"अनमोल खुशियाँ"
सुखमय जीवन के उपवन में,
नित नव चारू सुमन खिले।
सुहृद, सरस, अति मनभावन,
मानो युगल हृदय मिले॥
निज कंठ अधर रसीले,
खुशबू से जीवन महक उठा।
विपुल रोमांचित अंग, प्रत्यंग,
चारू चंचल चित् चमक उठा॥
धरती से अंबर तक सुरभित,
अब श्याम मुरलिया बज उठा।
मन मयूर नृत्य करने लगा,
मानो मन नंदनवन झूम उठा॥
मन प्रमुदित होकर खिल उठा,
निज अरतंग में खुशियाँ अथाह।
हृदय में खुशी का उत्तुंग तरंग,
विपुल खुशियों का तीव्र प्रवाह॥
उदासी के बादल छट गया,
अब चिर स्मृति सजने लगा।
यह जीवन पतित पावन सा
मन हरीतिमा होने लगा॥
मधुर मिलन का सुहृद सुधि,
सुखद जीवन का मधुर गान।
विकलित मन खिल उठा,
मानो मोहन मुरली की तान॥
जीवन वाटिका में नये कुसुम,
बदन विभूषित चतुरंग से।
मानस पटल में नवनीत भाव,
संपूर्ण जीवन दृष्टिपात सतरंग॥
प्रणय प्रलाप का मधुर गाथा,
अनुपम, अकथ, युगल प्रीति।
खुशियाँ प्रवाहित रग - रग में,
सनेह हृदय में सुखद प्रतीति॥
जीवंत का सुखद अनुभूति से,
तन आह्लादित मन पुलकित।
अनंत अनामय हो यह पल,
चित् सदा सुखद अवलोकित॥
रचना
मनोज कुमार चंद्रवंशी
जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
सुखमय जीवन के उपवन में,
नित नव चारू सुमन खिले।
सुहृद, सरस, अति मनभावन,
मानो युगल हृदय मिले॥
निज कंठ अधर रसीले,
खुशबू से जीवन महक उठा।
विपुल रोमांचित अंग, प्रत्यंग,
चारू चंचल चित् चमक उठा॥
धरती से अंबर तक सुरभित,
अब श्याम मुरलिया बज उठा।
मन मयूर नृत्य करने लगा,
मानो मन नंदनवन झूम उठा॥
मन प्रमुदित होकर खिल उठा,
निज अरतंग में खुशियाँ अथाह।
हृदय में खुशी का उत्तुंग तरंग,
विपुल खुशियों का तीव्र प्रवाह॥
उदासी के बादल छट गया,
अब चिर स्मृति सजने लगा।
यह जीवन पतित पावन सा
मन हरीतिमा होने लगा॥
मधुर मिलन का सुहृद सुधि,
सुखद जीवन का मधुर गान।
विकलित मन खिल उठा,
मानो मोहन मुरली की तान॥
जीवन वाटिका में नये कुसुम,
बदन विभूषित चतुरंग से।
मानस पटल में नवनीत भाव,
संपूर्ण जीवन दृष्टिपात सतरंग॥
प्रणय प्रलाप का मधुर गाथा,
अनुपम, अकथ, युगल प्रीति।
खुशियाँ प्रवाहित रग - रग में,
सनेह हृदय में सुखद प्रतीति॥
जीवंत का सुखद अनुभूति से,
तन आह्लादित मन पुलकित।
अनंत अनामय हो यह पल,
चित् सदा सुखद अवलोकित॥
रचना
मनोज कुमार चंद्रवंशी
जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
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