शुक्रवार, मई 15, 2020

हाइकु (कविता): कोमल चंद


 हाइकु

1

आस लगाए
बीस लाख करोड़
भूखा गरीब।

      2

सतरंगी हैं
योजनाएं संसद
बेरंग देश।

       3

बांध बनाए
हरे-हरे बगीचे
सूखा किसान।

        4

मंत्री, संसद
सब लोक सेवक
बेवा औरत।

       5

सुविधा दिल्ली
सपने घर-घर
अंधेरा चांद।

        6

स्कूल, कॉलेज
सब साक्षर होगे
नई रोशनी।

        7

बेटा-बेटी हैं
मंत्री लोकसभा में
कई घोटाला।

        8

देश-सेवा में
शहीद होने वाला
गुमशुदा है।

        9

दूरी,नाप ली
मेहनत कारों ने
रोटी के वास्ते।

         10

छुआछूत है
जाति व्यवस्था भी है
छिनी सुविधा।

          11

कोरोना आया
कर दिया सबको
आत्मनिर्भर।

          12

बारिश बूंदें
पूछें जब खेत को
समस्या बड़ी।

          13

खुद खुशी के
गीत गाए उसने
खंडित प्रेम।

           14

श्रम बूंदें हैं
भूख से झुका हुआ
है! अन्नदाता

            15

बसंती हवा
अलसी की चादर
मिटती थाप।
रचना: कोमल चंद कुशवाहा
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1 टिप्पणी:

Haridas jayswal ने कहा…

Bahut achchha bhaiya ji

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