भरे हुए पेट में झूठ की
बातें।
तरीका सीख लिया है हमने,
लोगों को उलझाए रखने का।
लोगों को उलझाए रखने का।
भारत-पाकिस्तान, हिन्दू और मुसलमान की बातें।
धूप और बारिश में जो ढोता ईंट और पत्थर।
फुरसत भी नहीं जो कर लें, कभी उस मजदूर की बातें।
स्वार्थ ऐसा है और शोर
इतना है,
जो मर गए लाचारी में वो
भी बन गए,
हमारी टी आर पी की बातें।
हमारी टी आर पी की बातें।
दुनिया में लहराएगा अपना,
एक दिन परचम बहुत ऊंचा।
एक दिन परचम बहुत ऊंचा।
नंबर वन और विश्व गुरु बन
जाने की काल्पनिक बातें।
पर न खत्म होगा कभी उनके आँख का आंसू,
भूख से बिलखते बच्चे,
दिन-रात काम करते हुए
मजदूर की बातें।
हमेशा होंगी राजनीति की
बातें,
न होंगी कभी तो बस
वास्तविक बातें,
बुनियाद की बातें,
इंसान की बातें।
इस दौर और उस दौर की
बातें,
भरे हुए पेट में झूठ की
बातें।
रचनाकार:इंजी. प्रदीप पटेल
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