सवैया
क्रूर कोरोना के क्रूर
कलाप ने, मानस को अति कष्ट दियो।
डस लीन्हों
जिसे बचना मुश्किल, परिवार समेत
एकांत कियो॥
इलाज नहीं कछु साध्य नहीं, फरियाद नहीं कुछ सुनन दियो।
बेपरवाह ना बच पाया कोई, औरन काहिं फंसाय दियो॥
सतर्क रहा बच पाया वही, परिवार के संग सुख भोग कियो।
फंस काम के फ़ांस मिले
कबहु नहिं, सब काहिं कोरोना एकत्र कियो॥
सुख भोग रहे घर भीतर ही, जिसने लाकडाउन शरण लियो।
सब सबलन प्रभाव पड़े
किंचित, कमजोरन को झकझोर दियो॥
प्रतिरोज कमाय के खात हें, उन दीनन
काहिं रुलाय दियो।
यद्यपि सहयोग करे शासन, नहीं भूख से काहू मरन दियो॥
विकास गती सब रोक दियो, उद्योगन को रोकवाय दियो।
आवन-जावन बंद पड़े सब, मानव को मानव से दूर कियो॥
दूरहिं से अभिवादन हो, गलवाह लगा का दूर कियो।
मीटर भर दूर रहो सबसे, डिस्टेंसिंग सोशल पूर्ण कियो॥
बात बिगाड़ कियो
बहुतै, जग को जनजीवन चूर कियो।
लाशों के ढेर लगे जग में, सब काया और माया दूर भयो॥
नन्हा सा वायरस या जग के, महावीरन होश उड़ाय दियो।
नहिं सूझ पड़े कछु बुझन
को, सद्बुद्धि सबै चकराय दियो॥
प्रकृति हुलास हुई जब से, सब काहिं कोरोना
रूलाय दियो।
जनु बैर चुकाय लियो नर से, पर्यावरणी मुस्काय दियो॥
कमजोर प्रदूषण दीख पड़े, यह लाभ कोरोना कराय दियो।
मास्क लगाय रहो हरदम, अब जीतन के दिन आय गयो॥
दवा है सरल इस विषधर की, कर बारहिं बार धुलाई कियो।
रहत संयम और अनुशासन से, लक्ष्मण की रेख न पार कियो॥
यह गीत नहीं गम है दिल की, कभी सोचा न था यह गीत लिखें।
करतूत रही गद्दारन की, निज हवस मिटावन चाल सिखे॥
आस लगाय न छांडब धीरज, आपन मन नहीं छोट
कियो।
जीत मिलेगी किसी ना किसी
दिन, कोरेनटीन
जरूर कियो॥
अधीर न होय सहोदर के मन, व्याकुल होय न भीरू भयो।
संकरमित लोग से दूर रहें, अब थोड़े दिनन
की बात रह्यो॥
रचनाकार:
राम सहोदर पटेल,एम.ए.(हिन्दी,इतिहास)
स.शिक्षक, शासकीय हाई स्कूल नगनौड़ी
गृह निवास-सनौसी, थाना-ब्योहारी जिला शहडोल(मध्यप्रदेश)
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[इस ब्लॉग में रचना प्रकाशन हेतु कृपया हमें 📳 akbs980@gmail.com पर इमेल करें अथवा ✆ 8982161035 नंबर पर व्हाट्सप करें, कृपया देखें-नियमावली] राम सहोदर पटेल,एम.ए.(हिन्दी,इतिहास)
स.शिक्षक, शासकीय हाई स्कूल नगनौड़ी
गृह निवास-सनौसी, थाना-ब्योहारी जिला शहडोल(मध्यप्रदेश)
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1 टिप्पणी:
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सभी अपने-अपने स्तर पर कुछ न कुछ कर ही रहे हैं, परन्तु जन सामान्य में जागरूकता पैदा करना और भय समाप्त करने की दिशा में साहित्य अच्छी भूमिका निभा सकते हैं. आपकी रचना उसी दिशा में एक सार्थक प्रयास करती दिख रही है. आपने एक प्रचलित छन्द का सहारा लेकर जो काव्य रचना की है, निः संदेह पाठको को पसंद आएगी. बहुत बहुत बधाई.
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