सबको
सेवा-सबको अवसर, शिक्षा का अधिकार दिया॥
लोकतंत्र
और मानवता को, विधिज्ञाता स्वीकार किया।
नारी-पुरुष
और किन्नर को भी, मत का अधिकार दिया॥
निज
शिक्षा के बलबूते ही, संविधान का मनन किया।
अश्पृश्यता
और भेदभाव को, एक फुरसत में दफ़न किया॥
नहीं
कोई है; ऊंच-नीच, छः मौलिक अधिकार
दिया।
हम भारत
के लोग जिसे, मन से अंगीकार किया॥
{बाबासाहेब
अम्बेडकर को समर्पित}
यही समय सेवा का साथी, सबको पाठ पढ़ाना है।
मानव से मानव की दूरी का, संयम सदा सिखाना है।
लाकडाउन है जग जाहिर, अब अर्थ अन्धेरा छाया है।
एक देश की करामात से, जग में कोरोना आया है।
जो दूर देश में फंसे हुए,उनकी खोज कराना है।
भूखे- शोषित- वंचित- निर्धन, सबको भोज कराना है।
नहीं किसी से बैर- भाव, साबुन से हाथ धुलाना है।
सुथरा कपड़ा, सुथरा भोजन, मुँह में मॉस्क लगाना है।
असहायों को दान दया का, सेवा सबको पहुंचाना है।
यही समय सेवा का साथी, सबको पाठ पढ़ाना है।
(दो)
यही समय सेवा का साथी, सबको पाठ पढ़ाना है।
मानव से मानव की दूरी का, संयम सदा सिखाना है।
लाकडाउन है जग जाहिर, अब अर्थ अन्धेरा छाया है।
एक देश की करामात से, जग में कोरोना आया है।
जो दूर देश में फंसे हुए,उनकी खोज कराना है।
भूखे- शोषित- वंचित- निर्धन, सबको भोज कराना है।
नहीं किसी से बैर- भाव, साबुन से हाथ धुलाना है।
सुथरा कपड़ा, सुथरा भोजन, मुँह में मॉस्क लगाना है।
असहायों को दान दया का, सेवा सबको पहुंचाना है।
यही समय सेवा का साथी, सबको पाठ पढ़ाना है।
रचना:
डी.ए. प्रकाश खाण्डे
शासकीय
कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़, जिला -अनूपपुर मध्यप्रदेश
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