किताबें
किताबें कुछ कहना चाहती हैं!साथ - साथ रहना चाहती हैं।
जीवन के अतीत का, सरस सुह्रदय प्रीत का।
अतीत के कसमों का, जीवन के रस्मो का॥
किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
साथ - साथ रहना चाहती हैं।
जीवन के यश, हर्ष का, बीते हुए उत्कर्ष का।
आनंद और उल्लास का, ज्ञान के प्यास का॥
किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
साथ - साथ रहना चाहती हैं।
जीवन के उमंग तरंग का, बीते हुए सत्संग का।
आह्लादित व आमोद का, जीवन के प्रमोद का॥
किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
साथ - साथ रहना चाहती हैं।
सरस अनुभूतियों का,जीवन की सहानुभूतियों का।
कृत्य पाप पुण्य का, समाविष्ट ज्ञान के कुंड का॥
किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
साथ - साथ रहना चाहती हैं।
अतीत की स्मृतियों का, जीवन की विस्मृतियों का।
सहपाठियों के अनुराग का, जीवन के प्रारब्ध का॥
किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
साथ - साथ रहना चाहती हैं।
सह युगल प्रणय गाथा का, युगल प्रीत की कथा का।
जीवन के शुभमिलन का, जीवन के फिसलन का॥
किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
साथ - साथ रहना चाहती हैं।
सुकीर्ति व सुकर्म का, इस जीवन के कुकर्म का।
समरसता व समता का, अतीत के मानवता का॥
किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
साथ - साथ रहना चाहती हैं।
जीवन के शेष, अवशेष का, कलुषित राग, द्वेष का।
जीवन में प्राप्त सफलता का, मिली असफलता का॥
किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
साथ - साथ रहना चाहती हैं।
--------------------0------------------
रचनाकार
मनोज कुमार चंद्रवंशी
जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
मोबाइल नंबर- 9399920459
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें