🌹मत्तगयन्द सवैया 🌹
sawan aayo sawan par kavita
विधान 211,211,211,211,211,211,211,22
भानस×7 +2 गुरु= एक चरण
मेघ चले अब बारिस लेकर,
अंबर में अब बादल छायो।
शीतल मंद चले अब मारुत,
भू पर पावन सावन आयो॥
सावन माह लगे मनभावन,
कूकत कोयल कानन भायो।
नाचत मोर चराचर मोहित,
मेघ सुहावन बारिश लायो॥
कोकिल तान सभी सुनो अब,
कोयल की सुर मीठ जुबानी।
भीग गयी अब भू तल अंबर,
सावन का बरसात सुहानी॥
सावन गीत अली मिल गावत।
मीठ मनोहर गीत सुहायो।
डारन में सखियाँ सब झूलन,
मोहक झूलनियाँ मन भायो॥
विधान 211,211,211,211,211,211,211,22
भानस×7 +2 गुरु= एक चरण
मेघ चले अब बारिस लेकर,
अंबर में अब बादल छायो।
शीतल मंद चले अब मारुत,
भू पर पावन सावन आयो॥
सावन माह लगे मनभावन,
कूकत कोयल कानन भायो।
नाचत मोर चराचर मोहित,
मेघ सुहावन बारिश लायो॥
कोकिल तान सभी सुनो अब,
कोयल की सुर मीठ जुबानी।
भीग गयी अब भू तल अंबर,
सावन का बरसात सुहानी॥
सावन गीत अली मिल गावत।
मीठ मनोहर गीत सुहायो।
डारन में सखियाँ सब झूलन,
मोहक झूलनियाँ मन भायो॥
रचना
स्वरचित एवं मौलिक
मनोज कुमार चन्द्रवंशी मौन
बेलगवाँ जिला अनूपपुर मध्यप्रदेश
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