बुधवार, अप्रैल 22, 2020

मेरे अन्तर्भाव: राजेन्द्र प्रसाद पटेल "रंजन"


मेरे अन्तर्भाव
कुण्डल छंद
दिनांक--२१/०४/२०
प्रेम रंग फूल फूल , सूल बीच साया।
उड़ रहा पराग धूल,भौंर धूरि माया॥
माली है सींच सींच,तोड़ फूल डाले।
कुदरत का खेल यही,प्रेम रहें पाले॥

दौड़ रहा लोभ मोंह,चाह रहा आस्मां।
छोंड़ छोंड़ सांच कर्म,ढ़ोंग ढ़ले सम्मां॥
रास करे राह राह , पांव बिन चलाते।
देख अरे लूट मचा,छांव नहिं छवाये॥

चारु चंद चित्त भरा,अंध राह छाये।
फूल बिछे पांव तले,सूल गंध आये॥
विश्वास कर आ अरे,पास में मिले जो।
फूल हो सुजान राह,सूल भी जिले जो॥

देख चलें नेह भरे,ख्याल ले खुदा का।
खुद के है खेत चले,ध्यान नहिं जुदा का॥
खास बात याद करें,साथ हो सभी का।
सत्यमेव सेय आज , छोंड़ पल कभी का॥
                  राजेन्द्र प्रसाद पटेल "रंजन"

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