मंगलवार, मई 19, 2020

जा कोराना अब तो जा(छन्द): राम सहोदर

जा  कोराना अब तो जा

मुश्किल बड़ी है पार पाना,  जा कोरोना अब तो जा।
झकझोर डाला झार डाला, मार डाला अब तो जा ॥
निष्ठुर बड़ा तू दण्ड दीन्हा, पापी निहायत अब तो जा।
तेरी गुलामी सह न जाये, तू है कसाई अब तो जा॥
मार्ग सारे बन्द कीन्हें, जान लीन्हें अब तो जा।
गतिविधि बिगाड़े अर्थ सारे, कीन्हा पतन है अब तो जा॥
अमन छीना चमन छीना, दफन कीन्हा अब तो जा।
दिल मिलाना, कर मिलाना, बन्द कीन्हा अब तो जा॥
दूरी बढ़ाया है परस्पर, बहुतै नशाया अब तो जा॥
स्वागत तुम्हारा हम न करते, नैहर को अपने अब तो जा।
जा चला जा चाइना, आया जहाँ से अब तो जा।
दानव है आदमखोर तू,  खूनी बड़ा है अब तो जा॥
भरपाई नहीं हो पाय कबहूँ,  बदहाल कीन्हा अब तो जा।
जीत हमरी होन दे, अतिशय रुलाया अब तो जा।
ये गुलामी घर के भीतर, सह न जाये अब तो जा॥
रुपिया न पैसा काम आये, जादू चलाया अब तो जा।
जीने भी दे कुछ काल सुख से, बैरी चुकाया अब तो जा॥
कहता सहोदर आश लागी, आयेंगे दिन वे अब तो जा।
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5 टिप्‍पणियां:

कोमल चंद कुशवाहा ने कहा…

Good

कोमल चंद कुशवाहा ने कहा…

कोरोन की विदाई अच्छी रचना है।

Ramraj patel ने कहा…

Bahut hi badhiya sir

Ramraj patel ने कहा…

Bahut hi badhiya sir

Ram Sahodar Patel ने कहा…

उत्साह बढ़ाने बाले सभी आदरणीय जनों को सहृदय साधुवाद ।

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