तुम्हारे जाने के
बाद
यहाँ क्या हुआ, तुम्हारे जाने के बाद
आनंद के फूल चुने गये
स्मृतियाँ भुला दी गई
यथार्थ से खेले गये
अश्लीलता झाँकी गई
मन प्रदूषित होता गया
और यह मन उसमें डूबता गया।
तुम्हारे जाने के बाद,
भौतिकता और आधुनिकता आई
भौतिकता और आधुनिकता आई
मन पसीनों को भूलकर सहर्ष उससे जुड़ गया
इस ओर चितायें जलाई जा रही थी और उधर
आनंद की परिभाषाएँ लिखी जा रही थी
मन दोनों को परखा
पर सरल बनकर सरल मार्ग को ही चुना।
तुम्हारे जाने के बाद, हम मिट्टी से खेलना छोड़
दिये
बदले जिस्म के सौदागर हुये
आधुनिकता को सिर बिठाकर
दंगल को आमंत्रित किये
नग्नता के पैसे वसूले गये
बन्धुत्व और सद्भाव का ह्रास हुआ
लोग नग्न गीतों का स्वाद चखे
और अपने को पंडित कहा।
तुम्हारे जाने के बाद,ये दुनिया हमने बनाई है
हमने कहीं से आडंबर और हिंसा खरीद लाई है
हमें अब कुछ कमी नहीं है।
तुम्हारे जाने के बाद, हमने पूर्वजों को
अँगूठा दिखाकर विषेश स्वागत किया
'भक्ति’ को आधुनिकता से मिलाप कर
हमने सम्मिश्रण की दुनिया बना लिया।
हृदय-विभूतियों और पूर्वजों को
सादर समर्पित
सच, तुम्हारे जाने के बाद
हमने एक को अनंत बना दिया
हमने एक को अनंत बना दिया
इतिहास भुला दिया
हम मानव से शैतान हो गये
जीने की गतियाँ तोड़ दी
मन को खूब फुलाया, खूब रस दिया
तुम्हारें जाने के बाद ‘नियंत्रण’ बहा दिया
प्रकृति के संग गीत गाना छोड़कर
गनिकाओं के संग गाना स्वीकार किया
तुम्हारे जाने के बाद सच हमने जीवन मार्ग ही
बदल दिया
मन में अश्लीलता और क्षणिक सुख भोगकर
अब हम रो रहे हैं
बस, हम रो रहे हैं।
-रजनीश ‘‘रैन’’’
हिन्दी प्रतिष्ठा
काव्य रचना:रजनीश ‘‘रैन’’’
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ग्राम+पोस्ट-झारा, तहसील-सरई, जिला-सिंगरौली (मध्यप्रदेश)................................................................................................................[इस ब्लॉग में प्रकाशित रचनाएँ नियमित रूप से अपने व्हाट्सएप में प्राप्त करने के लिए "यहां क्लिक करें" तथा ब्लॉग के संबंध में अपनी राय व्यक्त करने हेतु कृपया यहाँ क्लिक करें। कृपया अपनी रचनाएं हमें whatsapp नंबर 8982161035 या ईमेल आई डी akbs980@gmail.com पर भेजें,देखें नियमावली ]
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