सोमवार, मई 25, 2020

किताबें (कविता): मनोज कुमार

किताबें 

                किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
                साथ - साथ  रहना  चाहती हैं।

जीवन  के अतीत  का,  सरस   सुह्रदय  प्रीत का।
अतीत  के  कसमों   का,   जीवन  के  रस्मो  का॥
                 किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
                साथ - साथ  रहना  चाहती हैं।

जीवन  के  यश, हर्ष  का, बीते  हुए उत्कर्ष  का।
आनंद  और  उल्लास का,  ज्ञान  के  प्यास  का॥
                 किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
                साथ - साथ  रहना  चाहती हैं।

जीवन के  उमंग तरंग  का, बीते हुए  सत्संग का।
आह्लादित व  आमोद का,  जीवन के प्रमोद का॥
                 किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
                 साथ - साथ  रहना  चाहती हैं।

सरस अनुभूतियों का,जीवन की  सहानुभूतियों का।
कृत्य पाप पुण्य का, समाविष्ट ज्ञान  के कुंड का॥
              किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
               साथ - साथ  रहना  चाहती हैं।
अतीत की स्मृतियों का, जीवन की विस्मृतियों का।
सहपाठियों के अनुराग का, जीवन के प्रारब्ध का॥
              किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
               साथ - साथ  रहना  चाहती हैं।

सह युगल प्रणय गाथा का, युगल प्रीत की कथा का।
जीवन के  शुभमिलन का, जीवन  के  फिसलन का॥
              किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
               साथ - साथ  रहना  चाहती हैं।
सुकीर्ति  व सुकर्म का, इस  जीवन के  कुकर्म  का।
समरसता व समता का, अतीत  के  मानवता  का॥
              किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
               साथ - साथ  रहना  चाहती हैं।

जीवन के शेष, अवशेष का, कलुषित राग, द्वेष का।
जीवन में प्राप्त सफलता का, मिली असफलता का॥
              किताबें कुछ कहना चाहती हैं!
               साथ - साथ  रहना  चाहती हैं।
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                        रचनाकार
                मनोज कुमार चंद्रवंशी
             जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
          मोबाइल नंबर- 9399920459

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