का हो दखल तो हटना तय है।
बड़े-बड़े शहरों में बड़े आशियाने बने
है सरकारी यह जांच का विषय है।
मामूली धाराओं के आरोप में
सलाखों के पीछे पहुंचना तय है।
संगीन अपराध-आरोपी संसद पहुँचकर
कह जाते यह जांच का विषय है।
पूरे न हों कागजात गाड़ियों के तो
चालान कटना सरकारी निश्चय है।
ले-देकर निपटाने के मामले पर,
चुप रहना यह जांच का विषय है।
इतिहास के पन्नों से लिया है हिसाब,
उस पर हो रहा खूब अभिनय है।
वर्तमान के बिगड़ते भूगोल पर चुप,
बिगड़ा भूगोल यह जांच का विषय है।
छोटी-छोटी मछलियां जाल में फँसीं,
बड़ों का जाल से निकलना विस्मय है।
ऐसे अजूबे जाल को बनाया किसने
ज्ञानी कहते यह जांच का विषय है।
मृतक खोद जाते कागदों पर ताल,
वही पीते पानी हमें तो भूतों का भय है।
भूतों को दिया है राशन-पानी जो,
है उनका संसार यह जांच का विषय है।
क्यों नहीं रख पाते वे वोटरों का मान,
क्यों अब पार्टी से अलग उनका लय है।
कितने में बिके हैं उनके लिखे गीत,
लिखेंगे गीत और यह जांच का विषय है।
जब भी सही दिशा में हो रही हो जाँच,
जाँच पर जाँच बिठाना बिल्कुल तय है।
हो जाता है रातों रात ट्रांसफर भला क्यों,
है ऐसी प्रथा क्यों यह जांच का विषय है।
कविता तो होती है कोमलांगी सदा ही,
प्रतिकार-प्रहार तो इस पर अनय है।
है यह समाज के बिंब का सूक्ष्म प्रतिबिम्ब ही
हमने देखा या नहीं यह जांच का विषय है।
(मौलिक एवं स्वरचित)
©® सुरेन्द्र कुमार पटेल
ब्यौहारी, जिला-शहडोल
(मध्यप्रदेश)
1 टिप्पणी:
बहुत दूर तक पहुंच है कवि सोंच
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