तुम कहो तो गीत गाऊँ
सुरेन्द्र कुमार पटेल
तुम कहो तो नाच लूं,
तुम कहो तो गीत गाऊँ,
तुम कहो तो हर्ष से भरूँ,
तुम कहो तो विषाद में डूब जाऊं।
तुम कहो तो गीत गाऊँ,
तुम कहो तो हर्ष से भरूँ,
तुम कहो तो विषाद में डूब जाऊं।
तुम कहो तो दीप जले,
तुम कहो तो गुलाल उडाऊं,
तुम कहो तो अँधेरा कर लूँ ,
तुम कहो तो मशाल जलाऊँ।
तुम्हारे कहे हल चले,
तुम कहो तो बीज बोऊं,
तुम कहो तो नत रहूँ,
तुम कहो तो सीधा होऊँ।
तुम कहो तो कुछ कहूँ,
तुम चुप कहो तो चुप रहूँ,
तुम कहो तो रो लूँ
तुम कहो तो रो लूँ
तुम कहो तो सहूँ।
तुम कहो तो आँखें खोलूं,
तुम दृष्टि दो तो देख लूं,
तुम कहो तो संविधान रखूँ,
तुम कहो तो ये हक फेंक दूँ।
तुम कहो तो गुलाम बनूँ,
तुम कहो तो आजाद हूँ,
तुम कहो तो बिना नीर नदी में बहूँ,
तुम कहो बर्बाद को आबाद तो आबाद कहूँ।
रचना: सुरेन्द्र कुमार पटेल,ब्योहारी
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2 टिप्पणियां:
Very nice सर, बहुत ही अच्छी पंक्तियां
शुक्रिया।
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