काव्यमय पर्यावरण महोत्सव 2020
ऑनलाइन एल्बम
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मैं समीर हूँ, बहार हूँ, सलिल की एक फुहार हूँ।
मैं जीतता जागता सभी के आसपास हूँ॥
सांसे हूँ, मैं छाया हूँ किसी का आशियाना।
एक वृक्ष प्रतिवर्ष लगाकर इस उत्सव को मनाना॥
-कृष्ण कुमार (केके)
ग्राम-आखेटपुर, तहसील-ब्योहारी, जिला-शहडोल मो.नं. 9893747964
दूर खड़ा पर्वतों पर नजरें किरणों को अवलोकित कर रही।
सुंदर-सुंदर दृश्य किरण की आमोदित मुझको कर रही॥
खुशनुमा पवन के झोंकों ने मुझको कुछ एहसास दिया।
यह जीवन टिका धरा पर मानो मैंने तुमको सांस दिया॥
-सुशीला के के
ग्राम-आखेटपुर, तहसील-ब्योहारी, जिला-शहडोल मो.नं. 9893747964
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घर की बालकनी के पास, छोटी चिड़िया, गौरैया का दाना पानी। |
ईश्वर ने हम सबमें बांटा धरती, पवन, आकाश।
हम भी कुछ आपस में बांटे, अपनेपन का अहसास॥
अन्न, छांव और नीर से, तृप्त करें व्याकुल पंथी की प्यास।
जीव, प्रकृति, पर्यावरण बचाने का हम भी करें प्रयास।
अन्न, छांव और नीर से, तृप्त करें व्याकुल पंथी की प्यास।
-संघमित्रा, बेटी, ई. श्री प्रदीप पटेल,
ग्राम-उकसा, तहसील-ब्योहारी, जिला शहडोल मध्यप्रदेश
जनता में जागरूकता लाने का कार्य करें,
छायादार, फलदार वृक्ष हम लगाएंगे।
वन के महोत्सव में भागीदार हम भी बनें,
आने वाले कल को सुरक्षित बनाएंगे॥
(पूरी कविता आगे है)
-राम सहोदर पटेल, शिक्षक
निवास पता: ग्राम सनौसी, विकासखंड-जयसिंहनगर जिला-शहडोल
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हवा मैं थी अल्हड़-अलमस्त, विचरती थी स्वछंद,
फिरती थी कभी वन-उपवन में, तो कभी लताकुंज में।
मेरे स्पर्श से नाचते थे मोर, विहंसते थे खेत-खलिहान,
किन्तु इन मानवों ने कर दिया कलुषित मुझे,
अब नहीं आते वसंत-बहार, खो गई है मौसम की खुशबू भी॥
-विनय कुमार पटेल,
ग्राम-आखेट्पुर. पोस्ट- आखेट्पुर, तहसील- ब्योहारी जिला-शहडोल मो. 8871244912
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भरोसा कर लो तुम, प्रकृति ही सब कुछ है,
हम तो कुछ भी नहीं, इसलिए कहता हूं मैं,
प्रकृति से प्यार करो, प्रकृति से ........2
जीवन देती है फूलों सा मंँहकाती है।
अँधेरा मिटाती है, संसाधन जुटाती है।
तो फिर न ऐतवार करो, प्रकृति के साथ चलो,
प्रकृति से प्यार करो, प्रकृति से........2
- धर्मेन्द्र कुमार पटेल, पिताश्री शेषमणि पटेल
निवास - ग्राम पंचायत नौंगवां,तह.मानपुर जिला उमरिया,(म.प्र.) मो.नं.8435546885
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हमें इस पर्यावरण को जल रक्षित कर सजाना है,
जल,जंगल जमीन का संरक्षण अपनाना है॥
आओ हम प्रकृति वादी दृष्टिकोण अपनाएँ,
पर्यावरण संरक्षण में जीवन को तपाएँ।
प्रकृति प्रदत्त हर तत्व हमारे भगवान हैं,
इस धरा के सकल प्राणी का समाया जान है॥
-मनोज कुमार चंद्रवंशी
पुष्पराजगढ़ जिला अनूपपुर (मध्य प्रदेश)
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हमारे चाचा श्री बृजमोहन पटेल ग्राम तेंदुआढ़ जी के साथ आम का पौधा लगवाते समय की एक तस्वीर । |
बदले हम तस्वीर धरा की । सुंदर सा एक दृश्य बनायें।
यह संदेश हम सब तक पहुँचाये।आओ पर्यावरण स्वच्छ बनाएं॥
फैल रहा खूब प्रदूषण। हनन कर रहा है मानव जंगल।
वायु हो रही है प्रदूषित। कमजोर पड़ रहा है सबका तन मन॥
(पूरी रचना आगे है)
सुरेन्द्र पटेल पिता श्री विनायक प्रसाद पटेल
ग्राम तेंदुआढ़ ब्यौहारी जिला शहडोल (मप्र)
9589780241
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-अनिल पटेल
ग्राम-आखेटपुर जिला शहडोल (मध्यप्रदेश)
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3 वर्ष पूर्व की गयी रोपणी |
बदले हम तस्वीर धरा की मीठे फलदार वृक्ष लागए,
अलख जगाने में जुट जाएं आओ सब मिलकर पर्यावरण बचाये।
काट दिया जो जंगल हमने अपने निज स्वार्थ भाव में आकर
हवा हो रही है ज़हरीली संकट पड़ा है जन जीवन पर
घड़ी आ गया है हम सब पर आओ मिलकर कसम ये खाएं
आओ सब मिलकर पर्यावरण बचाये।
हम सब की शान है जंगल हम सबका अभिमान है जंगल,
हम सब की पहचान है जंगल धरती माँ का श्रंगार हैं जंगल
आओ मिलकर धरती को हरा भरा बनाये लगा पेड़ माँ धरा का आँचल महकाये ।।
-बालेन्द्र पटेल
ग्राम-सनौसी , तहसील-जयसिंहनगर जिला शहडोल
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धरती आकाश गगन...में फैला जग सारा है।
यहाँ न कुछ तेरा न....मेरा न कुछ हमारा है॥
फैला है जो चारो ओर प्रकृति के आवरण में,
है हम सब जिससे.....वो पर्यावरण हमारा है॥
-अमित भाई
झाँपर क्षेत्र-एल आई सी एजेंट, ग्रामपोस्ट खड्डा, तहसील, ब्योहारी -जिला शहडोल
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निश्चल था, निस्वार्थ था, उससे मेरा कुछ रिश्ता था
पहली ही बारिश की नमी में एक पौधा मैंने रोपा था॥
जाड़े और गर्मी में उसे प्यार से मैं सींचा करता था
बढ़ता उसे देख मन बहुत ही हर्शाया करता था॥
हरियाली के कोपल, पुष्प सुर्ख नारंगी
गहरी जड़ें, पतली तनें हवा में खूब लहराया करता था।
समय गुजरते, पेड़ को बढ़ते
छाया में उसके मैं दिन गुज़ारा करता था।
प्रकृति जुड़ाव था या लगाव था
सीमा रहित पर, यही जीवन का आनंद था
इस पल, उस पल, प्रति पल प्रकृति प्रेम ही ईश्वर था
उससे मेरा रिश्ता जैसे कोई इबारत था।
निश्चल था, निस्वार्थ था, उससे मेरा कुछ रिश्ता था
पहली ही बारिश की नमी में एक पौधा मैंने रोपा था॥
- ई. प्रदीप पटेल
पहली ही बारिश की नमी में एक पौधा मैंने रोपा था॥
जाड़े और गर्मी में उसे प्यार से मैं सींचा करता था
बढ़ता उसे देख मन बहुत ही हर्शाया करता था॥
हरियाली के कोपल, पुष्प सुर्ख नारंगी
गहरी जड़ें, पतली तनें हवा में खूब लहराया करता था।
समय गुजरते, पेड़ को बढ़ते
छाया में उसके मैं दिन गुज़ारा करता था।
प्रकृति जुड़ाव था या लगाव था
सीमा रहित पर, यही जीवन का आनंद था
इस पल, उस पल, प्रति पल प्रकृति प्रेम ही ईश्वर था
उससे मेरा रिश्ता जैसे कोई इबारत था।
निश्चल था, निस्वार्थ था, उससे मेरा कुछ रिश्ता था
पहली ही बारिश की नमी में एक पौधा मैंने रोपा था॥
- ई. प्रदीप पटेल
ग्राम-उकसा, तहसील-ब्योहारी, जिला शहडोल मध्यप्रदेश
निवर्तमान:- नागपुर, महाराष्ट्र
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कड़े धूप से बचता माथा। कितना गाए पेड़ों के गाथा।
हरे रंग से धरती नाचें, मन नाचें फल खाकर,
मोर पपिहा प्यू प्यू बोले, तन डोले बलखाकर।
कड़ी धूप से बचता माथा, कितना गाए पेड़ों की गाथा,
जीते लकड़ी मरते लकड़ी, लकड़ी ही है जीवन साथा।
-आर आर पी
जंगली ढोढा़
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आओ एक संकल्प उठाएं!!...
वृक्षों की जब करोगे रक्षा, तभी बनेगा जीवन अच्छा.
पेड़ो के बिना मेरे यार, जीवन में होगा अंधकार.
अपना सच्चा धर्म निभाए, पेड़ बचाकर कर्तव्य निभाए.
पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ, इस दुनिया को सुंदर बनाओ।
-रामानंद पटेल
ग्राम-झरौसी, मोबाइल नंबर 9752810766
(श्री रामानन्द पटेल जी से आप वृक्षारोपण हेतु शासन द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले वित्तीय प्रावधानों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं)
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ज्ञानेंद्र कुमार पटेल, ग्राम -कछौन्हा, मानपुर जिला -उमरिया (मध्यप्रदेश)
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वृक्ष हमारे लिए हैं इतने जरूरी,
इनके बिना ना होगी जिंदगी पूरी,,
अपनी जरूरत की ही सही कुछ वृक्ष लगाएं,
शुद्ध हवा फल फूल लकड़ियां मुफ्त में पाएं,,।।
वीरेंद्र सिंह पटेल वीरू पिता श्री रोशन लाल पटेल
ग्राम , मनटोला थाना तहसील व्यवहारी शहडोल मध्य प्रदेश मोबाइल नंबर 9755119754
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साँसे कम होती जाती है,वृक्षों के अब जाने से।
प्रकृति प्रफुल्लित होती है,सुन्दर विटप लगाने से।
जल -जंगल अरु धरा धरोहर,है सबकी आवाज,
वृक्ष लगाओ-प्रकृति बचाओ ,कह दो अब जमाने से॥
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का करी,का कही,कही-कही समझायी हो।
सबकोऊ मिलकर या पर्यावरण का नष्ट होएं से बचाई हो।।
हमरे मन मा यहै विचार वा औरू यहै संदेश वा।
5 जून का सबकोऊ मिलकर पर्यावरण दिवस मनायी हो।।
राहुल सिंह पटेल
ग्राम-तेन्दुआढ़ ब्यौहारी, मोबाइल नंबर 9584929599
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हमने मन में ठाना है ,पर्यावरण बचाना है-2
हां वह सब मिले पेड़ लगाए धरती में हरियाली लाए
वायु प्रदूषण करें नियंत्रण ,स्वच्छता का लेवे हम प्रण।
यह प्रण हमें निभाना है ,पर्यावरण बचाना है-2
(पूरी रचना आगे है)
बी एस कुशराम
प्रभारी प्राचार्य बड़ी तुम्मी
मो07828095047,9669334330
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तरु की छांव( पर्यावरण)
विकट दूर तक राहगीर , भटक -भटक कर सड़क किनारे
चला खोजने छाॅव।
तपती धूप-विकराल रूप, रवि रश्मि को वर्षा कर
जला दिए हैं पाॅव।
सूखा सीकर रिक्त सलिल शुष्क कंठ है शेष पंक है,
पानी कहां से पाऊं।
विहग नीड सब बिखर रहे, कोलाहल क्रंदन में बदली
बसेरा कहाॅ बनाऊॅ ?
मिलकर एक प्रण पूर्ण करें, पौधे जल और कल संचय कर,
चलो लगाए सघन वृक्ष की छांव।।
-अंजली सिंह
उच्च माध्यमिक शिक्षक
शासकीय उत्तर माध्यमिक विद्यालय भाद, जिला अनूपपुर (मध्य प्रदेश).
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-अनेक पटेल जी,
आमडीह
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सूर्य प्रताप
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सूर्य प्रताप सिंह
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(पूरी रचना आगे है)
डॉ. एके पटेल,
सहायक प्राध्यापक, मेडिकल कालेज, जबलपुर
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मानव जीवन है खतरे मे इसमे है हम सबकी समझदारी
पेङ लगायेगे और पेङ बचायेगे
पर्यावरण सुरक्षा की लो जिम्मेदारी
-शिवम सिब्बू
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देवेन्द्र कुमार पटेल, (सहायक सचिव)
पिता श्री विनायक प्रसाद पटेल ग्राम तेंदुआढ़ ब्यौहारी जिला शहडोल (मप्र)
9589780241
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मैं और मेरी पूरी फैमिली मिलकर आज तीन पौधे रोपित किये जिसमे 1 आंवला 1 नींबू और 1आम था।
- श्री विनायक प्रसाद पटेल
ग्राम तेंदुआढ़ ब्यौहारी जिला शहडोल (मप्र)
9589780241
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अनिल पटेल (उच्च माध्यमिक शिक्षक),
जिला अध्यक्ष, आजाद अध्यापक शिक्षक संघ जिला शहडोल (मध्यप्रदेश) ...................................................................
drx. सरताज सिंह पटेल
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पेड़ों से मिलती हमको खुशियाली ।
किन्तु हमारे पास हो जब पेड़ों कि हरियाली।।
हरे भरे वृक्ष हमको देती शुध्द हवा की प्याली।
जीवन के हर क्षण को हरदम करती रखवाली ॥
आओ मिलकर करे प्रतिज्ञा जीवन देने वाली।
वृक्षारोपण करें और कराएं जाए प्रतिज्ञा न खाली॥
वृक्ष लगाओ वृक्ष लगाओ हम मिलकर देते नारा।
जीवन को जोड़े हरियाली संग हो जाए जीवन न्यारा ॥
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अरशिया पटेल
(लागोस, नाइजीरिया)
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हरा भरा हूं इस धरती पर हरा भरा ही रहने दो
सांझ सवेरे कुशमित हवाएं छटा मुझे बिखेरने दो
सूरज की लाल लालिमा मेरे मन को मोह गई
बारिश में फैले मोर पंख ने सबके मन भा गई
-शौर्य सिंह पिता श्री कृष्ण कुमार (के के)
ग्राम- आखेट्पुर, ब्योहारी जिला शहडोल मध्यप्रदेश
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सन्देश- स्टे होम
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आओ हम सब मिल कर आज एक संकल्प करें।
पेड़ो को काटे नही, और लगाये ऐसा विकल्प करे।
पेड़ो से ही है असली जीवन का अस्तित्व हमारा।
कभी न करे जो न करने को कहे स्वामित्व हमारा।
इस धरती से उस अम्बर तक कुछ छोड़ के जाए।
इंसानो का प्रकति से एक रिश्ता जोड़ के जाए।
आने बाली पीढ़ी हमारी आज से और बेहतर हो।
सुंदरता और हरियाली धरती की और बढ़कर हो।
-कुलदीप
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सुरेन्द्र कुमार पटेल,
ब्योहारी जिला-शहडोल(मध्यप्रदेश)
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दीपक पटेल व उनके मित्रगण
ग्राम उकसा मे आम का पेड़ लगाते हुए
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(4 वर्ष पूर्व विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मेरे द्वारा लगाए गए आम के पेड़ में अब फल लगने लगे हैं)
प्रकृति ने जब क्रोध जताया, घर घर मातम छाता है।
जे. पी. पटेल
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एक बार जुल्म को अपने तुम ठीक से देखो।
कभी राहगीर का हम साथी बनकर साथ निभाते है!
शौभाग्य समझना गर मिले जो मौका दोस्ती करने को!
हिलाकर पत्तो को बयां करते है हमारी तरह जताते नही!
पतझड़ आया छीन कर ले गया पूरे तन से लिबास!
असल मे इस जिंदगी को जीने का तरीका सिखाते है पेड़!
सांसो से जो जीवन को जोड़े,काटें उनको हैं ये कैसा न्याय!
आओ हम सब मिल कर आज एक संकल्प करें!
इस धरती से उस अम्बर तक कुछ छोड़ के जाए!
एक बार जुल्म को अपने तुम ठीक से देखो।
प्राणवायु देते हमें, सचमुच हैं वरदान।।
पर्यावरण बचाइए, काम बड़ा है नेक।
किसी यज्ञ से कम नहीं, रखना बुद्धि विवेक।।
हरी भरी धरती रहे, जन हों सब खुशहाल।
जीवन हो धन-धान्य से, सबका मालामाल।।
वृक्ष कभी लेते नहीं, देते हैं फल फूल।
इन्हें काटने की कभी, करना न अब भूल।।
आने वाले समय की, सबसे बड़ी है मांग।
संकट है अस्तित्व का, ऐ मानव तू जाग।।
पशु पक्षी हर जीव पर, पेड़ों का उपकार।
संरक्षण मिलकर करें, यहीं एक उपचार।।
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शिवानंद पटेल जिला- उमरिया (म.प्र.)
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6.भोला प्रसाद ' सरस की जी रचना:-
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पर्यावरण के दोहे
तरुवर अदय न काटिए,देते सबको प्राण।
प्राण बचाने के लिए,करो वृक्षों की त्राण।।
गरल ग्रहण करते सदा,देते सुधा समीर।
बिना वृक्ष के इस जग में,संभव नहीं शरीर।।
आम जंबु नीबू कटहल,सिवाय पेड़ खजूर।
पथिक को शीतल छाया,फल देते भरपूर।।
तरुवर देव वृक्ष समान, मन वांछित फल देत।
परहित पावस शीत अरू, आतप भी सह लेत।।
अवनि हरित हीन होती, खग वृंद नहीं होते।
मृदा मरू बन जाती जो, भू पर तरू न होते।।
तरुवर संत समान दुःख, हरते परहित हेतु।
जैसे दुःख दीन जन के,हर लेते वृषकेतु।।
मुनि सम मौन खड़े रहत, निशि - दिन शोक सहते।
तबर प्रघात भी सहते,पर कुछ भी न कहते।।
आओ मिलकर करें प्रण,प्रकृति हरित बनाएं।
कर्म मान निज जीवन में,दस- दस वृक्ष लगाएं।।
🙏भोला प्रसाद ' सरस '🙏
साजावार, सिंगरौली (म ०प्र०)
1
मैं पर्यावरण हूं
मैं सृजन करता हूं
मैं निर्माता और संहारक हूं
मैं रोग और औषधि हूं
मैं पर्यावरण हूं।
2
मैं जल, जमीन, जंगल हूं
मैं साकार भी हूं निराकार भी हूं
मैं जन्म, जवानी, ज़र हूं
मैं दसों दिशाएं हूं
मैं पर्यावरण हूं।
3
मैं चांद, तारा, सूरज हूं
मैं जल,थल, नभ हूं
मैं सृष्टि का कण-कण हूं
मैं आचार,विचार,संस्कृति हूं
मैं पर्यावरण हूं।
4
मैं मित्र भी और शत्रु भी हूं
मैं जीवन का रंग हूं
मैं जागरण और निद्रा हूं
मैं सृष्टि का नियंता हूं
मैं पर्यावरण हूं।
5
मैं एक चक्र हूं
मैं अनवरत चलता हूं
मैं क्षमाशील सरूप हूं
मैं महाकाल कुरूप हूं
मैं पर्यावरण हूं।
6
मेरा संतुलन बिगड़े तो
मैं प्रलय विनाश हूं
मैं अति का अंत हूं
मैं सर्वशक्तिमान हूं
मैं पर्यावरण हूं।
7
मैं कर्ता और अकर्ता हूं
मैं समाधिस्थ हूं
मैं आशुतोष हूं
प्राकृतिक संसाधन मेरे अंग है
मैं पर्यावरण हूं।
8
स्वार्थी बन निचोड़ो तो
मैं महाकाल महाविनाश हूं
मै बंधन मुक्त त्रिनेत्र हूं
मैं ही शाश्वत सत्य हूं
मैं पर्यावरण हूं।
-कोमल चंद कुशवाहा, रीवा मध्यप्रदेश
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8. बेटू पटेल जी की रचना:-
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12. राम राज पटेल की रचना:-
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(1)
आओ मिलकर पेड़ लगाए।
पर्यावरण को शुद्ध बनाएं।।
जन जन ने ठाना है,सौ सौ पेड़ लगाना है।
5 जून तक, पर्यावरण दिवस मनाना है।
आम ,नींबू या हो कटहल,
पेड़ लगाने पर हो पहल।
पेड़ों को मित्र बनाना है,सौ सौ पेड़ लगाना है।
आओ मिलकर पेड़ लगाए।
पर्यावरण को शुद्ध बनाए।
पेड़ नहीं तो हवा जहरीली,
होता अपछय और अपरदन।
जल जीवन होता विषाक्त,
नाश करें तन,मन और धन।
विश्व जगत भी करें पुकार,
सौ सौ पेड़ लगाए इस साल।
आओ मिलकर पेड़ लगाए।
पर्यावरण को शुद्ध बनाए।।
पानी मौसम सावन लाती,
तेज तपन को हर ले जाती।
सुन्दर उपवन और बगीचा,
एक एक सबको बनाना है।
संसार का श्रेष्ठ गुरु,बनकर सबको दिखलाना है।
सौ सौ पेड़ लगाना है।
आओ मिलकर पेड़ लगाए।
पर्यावरण को शुद्ध बनाए।।
आओ फलदार वृक्ष लगाए ,
तन दुर्बलता को दूर भगाएं ।
आर्थिक तंगी की सीमा पर,
हद तक निजात पाएं।
आओ सौ सौ पेड़ लगाए ।
(2)
कड़े धूप से बचता माथा।
कितना गाए पेड़ों के गाथा।
हरे रंग से धरती नाचें,
मन नाचें फल खाकर,
मोर पपिहा प्यू प्यू बोले,
तन डोले बलखाकर।
कड़ी धूप से बचता माथा,
कितना गाए पेड़ों की गाथा,
जीते लकड़ी मरते लकड़ी,
लकड़ी ही है जीवन साथा।
कितना गाए पेड़ों की गाथा।
जड़ी बूटी से मिले दबाई,
बने कलम तो करें लिखाई,
राम धनुष बन करें मराई,
तानसेन मुंह बजे सहनाई,
कड़े धूप से बचता माथा।
कितना गाए पेड़ों की गाथा।
फर्नीचर बन घर की रौनक,
हर दफ्तर की सान और सौकत,
सादी में बने सेंधऊरा,
कितना दे लकड़ी का व्यौरा,
लकड़ी है जीवन साथा।
कितना गाए लकड़ी गाथा।
बर्षा मौसम लाती नित,
जीवन की है असली मीत,
सबको पेड़ लगाना होगा,
जिंदा जीवन रहना होगा।
बने पेड़ जीवन का साथा।
कितना गाए पेड़ों की गाथा।
दिए हवा जीवन हम पाएं,
आओ मिलकर सब पेड़ लगाए,
जीते लकड़ी मरते लकड़ी,
लकड़ी है जीवन के साथा।
कितना गाए पेड़ों के गाथा।।
-आर आर पी जंगली ढोढा़
5 जून को पर्यावरण दिवस मनाएं विश्व गुरु बनकर दिखलाएं।
आओ मिलकर पेड़ लगाए। पर्यावरण को शुद्ध बनाए।।
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13. राजेश कुमार पटेल की रचना:-
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पेड़ पौधों से परोपकारी कोई नहीं
आपका अपना - राजेश कुमार पटेल , हमारा मेट्रो, जिला ब्यूरो, शहडोल
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14-डी.ए.प्रकाश खाण्डे की रचना:-
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पर्यावरण दिवस
साँसे कम तो होती जाती,
वृक्षों के अब जाने से |
प्रकृति प्रफुल्लित होती है,
सुंदर विटप लगाने से ||
जल जंगल अरु धरा धरोहर,
है सबकी आवाज |
वृक्ष लगाओ-प्रकृति वचाओ,
जागो सुप्त समाज ||
लौट आएगी हरीतिमा,
समस्या का समाधान होगा |
प्यारी धरती झूम उठेगी,
तरु लताओं की परिधान होगा ||
नव प्रभात की नव किरणें,
हर्षित सुमन लताएँ |
शुभ संध्या की वेला में ,
पुलकित सघन हवाएँ ||
पादप-प्रसून पुलकित होगा,
अनुपम अवसर आएगा |
शुभ संकल्प सुहावन होगा,
पांच जून हर्षाएगा ||
-डी.ए.प्रकाश खाण्डे
शासकीय कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ ,जिला -अनूपपुर म .प्र
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15. मनोज कुमार चंद्रवंशी की रचना:-
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प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करें,
आओ वन्यजीवों को आरक्षित करें।
आओ वैज्ञानिक दृष्टिकोणअपनाएँ,
आओ खेत के मेड़ों में वृक्ष लगाएँ॥
हर वस्तुएं प्रकृति की उत्तम कृति,
यह दृश्य मानव हाथों का विकृति।
आओ प्रकृति का संरक्षण करें,
प्रकृतिवादी को अनुसरण करें॥
सब वन्यजीव कर रहे पुकार,
हम पर अनावश्यक न करो प्रहार।
स्वच्छंद हमें में विचरण करने दो,
हमें प्रकृतिक में खुशी भरने दो॥
नदी, सरोवर, झील, और झरना,
हमें इनका है संरक्षण करना।
आओ धरती को स्वर्ग बनाएँ,
यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाएँ॥
त्याग करें भौतिकवादी अरमान,
हम सब करें प्रकृति का सम्मान।
एक वृक्ष सौ पुत्र समान,
सबको होना चाहिए इसका ज्ञान॥
एक कदम सब आगे आएं
आमजन में जागरूकता फैलाएँ।
मिलकर एक - एक वृक्ष लगाएँ,
पर्यावरण को संतुलित बनाएँ॥
विश्व पर्यावरण दिवस पर समर्पित
- मनोज कुमार चंद्रवंशी
विकासखंड पुष्पराजगढ़ जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
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16. पुष्प राज सिंह मरावी जी का सन्देश:-
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बदलें हम तस्वीर जहाँ की
सुंदर सा एक दृश्य बनाये,
संदेश ये हम जब तक फैलायें
आओ मिलकर पर्यावरण बचाएँ।
(पुष्प राज सिंह मरावी जिला-उमरिया म.प्र.) सामजिक कार्यकर्ता
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पर्यावरण
हमने मन में ठाना है ,पर्यावरण बचाना है-2
हां वह सब मिले पेड़ लगाए धरती में हरियाली लाए
वायु प्रदूषण करें नियंत्रण ,स्वच्छता का लेवे हम प्रण।
यह प्रण हमें निभाना है ,पर्यावरण बचाना है-2
चिड़ियों को दें दाना पानी,ना पहुंचाएं इनको हानी।
रंग बिरंगी चिड़िया करें,ऐसा उपक्रम हम अपनायें।।
इनको हमें रिझाना है,पर्यावरण बचाना है-2
माना प्रगति हैअति आवश्यक,अति लोलुपता बना विनाशक।
सीमा रहित करते हैं दोहन,प्रदूषण को नहि करते नियंत्रन।।
उद्योगों को अब चेताना है,पर्यावरण बचाना है-2
हर मौसम अब होते विचलित,वर्षा जाड़ा धूप नहिं संयमित।
इसका कारण मात्र मानव मन,धरती का करता विच्छेदन।।
'कुशराम;तो यह माना है ,पर्यावरण बचाना है।
हमने मन में ठाना है ,पर्यावरण बचाना है।।
बी एस कुशराम
प्रभारी प्राचार्य बड़ी तुम्मी
मो07828095047,9669334330
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18. सुरेन्द्र कुमार पटेल की रचना:-
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वसुधा की सुधा-वृक्ष
हमारी अनंत लालसाओं ने उठाये शस्त्र वृक्ष और वन के विरुद्ध।
तभी प्रकट हुई प्रकृति नित नई समस्याओं के साथ होकर क्रुद्ध।
बढ़ रहे वैश्विक ताप के प्रभाव से मानव अब बिलबिला उठा।
नगरों में बढ़ रहे औद्योगिक प्रदूषण को देख वह तिलमिला उठा।
पिघल रहे ग्लेशियरों में जमें बर्फ आधिक्य में जब दिनोंदिन।
चेतना मानव की भटक रही खोजने जीवन अब वनों के बिन।
वसुधा की सुधा को सुध करो वन वृक्ष के बिना जीवन नहीं।
हम नहीं, तुम नहीं, जल नहीं, खग कलरव नहीं, यदि वन नहीं।
वनवृक्ष कह रहे तन तरु नत हो विनयवत वाणी विनम्रता से भर।
फल-फूल, कन्दमूल, शुद्ध वायु, काष्ठ भी, लाते वारिद खींचकर।
सह-सह तेज धूप, उतरकर गहरे कूप जल नभ में छोड़ता हूँ।
प्रचण्ड सूर्यताप को धरा से विमुख पुनः नभ की ओर मोड़ता हूँ।
मानव मन को मोड़ आवश्यकताओं को छोड़ आज ले यह मंत्र।
तुम्हारा जीवन नहीं विलग, हो तुम जब तक है सफल पारितंत्र।
वन वृक्ष में विचरते लघु-दीर्घ अन्य जीव वे सब तुम्हारे जीवन मित्र।
वे मूक, प्रकृति के सम्मुख जी रहे गीत गा रहे प्रकृति का चरित्र।
तुम विचारशक्ति के धनी फिर रोकते क्यों नहीं विनाश की त्वरा।
यत्र-तत्र-सर्वत्र के स्वामी बने जैसे मात्र तुम्हारी हो वसुन्धरा।
गति मन्द कर चल सम्हल-सम्हल अन्य जीवों की भी वसुधा।
अधिसंख्य हो यदि खा लो फिर मिटाओगे कैसे अपनी क्षुधा।
यदि प्रेम स्वयं से और है अपनी आने वाली कुछ पीढ़ियों से।
मत मिटाओ प्रकृति को अपनी तुच्छ अभिलाषाओं की सीढ़ियों से।
सुरेन्द्र कुमार पटेल,
ब्यौहारी, जिला-शहडोल मध्यप्रदेश
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19. श्रीनिवास जी का आलेख-सन्देश :-
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20 . जय प्रकाश जी पुलिस (उप निरीक्षक) का सन्देश:-
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21 . राम सहोदर जी का आलेख:-
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:प्रकृति और मानव:-
एम.ए.(हिन्दी,इतिहास)
स.शिक्षक, शासकीय हाई स्कूल नगनौड़ी
गृह निवास-सनौसी, थाना-ब्योहारी जिला शहडोल(मध्यप्रदेश)
.........................................
22. भानू पटेल जी का सन्देश:-
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एक फर्ज निभाना सीख लो।
पेड़ लगाना सीख लो,
देश बचाना सीख लो।
पर्यावरण ने तुम्हे बहुत दिया है,
तुम भी कुछ देना सीख लो।
पेड़ लगाना सीख लो,
देश बचाना सीख लो।
- आशीष कुमार पटेल
(ग्राम पोस्ट- नगनौडी)
...................................
24 . शशि द्वेदी जी के रचना:-
...................................
पर्यावरण संरक्षण पर दो शब्द
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चलते-चलते... सबसे बड़ी बात:-
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29. डॉ. वेद प्रकाश जी का सन्देश:-
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......
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(30) डॉ . ए के पटेल जी का सन्देश कुछ पंक्तियों में:-
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सहायक प्राध्यापक, मेडिकल कालेज, जबलपुर
कार्यक्रम के सफल आयोजन के उपलक्ष्य में ,
🙏🙏आभार पत्र🙏🙏
ग्रुप एडमि़नों को हार्दिक - हार्दिक बधाई,
जिन्होंनें महोत्सव की अलख जलाई।
ग्रुप के सभी सदस्यों को सादर प्रणाम।
जिन्होंनें वृक्षारोपण का है दिया पैगाम।
ग्रुप में शामिल लोंगों के परिजनों का भी आभार।
आप सभी ने मिलकर मनाया पर्यावरणीय त्योहार।।
पौधा रोपित करनें वाले बडे़ बुजुर्गों का चरणवंदन।
वृक्षारोपण कर आपनें किया धरती काअभिनंदन।।
महोत्सव में शामिल युवा साथियों का भी आभार।
आप हम सबको मिला पर्यावरण सुरक्षा का प्रभार।।
महोत्सव में शामिल नन्हे मुन्ने बच्चों को शुभाशीष।
हर वर्ष ऐसे ही पौधारोपण करते रहो दश बीस।।
मातृ शक्ति और बहनों से हाथ जोड़ प्रार्थना।
पौधा रोपण करनें में कभी न पीछे हटना।
आपका भाई - धर्मेन्द कुमार पटेल✍️✍️
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06/06/2020 को भी पौधारोपण उपरान्त आपसे फोटो व रचनाएँ प्राप्त हो रही हैं, आप सभी का अभिनंदन है. आपकी सामुदायिक सहभागिता को यहाँ साझा किया जा रहा है.
(सपरिवार)
-राजेश पटेल जी शिक्षक
सत्ती टोला बराछ, ब्योहारी जिला शहडोल (मध्यप्रदेश)
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माँ ममता पेड़ का दान,
दोनों करते जन कल्याण
पर्यावरण पर है सबका
इसलिए इसकी रक्षा भी है सबका कर्त्तव्य
-चन्द्रवती पटेल
नगनौडी
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प्रकृति से प्रेम
निवर्तमान:- नागपुर, महाराष्ट्र
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हरे रंग से धरती नाचें, मन नाचें फल खाकर,
मोर पपिहा प्यू प्यू बोले, तन डोले बलखाकर।
कड़ी धूप से बचता माथा, कितना गाए पेड़ों की गाथा,
जीते लकड़ी मरते लकड़ी, लकड़ी ही है जीवन साथा।
-आर आर पी
जंगली ढोढा़
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आओ एक संकल्प उठाएं!!...
जल ही जीवन है धरती पर. वृक्ष नहीं कटने पाए..
हरियाली ना मिटने पाए..
लेकर एक नया संकल्प.. हर एक दिन नया वृक्ष लगाएं.
यही प्रकृति ही जीवन है. अपने जीवन को बचाएं...
-सतीश कुमार पटेल
ग्राम Tendhaudh. जिला शहडोल मध्य प्रदेश मोबाइल नंबर 8511968684
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वृक्ष धरा के भूषण हैं। करते दूर प्रदूषण है।
बंजर धरती करे पुकार। कम बच्चे हों, वृक्ष हजार।
संतति- सा वृक्षों को मानो, पालो खूब बढ़ा ओ।
पर्यावरण शुद्ध करने को, दस-दस वृक्ष लगाओ।
-अनिल पटेल
ग्राम-नगनौड़ी, तहसील-जयसिंहनगर जिला शहडोल मध्यप्रदेश
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वृक्षो से हमे नैतिकता,परोपकार और विनम्रता की शिक्षा मिलती है फल को स्वम वृक्ष नही खाता। वह जितना अधिक फल फूलो से लदा होगा उतना ही झूका हुआ रहता है |
बंजर धरती करे पुकार। कम बच्चे हों, वृक्ष हजार।
संतति- सा वृक्षों को मानो, पालो खूब बढ़ा ओ।
पर्यावरण शुद्ध करने को, दस-दस वृक्ष लगाओ।
-अनिल पटेल
ग्राम-नगनौड़ी, तहसील-जयसिंहनगर जिला शहडोल मध्यप्रदेश
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वृक्षों की जब करोगे रक्षा, तभी बनेगा जीवन अच्छा.
पेड़ो के बिना मेरे यार, जीवन में होगा अंधकार.
अपना सच्चा धर्म निभाए, पेड़ बचाकर कर्तव्य निभाए.
पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ, इस दुनिया को सुंदर बनाओ।
-रामानंद पटेल
ग्राम-झरौसी, मोबाइल नंबर 9752810766
(श्री रामानन्द पटेल जी से आप वृक्षारोपण हेतु शासन द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले वित्तीय प्रावधानों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं)
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ज्ञानेंद्र कुमार पटेल, ग्राम -कछौन्हा, मानपुर जिला -उमरिया (मध्यप्रदेश)
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वृक्ष हमारे लिए हैं इतने जरूरी,
इनके बिना ना होगी जिंदगी पूरी,,
अपनी जरूरत की ही सही कुछ वृक्ष लगाएं,
शुद्ध हवा फल फूल लकड़ियां मुफ्त में पाएं,,।।
वीरेंद्र सिंह पटेल वीरू पिता श्री रोशन लाल पटेल
ग्राम , मनटोला थाना तहसील व्यवहारी शहडोल मध्य प्रदेश मोबाइल नंबर 9755119754
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पर्यावरण दिवस मनाई हो, चला- चली पौधा लगाई।
वातावरण स्वच्छ बनाई हो, चला- चली पौधा लगाई।
जन -जन में चेतना लाई हो, पर्यावरण का अलख जगाई।
जब हरियाली छाई, तब जीवन में खुशियाँ आई।
जब पेंड़ लगाउब, जीवन सुरक्षित पाउब।
पेंड़ होंगे तो मिलेंगे छाँव,वरना जल जाएंगे पाँव।
ग्लोबल वार्मिंग से जान बचाई हो,
पर्यावरण की शान बढ़ाई।
अखिलेश कुमार पटेल, शिक्षक
तलैया टोला, उकसा, थाना-तहसील ब्योहारी जिला शहडोल मध्यप्रदेश
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श्री संतोष कुमार पटेल,
(अखिलेश कुमार पटेल, शिक्षक के पिताजी)
तलैया टोला, उकसा, थाना-तहसील ब्योहारी जिला शहडोल मध्यप्रदेश
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प्रकृति प्रफुल्लित होती है,सुन्दर विटप लगाने से।
जल -जंगल अरु धरा धरोहर,है सबकी आवाज,
वृक्ष लगाओ-प्रकृति बचाओ ,कह दो अब जमाने से॥
-डी.ए .प्रकाश खांडे
ग्राम पोस्ट करोंदी ,तह .पुष्पराजगढ़ ,जिला -अनूपपुर मध्यप्रदेश
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सूर्य प्रताप सिंह |
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बंश बहादुर पटेल
" युवा जिलाध्यक्ष, कुर्मीक्षत्रिय समाज शहडोल, पूर्व अध्यक्ष झांपर उत्कर्ष युवक मंडल
.............................................." युवा जिलाध्यक्ष, कुर्मीक्षत्रिय समाज शहडोल, पूर्व अध्यक्ष झांपर उत्कर्ष युवक मंडल
.
का करी,का कही,कही-कही समझायी हो।
सबकोऊ मिलकर या पर्यावरण का नष्ट होएं से बचाई हो।।
हमरे मन मा यहै विचार वा औरू यहै संदेश वा।
5 जून का सबकोऊ मिलकर पर्यावरण दिवस मनायी हो।।
राहुल सिंह पटेल
ग्राम-तेन्दुआढ़ ब्यौहारी, मोबाइल नंबर 9584929599
..........................................................
हमने मन में ठाना है ,पर्यावरण बचाना है-2
हां वह सब मिले पेड़ लगाए धरती में हरियाली लाए
वायु प्रदूषण करें नियंत्रण ,स्वच्छता का लेवे हम प्रण।
यह प्रण हमें निभाना है ,पर्यावरण बचाना है-2
(पूरी रचना आगे है)
बी एस कुशराम
प्रभारी प्राचार्य बड़ी तुम्मी
मो07828095047,9669334330
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विकट दूर तक राहगीर , भटक -भटक कर सड़क किनारे
चला खोजने छाॅव।
तपती धूप-विकराल रूप, रवि रश्मि को वर्षा कर
जला दिए हैं पाॅव।
सूखा सीकर रिक्त सलिल शुष्क कंठ है शेष पंक है,
पानी कहां से पाऊं।
विहग नीड सब बिखर रहे, कोलाहल क्रंदन में बदली
बसेरा कहाॅ बनाऊॅ ?
मिलकर एक प्रण पूर्ण करें, पौधे जल और कल संचय कर,
चलो लगाए सघन वृक्ष की छांव।।
-अंजली सिंह
उच्च माध्यमिक शिक्षक
शासकीय उत्तर माध्यमिक विद्यालय भाद, जिला अनूपपुर (मध्य प्रदेश).
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आमडीह
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सूर्य प्रताप
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सूर्य प्रताप सिंह
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इस धरा से उस धरा तक सब धरा
रह जाता है ।
जीवन हरियाली का एहसास ये
वृक्ष तुमसे ही तो पाता है ॥
तुम कोई पैसा नहीं लेते हो
निःस्वार्थ भाव से सब देते हो ।
तुम जड तना पत्ती फल फूल
सब कुछ अपना देते हो॥ (पूरी रचना आगे है)
डॉ. एके पटेल,
सहायक प्राध्यापक, मेडिकल कालेज, जबलपुर
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मानव जीवन है खतरे मे इसमे है हम सबकी समझदारी
पेङ लगायेगे और पेङ बचायेगे
पर्यावरण सुरक्षा की लो जिम्मेदारी
-शिवम सिब्बू
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देवेन्द्र कुमार पटेल, (सहायक सचिव)
पिता श्री विनायक प्रसाद पटेल ग्राम तेंदुआढ़ ब्यौहारी जिला शहडोल (मप्र)
9589780241
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मैं और मेरी पूरी फैमिली मिलकर आज तीन पौधे रोपित किये जिसमे 1 आंवला 1 नींबू और 1आम था।
- श्री विनायक प्रसाद पटेल
ग्राम तेंदुआढ़ ब्यौहारी जिला शहडोल (मप्र)
9589780241
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अनिल पटेल (उच्च माध्यमिक शिक्षक),
जिला अध्यक्ष, आजाद अध्यापक शिक्षक संघ जिला शहडोल (मध्यप्रदेश) ...................................................................
drx. सरताज सिंह पटेल
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पेड़ों से मिलती हमको खुशियाली ।
किन्तु हमारे पास हो जब पेड़ों कि हरियाली।।
हरे भरे वृक्ष हमको देती शुध्द हवा की प्याली।
जीवन के हर क्षण को हरदम करती रखवाली ॥
आओ मिलकर करे प्रतिज्ञा जीवन देने वाली।
वृक्षारोपण करें और कराएं जाए प्रतिज्ञा न खाली॥
वृक्ष लगाओ वृक्ष लगाओ हम मिलकर देते नारा।
जीवन को जोड़े हरियाली संग हो जाए जीवन न्यारा ॥
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अरशिया पटेल
(लागोस, नाइजीरिया)
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सांझ सवेरे कुशमित हवाएं छटा मुझे बिखेरने दो
सूरज की लाल लालिमा मेरे मन को मोह गई
बारिश में फैले मोर पंख ने सबके मन भा गई
ग्राम- आखेट्पुर, ब्योहारी जिला शहडोल मध्यप्रदेश
.............................................................
सन्देश- स्टे होम
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आओ हम सब मिल कर आज एक संकल्प करें।
पेड़ो को काटे नही, और लगाये ऐसा विकल्प करे।
पेड़ो से ही है असली जीवन का अस्तित्व हमारा।
कभी न करे जो न करने को कहे स्वामित्व हमारा।
इस धरती से उस अम्बर तक कुछ छोड़ के जाए।
इंसानो का प्रकति से एक रिश्ता जोड़ के जाए।
आने बाली पीढ़ी हमारी आज से और बेहतर हो।
सुंदरता और हरियाली धरती की और बढ़कर हो।
-कुलदीप
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सुरेन्द्र कुमार पटेल,
ब्योहारी जिला-शहडोल(मध्यप्रदेश)
...........................................
दीपक पटेल व उनके मित्रगण
ग्राम उकसा मे आम का पेड़ लगाते हुए
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(4 वर्ष पूर्व विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मेरे द्वारा लगाए गए आम के पेड़ में अब फल लगने लगे हैं)
आओ मिलकर धरा सजाएं
शस्य श्यामला धरा हमारी,
अनुपम छटा, प्रकृति की प्यारी।
आओ मिलकर इसे सजाएं।
सब मिलकर हम पेड़ लगाएं।।
(पूरी रचना आगे है)
नरेंद्र प्रसाद पटेल
(राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक)
शासकीय हाई स्कूल दुलहरा
जिला अनूपपुर म.प्र.
..................................
संजय कुमारी पटेल,
ब्योहारी जिला शहडोल
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एड.रामानुज पटेल जी
संभागीय प्रवक्ता युवा साथी
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तीन पीपल और दो बिही के पौधे लगाए हैं
भौतिकता के पीछे भागते, हम देते पेड़ों को काट
और बदले में देते उसे, सिर्फ
प्रदूषण का उपकार।
प्रदूषित होगी यदि प्रकृति
होगें यदि पेड़ समाप्त
बस नहीं पायेंगे क्योंकि,
हम भी हैं इसी प्रकृति के भाग।
🌱🌳🌴 विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। 🌱🌳🌴🌿☘️🍀
मूल निवासी गजराज सिंह पटेल
पिता – श्री राम सेवक पटेल
ग्राम – Tenduadh
मोबाईल नम्बर - 9981939350
........................................................
1-पेड पौधों का रोपण कर, करे जीवन को हम खुशहाल l
मरते दम तक फल और छाया, देते रहते हैं फिलहाल ll
2-पर्यावरण को शुद्ध करॆ वह, मानव जीवन को करें महान l
किंतु अगर हम करें इसे कम जीवन रहे न रहे जहान ll
-अरूण कुमार पटेल (शिक्षक )
ग्राम -सेमरी, पोस्ट -सेमरा,
तह.-मानपुर, जिला - उमरिया (म.प्र.)
..................................
पर्यावरण दिवस पर एक पौधा लगाए।वातावरण कोशुद्ध बनाये।
सबका है ये काम, सबको मिलता है इससे अच्छा मुकाम।
सौरभ पटेल,
भोगिया, ब्योहारी
.........................................
तुझसे बहार आए, तुझसे आहार आए |
तुझसे नीर-हवाएं ,एक पौधा हम लगाएं |
सब जीवों का आधार,पानी पादप और वयार |
पर्यावरण की यही पुकार, दो बच्चे और वृक्ष हजार ||
-कुमारी नारायणी प्रकाश खांडे
पिता श्री डी.ए.प्रकाश खांडे,
ग्राम पोस्ट-करौंदी,पुष्पराजगढ़,जिला-अनूपपुर म.प्र
..........................................
एक पेड़ हम लगाये हैं, पर्यावरण को बचाये हैं।
आज है पर्यावरण दिवस, है सुनहरा एक अवसर ।
हर वर्ष होगा इसका इन्तजार।
हम सब करेंगे इसकी सिंचाई
पोषित होगा पौधा और संसार॥
सुनील कुमार पटेल,
शिक्षक, ब्योहारी जिला शहडोल
शिक्षक, ब्योहारी जिला शहडोल
.........................................
वीरेन्द्र कुमार पटेल,
शिक्षक, ब्योहारी जिला शहडोल
..................................................
नर्सरी से नीबू का पौधा लिया गया
-पुष्पेन्द्र पटेल
अधिवक्ता,युवा समाज सेवी, गोदावल रोड ब्योहारी,जिला- शहडोल (मध्यप्रदेश)
.........................................
पाली महाविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण |
दुबक घरों में बैठा मानव, करनी का फल पाता है॥
जीव जंतुओं पर निर्दयता, प्रकृति का अपमान ही है।
अपने कर्मों से दुख भोगे , वह प्राणी इंसान ही है॥
आओ हम सब प्रण लेते हैं, प्रकृति का सम्मान करें।
दानव बनकर नहीं है जीना ,बस अच्छा इंसान बनें॥
(पूरी रचना आगे है)
Ⓒ शशि द्विवेदी "शिवम"
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
...........................................
....................................
धर्मेन्द्र कुमार गुप्ता,
गोदावल तिराहा भोगिया, ब्योहारी (Basically from Devgnaw)
...........................................
कल-कल करती नदियाँ हो,
या गुँजन करती चिड़िया हो.
उपवन में फूलों से महकती वादी हो,
या शेरों की आजादी हो.
हर चीज मिला हैँ इस धरती से,
पपीहे का निज कृन्दन हो,
या भौंरो का नित गुँजन हो
(पूरी रचना आगे है)
ग्राम-आमडीह उपनिरीक्षक
म. प्र. पुलिस
..................................
(Plantation done by our SEPPL team on world environment day)
......................................
काव्यमय पर्यावरण महोत्सव पखवाड़ा 2020..................................
(Plantation done by our SEPPL team on world environment day)
......................................
(लम्बी रचनाएं)
यूँ तो इस महोत्सव के लिए एक से बढकर
एक रचनाएं प्राप्त हुईं, किन्तु तीन ऐसे रचनाकार रहे जिन्होंने पखवाड़े के प्रथम
दिवस से लेकर समापन तक अपनी रचनाओं से लोगों को बांधे रखा या यह कहें कि वास्तव
में काव्यमय पर्यावरण महोत्सव के नाम को चरितार्थ कर दिया. इनकी सैकड़ों रचनाएँ
ग्रुप को प्राप्त हुयी हैं, यहाँ पर उनकी प्रतिनिधि एक रचना को स्थान दिया जा रहा
है, उनकी अन्य रचनाओं को पढने के लिए उनकी
रचना के अंत में दिए गये लिंक को क्लिक करके पढ़ सकते हैं, सबसे पहले उन तीनों की रचनाएँ:-
पर्यावरण महोत्सव स्पेशल:-
उसनें सब कुछ दिया,और तूनें सब कुछ लिया,
बदले में तूनें ये क्या किया
( 1)
जिस मातृभूमि पर जन्म लिया,
उसी का ह्रदय खोद खोद कर छलनीं किया।
रासायनिक पदार्थों के द्वारा,
उर्वरा शक्ति का नाश किया।
धरती बंजर कर डाला , न
मैदान बचा और न नाला।
और तूनें हरदम मौज किया।
उसनें सब कुछ दिया........!
बदलें में तूनें ............❓
(2)
बहती धार पर कर प्रहार,रफ्तार को रोक दिया,
नदी नाले की दिशा, उल्टा -पुल्टा
मनमाना मोंड़ दिया।
जिस अमृत जल को पी कर बडा़ हुआ।
उसी जल को तूनें प्रदूषित कर नष्ट किया।
उसनें सब कुछ दिया............!
बदले में तूनें .............
(3)
लहलहाती इठलाती लताओं को ऐंठ मरोड़ कर तोड़ दिया,
जिस डालियों ने जीनें के लिए प्राणवायु दिया।
तूनें उसे भी नहीं छोडा़,जिसनें स्वयं तिल तिल जलाकर अगेठी में रोटियां पकाई,
हरे पेंड कहलाने वाले को तूनें सूखी लकडी़ बना दिया।
उसनें सब कुछ दिया...........!
बदले में तूनें ............
आपका भाई - धर्मेन्द कुमार पटेल
मत काट मुझे
हे!
मनुज मत काट मुझे,
मुझे
भी कसक होता है।
इस
निर्ममता की वेदना से,
मेरा
हृदय भी रोता है॥
मत काट मुझे।
मैं
वारिद को आकृष्ट कर,
वसुधा
में पावस लाता हूँ।
धरा
का तपन हर कर,
चराचर को आह्लादित
करता हूँ॥
मत काट मुझे।
मैं चारू सुमन
सरस फल देकर,
मैं
किसी से कुछ नहीं
लेता हूँ।
महि
के प्राणी जीवन को,
निज
गोद में आश्रय
देता हूँ॥
मत काट मुझे।
मैं
इस धरती का श्रृंगार हूँ,
सब
जीव धारियों का आधार हूँ।
मैं
मधुप का रसपान हूँ,
विहग
के कलरव तान हूँ॥
मत काट मुझे।
सकल जग को प्रमुदित
करता हूँ,
धरा
में हरीतिमा लाता हूँ।
अवनी
से
अंबर तक,
मंद,
सुगंध प्राणवायु बहाता हूँ॥
मत काट मुझे।
प्रदूषण
को अवशोषित कर,
पर्यावरण को संतुलित बनाता हूँ।
मृदा
अपरदन को रोककर,
मैं
जग में पादप
कहलाता हूँ॥
मत काट मुझे।
मनोज कुमार चंद्रवंशी
(शिक्षक) ग्राम बेलगवाँ
विकासखंड
पुष्पराजगढ़
जिला अनूपपुर
मध्य प्रदेश
(उनकी ऐसी ही अन्य
रचनाओं के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें)
पर्यावरण संरक्षण:-
कहती प्रकृति सुनो मन का जुनून छोंड़।
अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मत मार तू॥
होवे है मनुज तू दनुज की न राह चल।
पेड़ों की कटाई कर वन न उजार तू॥
इनसे है धरती पुनीत अति भावनी।
मित्र हैं तुम्हारे पेड़, आरा न चलाओ तू॥
काम आयेंगे तुम्हारे ही एक दिना सोच ले।
मंगल तुम्हारा है, अमंगल न कराओ तू॥
आमों के भी आम हैं गुठलियों के दाम हैं।
फायदा है चहुं ओर पेड़ों को लगाओ तू॥
प्राणवायु शुद्ध मिले पेड़ों की सलामती से।
जीवन को अपने सुनिश्चित बनाओ तू॥
मौज करो मस्ती करो जब तक प्रदूशण नहीं।
इसीलिए पर्यावरण रक्षित कराओ तू॥
राम सहोदर कहें मैंने भी रोपे नब्बे।।
अच्छे-अच्छे कुछ पेंड़ अभी भी लगाओ तू॥
(उनकी ऐसी ही अन्य रचनाओं के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें)
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मेजर कृष्ण कुमार (के के) की रचना:-
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हरा भरा हूं इस धरती पर हरा भरा ही रहने दो
सांझ सवेरे कुशमित हवाएं छटा मुझे बिखेरने दो
सूरज की लाल लालिमा मेरे मन को मोह गई
बारिश में फैले मोर पंख ने सबके मन भा गई
दूर खड़ा पर्वतों पर नजरें किरणों को अवलोकित कर रही
सुंदर-सुंदर दृश्य किरण की आमोदित मुझको कर रही
खुशनुमा पवन के झोंकों ने मुझको कुछ एहसास दिया
यह जीवन टिका धरा पर मानो मैंने तुमको सांस दिया
आलोकित करते तारों को टिम टिम करते मैंने देखा है
बादल की सुंदर चादर में छुपते उनको देखा है
पावश की घनघोर घटाओं में छाई वशुधरा में हरियाली
आओ हम सब मिलकर के पर्यावरण मनायें और खुशहाली
-मेजर कृष्ण कुमार केके
पुलिस विभाग, उमरिया (मध्यप्रदेश)
पुलिस विभाग, उमरिया (मध्यप्रदेश)
1. विनय कुमार पटेल जी की रचना:-
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रो-रोकर पुकार रहा हूं,हमें जमीं से मत उखाड़ो।
रक्तस्राव से भीग गया हूं मैं,कुल्हाड़ी अब मत मारो।
आसमां के बादल से पूछो, मुझको कैसे पाला है।
हर मौसम में सींचा हमको, मिट्टी-करकट झाड़ा है।
उन मंद हवाओं से पूछो, जो झूला हमें झुलाया है।
पल-पल मेरा ख्याल रखा है, अंकुर तभी उगाया है।
तुम सूखे इस उपवन में, पेड़ों का एक बाग लगा लो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं, हमें जमीं से मत उखाड़ो।
इस धरा की सुंदर छाया, हम पेड़ों से बनी हुई है।
मधुर-मधुर ये मंद हवाएं, अमृत बन के चली हुई हैं।
हमीं से नाता है जीवों का, जो धरा पर आएंगे।
हमीं से रिश्ता है जन-जन का, जो इस धरा से जाएंगे।
शाखाएं आंधी-तूफानों में टूटीं, ठूंठ आंख में अब मत डालो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं, हमें जमीं से मत उखाड़ो।
हमीं कराते सब प्राणी को, अमृत का रसपान।
हमीं से बनती कितनी औषधि। नई पनपती जान।
कितने फल-फूल हम देते, फिर भी अनजान बने हो।
लिए कुल्हाड़ी ताक रहे हो, उत्तर दो क्यों बेजान खड़े हो।
हमीं से सुंदर जीवन मिलता, बुरी नजर मुझपे मत डालो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं, हमें जमीं से मत उखाड़ो।
अगर जमीं पर नहीं रहे हम, जीना दूभर हो जाएगा।
त्राहि-त्राहि जन-जन में होगी, हाहाकार भी मच जाएगा।
तब पछताओगे तुम बंदे, हमने इन्हें बिगाड़ा है।
हमीं से घर-घर सब मिलता है, जो खड़ा हुआ किवाड़ा है।
गली-गली में पेड़ लगाओ,हर प्राणी में आस जगा दो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं, हमें जमीं से मत उखाड़ो।
-विनय कुमार पटेल
निवास-ग्राम पोस्ट अखेटपुर,तहसील ब्यौहारी जिला शहडोल
मो न 8871244912
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2. कुलदीप पटेल जी की रचना:-
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वर्षों
स्वार्थ सिद्ध किये कभी नही जाना
हाल।
प्रकृति
को पीछे कर बस खुद का जाना चाल।
निज हो
रहा जल स्तर नीचे तापमान रहा बढ़,
व्यर्थ
है बदलते मौसम पर अब उठाना सवाल।
एक बार जुल्म को अपने तुम ठीक से देखो।
आकर
दर्द प्रकृति की तुम नजदीक से देखो।
कारखानों
और इमारतों को तरक्की कहते हो,
आने
बाले कल को अपने तुम करीब से देखो।
पेड़
सदियों
से अब तक धरती की सुंदरता
है पेड़ों से!
दुनिया
के हर कोने में खुशबू बिखरता
है पेड़ों से!
स्वर्ग जन्नत ऊपर है ये तो
अब तक है पता नही
मगर इस धरती
में चारो ओर अमरता है पेड़ो
से!
कभी राहगीर का हम साथी बनकर साथ निभाते है!
कभी
तेज़ दोपहरी धूप में छाव देकर साथ निभाते है!
इनकी फितरत में
है नही बदलना इंसानो जैसा!
लाख गलत करो संग इन के चाहे शैतानों जैसा!
शौभाग्य समझना गर मिले जो मौका दोस्ती करने को!
घुल
मिल कर संग खेल कूद और मस्ती करने को!
फर्ज
और किर दार निभाने
से कभी नही ये पीछे होंगे!
देंगे
दुनियाभर की खुशियां जितना आप नही सोचे होंगे!
हिलाकर पत्तो को बयां करते है हमारी तरह जताते नही!
पेड़
पौधे भी मुस्कुराते है मगर हम समझ
पाते नही!
अपनी जरूरतों
को पूरा करने में कत्ल तक कर जाते है
मगर
उनके तन से बहते
लहू को कभी देख पाते नही!
पतझड़ आया छीन कर ले गया पूरे तन से लिबास!
फिर
आएगी हरि याली एक दिन मन मे है पूरा विश्वास!
जीवन
का मतलब ही तो पाकर खोना खोकर पाना है!
अफ सोस किस बात यह खेल तो
बहुत पुराना है!
असल मे इस जिंदगी को जीने का तरीका सिखाते है पेड़!
हर
परिस्थिति में मदद करने का सलिखा सिखाते हैं पेड़!
तेज़
तूफा आंधी आने पर भी अपने जगह में डटे रह कर,
हमे
मुशीबतों से डटकर लड़ने का तरीका सिखाते है पेड़!
सांसो से जो जीवन को जोड़े,काटें उनको हैं ये कैसा न्याय!
जीवन
का हिस्सा है जो हमारे कर रहे संग उनके अन्याय!
अगर आज
से स्वच्छ सुरक्षित और सुंदर भविष्य चाहिए तो
न हम
काटेंगे न काटने देंगे का शुरू करें एक नया अध्याय!
आओ हम सब मिल कर आज एक संकल्प करें!
पेड़ो
को काटे नही और लगाये ऐसा विकल्प करे!
पेड़ो
से ही है असली जीवन का अस्तित्व हमारा!
कभी न
करे जो न करने को कहे स्वामित्व हमारा!
इस धरती से उस अम्बर तक कुछ छोड़ के जाए!
इंसानो
का प्रकति से एक रिश्ता जोड़ के जाए!
आने
बाली पीढ़ी हमारी आज से और बेहतर हो!
सुंदरता
और हरियाली धरती की और बढ़कर हो!
वर्षों
स्वार्थ सिद्ध किये कभी नही जाना
हाल।
प्रकृति
को पीछे कर बस खुद का जाना चाल।
निज हो
रहा जल स्तर नीचे तापमान रहा बढ़,
व्यर्थ
है बदलते मौसम पर अब उठाना सवाल।
एक बार जुल्म को अपने तुम ठीक से देखो।
आकर
दर्द प्रकृति की तुम नजदीक से देखो।
कारखानों
और इमारतों को तरक्की कहते हो,
आने
बाले कल को अपने तुम करीब से देखो।
✍कुलदीप पटेल
✒ के•डी
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3. राजकुमार पटेल जी की रचना:-
.....................................
3. राजकुमार पटेल जी की रचना:-
.....................................
करके ऐसा काम दिखा दो, जिस पर गर्व दिखाई दे।
इतनी खुशियाँ बाँटो सबको, हर दिन पर्व दिखाई दे।
हरे वृक्ष जो काट रहे हैं, उन्हें खूब धिक्कारो,
खुद भी पेड़ लगाओ इतने, धरती स्वर्ग दिखाई दे।।
करके ऐसा काम दिखा दो…
कोई मानव शिक्षा से भी, वंचित नहीं दिखाई दे।
सरिताओं में कूड़ा-करकट, संचित नहीं दिखाई दे।
वृक्ष रोपकर पर्यावरण का, संरक्षण ऐसा करना,
दुष्ट प्रदूषण का भय भू पर, किंचित नहीं दिखाई दे।।
करके ऐसा काम दिखा दो…
हरे वृक्ष से वायु-प्रदूषण का, संहार दिखाई दे।
हरियाली और प्राणवायु का, बस अम्बार दिखाई दे।
जंगल के जीवों के रक्षक, बनकर तो दिखला दो,
जिससे सुखमय प्यारा-प्यारा, ये संसार दिखाई दे।।
करके ऐसा काम दिखा दो…
वसुन्धरा पर स्वास्थ्य-शक्ति का, बस आधार दिखाई दे।
जड़ी-बूटियों औषधियों की, बस भरमार दिखाई दे।
जागो बच्चो, जागो मानव, यत्न करो कोई ऐसा,
कोई प्राणी इस धरती पर, ना बीमार दिखाई दे।।
करके ऐसा काम दिखा दो…
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4 .अजीत पटेल जी "सोनू"
................................
4 .अजीत पटेल जी "सोनू"
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अगर ऐसे ही बढ़ता रहा अगर, पेड़ पौधों का विनाश।
तो एक
दिन जो जाएगा इस वशूंधरा से,जीवन का सर्वनाश।
दिख रही
है जो यहां थोड़ी बहुत हरियाली,
हो
जायेगी एक दिन, प्रकृति
की चादर खाली।
न बादल होगे न बारिश की बूंदे होंगी,
और न
इंद्रधनुष का मंजर होगा।
सचिव - जन
कल्याण युवक मंडल झाॅपर ब्यौहारी
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5. शिवानन्द पटेल जी की रचना:-
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पेड़ों को मत काटिए, राखें इनका ध्यान।प्राणवायु देते हमें, सचमुच हैं वरदान।।
पर्यावरण बचाइए, काम बड़ा है नेक।
किसी यज्ञ से कम नहीं, रखना बुद्धि विवेक।।
हरी भरी धरती रहे, जन हों सब खुशहाल।
जीवन हो धन-धान्य से, सबका मालामाल।।
वृक्ष कभी लेते नहीं, देते हैं फल फूल।
इन्हें काटने की कभी, करना न अब भूल।।
आने वाले समय की, सबसे बड़ी है मांग।
संकट है अस्तित्व का, ऐ मानव तू जाग।।
पशु पक्षी हर जीव पर, पेड़ों का उपकार।
संरक्षण मिलकर करें, यहीं एक उपचार।।
*********
शिवानंद पटेल जिला- उमरिया (म.प्र.)
..........................................
6.भोला प्रसाद ' सरस की जी रचना:-
...........................................
पर्यावरण के दोहे
तरुवर अदय न काटिए,देते सबको प्राण।
प्राण बचाने के लिए,करो वृक्षों की त्राण।।
गरल ग्रहण करते सदा,देते सुधा समीर।
बिना वृक्ष के इस जग में,संभव नहीं शरीर।।
आम जंबु नीबू कटहल,सिवाय पेड़ खजूर।
पथिक को शीतल छाया,फल देते भरपूर।।
तरुवर देव वृक्ष समान, मन वांछित फल देत।
परहित पावस शीत अरू, आतप भी सह लेत।।
अवनि हरित हीन होती, खग वृंद नहीं होते।
मृदा मरू बन जाती जो, भू पर तरू न होते।।
तरुवर संत समान दुःख, हरते परहित हेतु।
जैसे दुःख दीन जन के,हर लेते वृषकेतु।।
मुनि सम मौन खड़े रहत, निशि - दिन शोक सहते।
तबर प्रघात भी सहते,पर कुछ भी न कहते।।
आओ मिलकर करें प्रण,प्रकृति हरित बनाएं।
कर्म मान निज जीवन में,दस- दस वृक्ष लगाएं।।
🙏भोला प्रसाद ' सरस '🙏
साजावार, सिंगरौली (म ०प्र०)
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7. कोमल चंद कुशवाहा जी की रचना:-
.............................................
मैं पर्यावरण हूं.............................................
1
मैं पर्यावरण हूं
मैं सृजन करता हूं
मैं निर्माता और संहारक हूं
मैं रोग और औषधि हूं
मैं पर्यावरण हूं।
2
मैं जल, जमीन, जंगल हूं
मैं साकार भी हूं निराकार भी हूं
मैं जन्म, जवानी, ज़र हूं
मैं दसों दिशाएं हूं
मैं पर्यावरण हूं।
3
मैं चांद, तारा, सूरज हूं
मैं जल,थल, नभ हूं
मैं सृष्टि का कण-कण हूं
मैं आचार,विचार,संस्कृति हूं
मैं पर्यावरण हूं।
4
मैं मित्र भी और शत्रु भी हूं
मैं जीवन का रंग हूं
मैं जागरण और निद्रा हूं
मैं सृष्टि का नियंता हूं
मैं पर्यावरण हूं।
5
मैं एक चक्र हूं
मैं अनवरत चलता हूं
मैं क्षमाशील सरूप हूं
मैं महाकाल कुरूप हूं
मैं पर्यावरण हूं।
6
मेरा संतुलन बिगड़े तो
मैं प्रलय विनाश हूं
मैं अति का अंत हूं
मैं सर्वशक्तिमान हूं
मैं पर्यावरण हूं।
7
मैं कर्ता और अकर्ता हूं
मैं समाधिस्थ हूं
मैं आशुतोष हूं
प्राकृतिक संसाधन मेरे अंग है
मैं पर्यावरण हूं।
8
स्वार्थी बन निचोड़ो तो
मैं महाकाल महाविनाश हूं
मै बंधन मुक्त त्रिनेत्र हूं
मैं ही शाश्वत सत्य हूं
मैं पर्यावरण हूं।
-कोमल चंद कुशवाहा, रीवा मध्यप्रदेश
...............................................
8. बेटू पटेल जी की रचना:-
...................................................
.......................................
9. नरेन्द्र प्रसाद पटेल जी की रचना:-
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विश्व पर्यावरण दिवस पर दो कविताएं
(1)
आओ मिलकर धरा सजाएं
शस्य श्यामला धरा हमारी,
अनुपम छटा, प्रकृति की प्यारी।
आओ मिलकर इसे सजाएं।
सब मिलकर हम पेड़ लगाएं।।
फैल रहा है बहुत प्रदूषण,
कट रहे सब जंगल वन।
कोई ऐसा यत्न करें हम,
बच जाएं सब जन और वन।।
विटप,जन्तु, सरिता अरु नाले,
ये सब हैं मित्र हमारे।
सूखी धरा आज कह रही,
इन्हें सम्हाले मिलकर सारे।।
आवश्यक है पर्यावरण सुरक्षा,
इनसे होगी मानवता की रक्षा।
परोपकार कर जीवजगत का,
मानव को देते परहित की शिक्षा।।
(2)
एक पेड़ की व्यथा
मैं हूं तो
तुम हो।
मेरी छांव तले,
तुम्हारी कई पीढ़ियां
बीत गई।
यदि धरा को
बचाना है,
तो मुझे भी
बचाना होगा।
यदि मुझे
बचाओगे तो,
तुम भी बच पाओगे।
मैं हूं प्राण दायिनी,
जीवन रक्षक,
मुझ में है
सारा विश्व समाया।
आज पूरी मानवता
पुकार रही है।
मेरी ममता की छांव में
कई कहानी गढ़ी गई है।
मैंने सहे हैं
चौमासा,
अंधड,
लूं ,
सिसकती असीमित ठंड,
तब भी,
नहीं डिगा हूं
मानवता की खातिर।
चाहे कितने जुल्म करो तुम
कहीं वन,
कहीं उपवन,
कहीं अमराई
बनकर
हरदम साथ दिया है तुमको।।
नरेंद्र प्रसाद पटेल
(राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक)
शासकीय हाई स्कूल दुलहरा
जिला अनूपपुर म.प्र.
.............................................
10. संदीप शिवा जी की रचना:-
...............................................
5 जून पर्यावरण बेहतरीन श्लोक
आओ सब मिलकर बचाएं पर्यावरण प्रकृति की सुंदरता का ना करें हरण जब पेड़ और पौधे लगाओगे तभी सुखी और सुरक्षित जीवन पाओगे पर्यावरण के दिल से करो तुम सम्मान क्योंकि यही है हमारे जीवन के लिए वरदान पेड़ काटने की तुम छोड़ो आदत वरना जल्दी आएगी धरती पर कयामत बात मेरी सुनो मत काटो पर हो को भाई तुम्हारे बच्चों को करने पड़ेगी इसकी भरपाई पेड़ लगाकर उसको देना पानी बुद्धिमान होने की है निशानी पेड़ काटकर बनता है मानो हीरो प्रकृति विनाश लाकर कर देती है जीरो कहते हैं वेद पुराण एक वृक्ष 10 पुत्र समान करो प्राकृतिक वस्तुओं का सही उपयोग यही होगा आपका पर्यावरण सुरक्षा में सहयोग Mr. Sandeep /shiva Patel porpar Beohar
पर्यावरण महा उत्सव हार्दिक शुभकामनाएं
पेड़ों की छाया में ही तो
पक्षियों का रैन बसेरा है
इनके होने से हम हैं
और कहते हैं जीवन मेरा है
गौर से देखो इन्हें
ये भी तो कुछ कहते हैं
फूल ,फल ,हवा ,सुगंध, ये सब देते रहते हैं
मीठे मीठे फल इनके बच्चों को कितने भाते हैं इनका तो ही रस लेकर भाबंरे मस्त मगन हो जाते हैं
पत्तियां कभी ताजी हरि तो कभी सुख कर सुनहरी हो जाती है इन्हें देखकर कोयला भी तो देखो नगमे कैसे गाती है देख इन्हें हर एक का दिल
ऐसे खुश हो जाता है जैसे शीत लहर का झोंका खुशियों के रंग लाता है इनको जो गर काट गिराया कैसे मिलेगी तुमको छाया दर्द इन्हें भी होगा
चोट इन्हें भी लगती होगी इनको जो गर काट गिर आओगे तुम भी तो ना बच पाओगे जो समझेगा दर्द को इनके इंसान वहीकहलाएगा
इनके बिना ना जीवन अपना इनकी रक्षा काम है अपना
हर एक जो पेड़ लगाएगा वो नेक काम कर जाएगा
जो समझेगा दर्द को इनके
इंसान वही कहलाएगा.
............................
संदीप कुमार पटेल ( शिवा) ब्यौहारी भोगिया
जिला शहडोल मध्य प्रदेश सामाजिक कार्य मो. 9662987565
.....................................
11. पुष्पेन्द्र पटेल जी की रचना
...................................
हे मानव सावधान!
मैंने क्या बिगाड़ा तुम्हारा
तुम मुझे क्यों काट रहे हो
मुझ पर कुल्हाड़ी मत चलाओ
प्रकृति ने मुझे पाला है
केवल तुम्हारे लिए
मुझे तुम्हारे जीवन का
किमती बनाया है
अब तुम सूखे बंजर जमीन पर
पेड़ों का एक बाग लगा लो
मेरी पीड़ा समझो अब मुझे मत उखाड़ो
मैं तुम्हें सुंदर छाया सुंदर बहती ठंडी हवा देती हूं
इस धरा के जीवो से नाता मेरा
जन जन का रिश्ता मेरा
हमें तो सभी को अमृत का रसपान कराते हैं
हम ही से बनती दवाई से तुम्हारा जीवन बचाते हैं
हम ना रहे जमीन पर तो तुम्हारा जीवन दूभर हो जाएगा
हा हा कार चारों ओर मच जाएगा
अब गली गली में पेड़ लगाओ
खुद जागो सबको जगा
- पुष्पेन्द्र पटेल,
अधिवक्ता,युवा समाज सेवी, गोदावल रोड ब्योहारी,जिला- शहडोल (मध्यप्रदेश)
..............................................12. राम राज पटेल की रचना:-
..............................................
(1)
आओ मिलकर पेड़ लगाए।
पर्यावरण को शुद्ध बनाएं।।
जन जन ने ठाना है,सौ सौ पेड़ लगाना है।
5 जून तक, पर्यावरण दिवस मनाना है।
आम ,नींबू या हो कटहल,
पेड़ लगाने पर हो पहल।
पेड़ों को मित्र बनाना है,सौ सौ पेड़ लगाना है।
आओ मिलकर पेड़ लगाए।
पर्यावरण को शुद्ध बनाए।
पेड़ नहीं तो हवा जहरीली,
होता अपछय और अपरदन।
जल जीवन होता विषाक्त,
नाश करें तन,मन और धन।
विश्व जगत भी करें पुकार,
सौ सौ पेड़ लगाए इस साल।
आओ मिलकर पेड़ लगाए।
पर्यावरण को शुद्ध बनाए।।
पानी मौसम सावन लाती,
तेज तपन को हर ले जाती।
सुन्दर उपवन और बगीचा,
एक एक सबको बनाना है।
संसार का श्रेष्ठ गुरु,बनकर सबको दिखलाना है।
सौ सौ पेड़ लगाना है।
आओ मिलकर पेड़ लगाए।
पर्यावरण को शुद्ध बनाए।।
आओ फलदार वृक्ष लगाए ,
तन दुर्बलता को दूर भगाएं ।
आर्थिक तंगी की सीमा पर,
हद तक निजात पाएं।
आओ सौ सौ पेड़ लगाए ।
(2)
कड़े धूप से बचता माथा।
कितना गाए पेड़ों के गाथा।
हरे रंग से धरती नाचें,
मन नाचें फल खाकर,
मोर पपिहा प्यू प्यू बोले,
तन डोले बलखाकर।
कड़ी धूप से बचता माथा,
कितना गाए पेड़ों की गाथा,
जीते लकड़ी मरते लकड़ी,
लकड़ी ही है जीवन साथा।
कितना गाए पेड़ों की गाथा।
जड़ी बूटी से मिले दबाई,
बने कलम तो करें लिखाई,
राम धनुष बन करें मराई,
तानसेन मुंह बजे सहनाई,
कड़े धूप से बचता माथा।
कितना गाए पेड़ों की गाथा।
फर्नीचर बन घर की रौनक,
हर दफ्तर की सान और सौकत,
सादी में बने सेंधऊरा,
कितना दे लकड़ी का व्यौरा,
लकड़ी है जीवन साथा।
कितना गाए लकड़ी गाथा।
बर्षा मौसम लाती नित,
जीवन की है असली मीत,
सबको पेड़ लगाना होगा,
जिंदा जीवन रहना होगा।
बने पेड़ जीवन का साथा।
कितना गाए पेड़ों की गाथा।
दिए हवा जीवन हम पाएं,
आओ मिलकर सब पेड़ लगाए,
जीते लकड़ी मरते लकड़ी,
लकड़ी है जीवन के साथा।
कितना गाए पेड़ों के गाथा।।
-आर आर पी जंगली ढोढा़
5 जून को पर्यावरण दिवस मनाएं विश्व गुरु बनकर दिखलाएं।
आओ मिलकर पेड़ लगाए। पर्यावरण को शुद्ध बनाए।।
........................................
13. राजेश कुमार पटेल की रचना:-
.........................................
पेड़ पौधों से परोपकारी कोई नहीं
विश्व पर्यावरण दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं बधाई,आज का दिन संपूर्ण विश्व में पर्यावरण संरक्षण की याद में मनाया तो जाता है, किन्तु बहुत कम साथी इसकी महत्ता को जानते होंगे कि यह दिवस मानने की जरूरत क्यों हुई..,?आज संपूर्ण विश्व बहुत सारी विपदाओं से ग्रस्त है, और इसका सबसे बड़ा कारण पर्यावरण प्रदूषण है, प्रकृति का संतुलन मानव द्वारा किए जा रहे निरंतर प्रकृति के दोहन के कारण हुआ है।जिससे हमारा वातावरण बहुत अधिक मात्रा में दूषित हो गया है जंगल नष्ट हो गए हैं। पानी दूषित हो गया है, शुद्ध हवा में कमी आ गई है, और यह सभी सिर्फ और सिर्फ पृथ्वी की हरियाली और पेड़ पौधों को नष्ट करने से हुआ है। जिसके गंभीर परिणाम हम आज भुगत रहे हैं। इन सभी समस्याओं के निराकरण का एकमात्र सीधा सा हल है कि हम हमारे जीवन में अधिक से अधिक पेड़ पौधों की सुरक्षा करें उन्हें लगाएं उन्हें वृक्ष बनाएं और हमारे पर्यावरण को संरक्षित करने का जन आंदोलन स्वयं से ही शुरू करें मैंने तो इस कार्य की शुरुआत बहुत समय से कर दी है और अब तक अपने जीवन में कई सारे पौधों को पेड़ बनाने का सुख प्राप्त किया है। आज के दिन आप सब से यही निवेदन करना चाहूंगा कि आप सभी अपने जीवन में इस धरती को हरा भरा बनाने के लिए कम से कम 10 पौधों को पेड़ बनाने का वचन स्वयं से लें और पूरे वर्ष भर कहीं ना कहीं किसी न किसी बहाने के साथ पेड़ पौधों को प्रकृति को सुरक्षित करने के काम में मेरी मदद करें।
विश्व पर्यावरण दिवस पर आप सभी को पुनः हार्दिक बधाई के साथ
🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼आपका अपना - राजेश कुमार पटेल , हमारा मेट्रो, जिला ब्यूरो, शहडोल
....................................................
14-डी.ए.प्रकाश खाण्डे की रचना:-
..................................................
पर्यावरण दिवस
साँसे कम तो होती जाती,
वृक्षों के अब जाने से |
प्रकृति प्रफुल्लित होती है,
सुंदर विटप लगाने से ||
जल जंगल अरु धरा धरोहर,
है सबकी आवाज |
वृक्ष लगाओ-प्रकृति वचाओ,
जागो सुप्त समाज ||
लौट आएगी हरीतिमा,
समस्या का समाधान होगा |
प्यारी धरती झूम उठेगी,
तरु लताओं की परिधान होगा ||
नव प्रभात की नव किरणें,
हर्षित सुमन लताएँ |
शुभ संध्या की वेला में ,
पुलकित सघन हवाएँ ||
पादप-प्रसून पुलकित होगा,
अनुपम अवसर आएगा |
शुभ संकल्प सुहावन होगा,
पांच जून हर्षाएगा ||
-डी.ए.प्रकाश खाण्डे
शासकीय कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ ,जिला -अनूपपुर म .प्र
...........................................
15. मनोज कुमार चंद्रवंशी की रचना:-
............................................
प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करें,
आओ वन्यजीवों को आरक्षित करें।
आओ वैज्ञानिक दृष्टिकोणअपनाएँ,
आओ खेत के मेड़ों में वृक्ष लगाएँ॥
हर वस्तुएं प्रकृति की उत्तम कृति,
यह दृश्य मानव हाथों का विकृति।
आओ प्रकृति का संरक्षण करें,
प्रकृतिवादी को अनुसरण करें॥
सब वन्यजीव कर रहे पुकार,
हम पर अनावश्यक न करो प्रहार।
स्वच्छंद हमें में विचरण करने दो,
हमें प्रकृतिक में खुशी भरने दो॥
नदी, सरोवर, झील, और झरना,
हमें इनका है संरक्षण करना।
आओ धरती को स्वर्ग बनाएँ,
यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाएँ॥
त्याग करें भौतिकवादी अरमान,
हम सब करें प्रकृति का सम्मान।
एक वृक्ष सौ पुत्र समान,
सबको होना चाहिए इसका ज्ञान॥
एक कदम सब आगे आएं
आमजन में जागरूकता फैलाएँ।
मिलकर एक - एक वृक्ष लगाएँ,
पर्यावरण को संतुलित बनाएँ॥
विश्व पर्यावरण दिवस पर समर्पित
- मनोज कुमार चंद्रवंशी
विकासखंड पुष्पराजगढ़ जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
....................................................
16. पुष्प राज सिंह मरावी जी का सन्देश:-
...........................................
बदलें हम तस्वीर जहाँ की
सुंदर सा एक दृश्य बनाये,
संदेश ये हम जब तक फैलायें
आओ मिलकर पर्यावरण बचाएँ।
(पुष्प राज सिंह मरावी जिला-उमरिया म.प्र.) सामजिक कार्यकर्ता
.....................................
17. बी एस कुशराम की रचना:-
...................................
पर्यावरण
हमने मन में ठाना है ,पर्यावरण बचाना है-2
हां वह सब मिले पेड़ लगाए धरती में हरियाली लाए
वायु प्रदूषण करें नियंत्रण ,स्वच्छता का लेवे हम प्रण।
यह प्रण हमें निभाना है ,पर्यावरण बचाना है-2
चिड़ियों को दें दाना पानी,ना पहुंचाएं इनको हानी।
रंग बिरंगी चिड़िया करें,ऐसा उपक्रम हम अपनायें।।
इनको हमें रिझाना है,पर्यावरण बचाना है-2
माना प्रगति हैअति आवश्यक,अति लोलुपता बना विनाशक।
सीमा रहित करते हैं दोहन,प्रदूषण को नहि करते नियंत्रन।।
उद्योगों को अब चेताना है,पर्यावरण बचाना है-2
हर मौसम अब होते विचलित,वर्षा जाड़ा धूप नहिं संयमित।
इसका कारण मात्र मानव मन,धरती का करता विच्छेदन।।
'कुशराम;तो यह माना है ,पर्यावरण बचाना है।
हमने मन में ठाना है ,पर्यावरण बचाना है।।
बी एस कुशराम
प्रभारी प्राचार्य बड़ी तुम्मी
मो07828095047,9669334330
...........................................
18. सुरेन्द्र कुमार पटेल की रचना:-
.........................................
वसुधा की सुधा-वृक्ष
हमारी अनंत लालसाओं ने उठाये शस्त्र वृक्ष और वन के विरुद्ध।
तभी प्रकट हुई प्रकृति नित नई समस्याओं के साथ होकर क्रुद्ध।
बढ़ रहे वैश्विक ताप के प्रभाव से मानव अब बिलबिला उठा।
नगरों में बढ़ रहे औद्योगिक प्रदूषण को देख वह तिलमिला उठा।
पिघल रहे ग्लेशियरों में जमें बर्फ आधिक्य में जब दिनोंदिन।
चेतना मानव की भटक रही खोजने जीवन अब वनों के बिन।
वसुधा की सुधा को सुध करो वन वृक्ष के बिना जीवन नहीं।
हम नहीं, तुम नहीं, जल नहीं, खग कलरव नहीं, यदि वन नहीं।
वनवृक्ष कह रहे तन तरु नत हो विनयवत वाणी विनम्रता से भर।
फल-फूल, कन्दमूल, शुद्ध वायु, काष्ठ भी, लाते वारिद खींचकर।
सह-सह तेज धूप, उतरकर गहरे कूप जल नभ में छोड़ता हूँ।
प्रचण्ड सूर्यताप को धरा से विमुख पुनः नभ की ओर मोड़ता हूँ।
मानव मन को मोड़ आवश्यकताओं को छोड़ आज ले यह मंत्र।
तुम्हारा जीवन नहीं विलग, हो तुम जब तक है सफल पारितंत्र।
वन वृक्ष में विचरते लघु-दीर्घ अन्य जीव वे सब तुम्हारे जीवन मित्र।
वे मूक, प्रकृति के सम्मुख जी रहे गीत गा रहे प्रकृति का चरित्र।
तुम विचारशक्ति के धनी फिर रोकते क्यों नहीं विनाश की त्वरा।
यत्र-तत्र-सर्वत्र के स्वामी बने जैसे मात्र तुम्हारी हो वसुन्धरा।
गति मन्द कर चल सम्हल-सम्हल अन्य जीवों की भी वसुधा।
अधिसंख्य हो यदि खा लो फिर मिटाओगे कैसे अपनी क्षुधा।
यदि प्रेम स्वयं से और है अपनी आने वाली कुछ पीढ़ियों से।
मत मिटाओ प्रकृति को अपनी तुच्छ अभिलाषाओं की सीढ़ियों से।
सुरेन्द्र कुमार पटेल,
ब्यौहारी, जिला-शहडोल मध्यप्रदेश
.....................................
19. श्रीनिवास जी का आलेख-सन्देश :-
..................................
पर्यावरण महोत्सव
2020
पर्यावरण महोत्सव
2020 में सभी का हार्दिक
अभिनन्दन।
निश्चय ही सभी
महानुभावों द्वारा व्यक्तिगत रूप से बहुत
पौधेरोपित किये जा रहे हैं लेकिन संगठनात्मक दृष्टि से स्वप्रेरित होकर युवाओं का
आगे आकर पौधे रोपित करना पहला प्रयास है।
पर्यावरण महोत्सव
2020 में पर्यावरण संरक्षण के
अन्तर्गत हमारे सभी पर्यावरण सैनिकों का कार्य ऐतिहासिक रहेगा। सभी पर्यावरण सैनिक
महोत्सव को साकार करने के लिए पर्यावरण मित्र के रूप में कार्य कर रहे हैं। आप सभी
के प्रयास से घर, आंगन, खेत आदि पुनः बहुत हरा-भरा होगा। वहीं दूसरी ओर
फल-फूल, शीतल छाया, सौंदर्य, प्राणवायु प्रदान करते हुए ग्लोबल वार्मिंग भी नियंत्रिज
होगा। अदृश्यरूप से हमारे पर्यावरण सैनिक परिवार, समाज, देश का
अप्रत्यक्ष रूप से सेवा प्रदान कर सभी को गौरवान्वित किये हैं।
आदरणीय पर्यावरण
सैनिको! पर्यावरण मित्रों! निश्चय ही एक बहुत बड़े मिशन की ओर अग्रसर हैं। काव्यमय
पर्यावरण महोत्सव लेखमय पर्यावरण महोत्सव पौधे रोपण कार्यक्रम से नये-नये पर्यावरण
कार्य से सभी अवगत हो रहे हैं। मुझे लगता है कि यह कोई क्षणिक वार्षिक कार्य नहीं
है यह एक विचारधारा है जो निरंतर चलते रहना चाहिए।
कोविड.19 महामारी के संकट की घड़ी में लाकडाउन के समय का
सदुपयोग पर्यावरण महोत्सव कार्यक्रम में करना प्रेरणादायी रहा है। आज इन्फाॅरमेशन
टेक्नाॅलाजी का सार्थक उपयोग कर ऐतिहासिक कार्य हुआ है।
पर्यावरण महोत्सव
कार्यक्रम 2020 में व्हाटसप
ग्रुप का उपयोग हमें एक सार्वजनिक मंच प्रदान किया है जिससे सैकड़ों पौधों का रापित
एक साथ हुआ हैं यह मंच काव्यात्मक विचार, आलेख कौशल, पौधारोपण तकनीक,
पौधे से लाभी आदि से आपके कार्यों, रचनाओं से अवगत कराकर सभी के कौशल में वृद्धि
करने में सहयोग प्रदान किया है।
पर्यावरण महोत्सव
2020 को सफल बनाने के लिये
हमें इस अवसर पर पौधे रोपित करना है। पर्यावरण दिवस पर बहुत पौधे रोपित हुए हैं
जिसके डाटा संधारित किये गये हैं। आशा है कि इस
कार्यक्रम का जो उद्देश्य पूर्ण नहीं हुआ है, आगामी समय में भी चलता रहेगा और डाटा संधारित भी होता रहेगा।
भौतिक सत्यापन टीम के आगमन पर अवश्य किया जायेगा।
पर्यावरण महोत्सव
2020 में आप सभी की गतिविधि
का प्रकाशन आपस की बात सुनें ब्लाग में
किया जा रहा है जो कि पी डी एफ में एवं उत्कर्ष समिति के वेबसाइट में भी
संरक्षित किया जायेगा। सभी के परिश्रम की अमूल्य कीमत है। वेबसाइट के माध्यम से
अजर-अमर किया जायेगा।
सम्पूर्ण महोत्सव
के साकार करने में हमारे लेखक एवं कवि श्री सुरेन्द्र कुमार पटेल भोगिया, मेजर श्री के के जी एवं ईजी. प्रदीप जी,
डाॅ वंश बहादुर जी, श्री राम सहोदर जी, श्री धर्मेन्द्र जी मानपुर का कार्य अविस्मरणीय रहेगा।
आप सभी आपके अपने
घरों में रहते हुये लाॅकडाउन का पालन करते हुए महोत्सव को साकार किये हैं। जो
अवस्मरणीय एवं ऐतिहासिक है।
सफलता
का सम्पूर्ण श्रेय पौधे रोपित करने वाले सैनिकों को जाता है।
आपका सादर
अभिनंदन।
श्रीनिवास पटेल
मो 9752195415
..................................20 . जय प्रकाश जी पुलिस (उप निरीक्षक) का सन्देश:-
..................................
पर्यावरण संरक्षण के दिशा मे पिछले एक महीने से आप लोगों के द्वारा जो सतत प्रयास किया जा रहा हैँ निश्चित रूप से प्रशंसनीय हैँ. निश्चित रूप से इस जनचेतना एवं जागरूकता अभियान का प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ेगा. एवं यह कदम जीवन मूल्यों में आमूल परिवर्तन लाकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सार्थक कदम साबित होगा. बस ध्यान रखना हैँ यह आंदोलन सिर्फ व्हाट्सप्प और मोबाइल तक सीमित न रह जाये. बल्कि जमीनी हकीकत मे परिणाम दिखने भी चाहिए. सार्थक पहल के लिए आप सभी को पर्यावरण दिवस की बहुत -बहुत शुभ कामनायें. 💐💐💐💐
............................................-:कुछ पंक्तियाँ:-
बचा लो इस धरा को
कल-कल करती नदियाँ हो,
या गुँजन करती चिड़िया
हो.
उपवन में फूलों से
महकती वादी हो,
या शेरों की आजादी हो.
हर चीज मिला हैँ इस
धरती से,
पपीहे का निज कृन्दन हो,
या भौंरो का नित गुँजन हो,
या गिरवर से निकलते झरने हो,
या तरुवर में विचरते वनजीवन हो
हर चीज मिला इस धरती
से.
बिही, आम की डाली हो
या लहलहाती गेहूं की बाली हो.
पीपल की छाँव हो
या बरगद, नीम वाला गांव हो,
वनौषधियों का भंडार हो या बसंत का श्रृंगार
हो.
हर चीज मिला इस धरती
से.
हिमालय का हिमश्रृंगार हो
या पचमढ़ी के पहाड़ो का प्यार हो.
फसलों में बारिश की
बौछार हो
बाधवगढ़ में शेर की दहाड़ हो
या गुदावल का पहाड़ हो.
बचपन का खटोला हो,
या घर में लगे लकड़ी का गोला हो.
हर चीज मिला इस धरती से.
फसल उगाने वाले किसान के हल की मुठिया हो
या सब के घर में रखी लकड़ी की खटिया हो.
पश्चिम की पुरवाई हो या
खेतों की बाली की अंगड़ाई हो.
हर चीज मिला इस धरती से
पर हमने बदले में ये
क्या कर डाला,
इस धरती का मर्दन कर
डाला,
खुशियाँ का समर्पण कर डाला.
पेड़ो का गर्दन काट दिया,
नदियों में कचरा भाट
दिया,
न कोयल की अब कुंजन हैँ,
न गिद्दो का हैँ अता पता,
खनिजों का दोहन कर डाला,
खेतों को बंजर कर डाला,
न झीलों के झरने हैँ,
न पोखरों से पानी अब
भरने हैँ.
शुद्ध हवा को दूषित कर डाला
कारखानों से धरती को भर डाला.
बढ़ा ताप इस धरती का
हिम खंडो को भी खारा कर डाला.
विलुप्त हो रहे शेर, चीते, मोर,
पपीहा, कीकर, सांभर सब,
हे मानुष तूने ये क्या
कर डाला.
बेमौसम बरसात हो
या गर्मी की त्रास हो,
ओले की मार हो
या सर्दी में पाले का प्यार हो.
सब कुछ बदल डाला
हे इंसान तूने अपनी काली करतूतों से ये क्या
कर डाला .
न तू रहेगा न तेरी आने वाली विरासत बचेगी,
मिट जायेगा इस धरती का
नामो निशा.
सम्हल जा अब भी अगर,
कर ले प्यार तू फिर की तरह इस धरा के पेड़ो से,
रोप दो इस उजास धरा को, फिर से पेड़ो की हरियाली से.
यहीं हैँ यहीं हैँ
सन्देश पर्यावरण व धरती माँ के आँचल की रखवाली से.
जे. पी. पटेल
ग्राम-आमडीह उपनिरीक्षक
म. प्र. पुलिस
21 . राम सहोदर जी का आलेख:-
.............................................
:प्रकृति और मानव:-
मनुष्य शताब्दियों से प्रकृति की गोद में आश्रय प्राप्त किया है। प्रकृति के बिना मानव न तो एक पग चल सकता है और न ही एकपल जीवित रह सकता है। मानव के फलने और फूलने का सम्पूर्ण श्रेय प्रकृति को ही है। यह पृथ्वी मनुष्य का आंगन है।असमान का आवरण ही छत है। सूर्य, चन्द्रमा दीपक है। और नदी झील तथा सागर मनुष्य के घड़े हैं। पौधे तथा वनस्पतियाॅ आहार के साधन हैं।
प्रकृति मानव एवं मुनि महात्माओं के अध्यात्मिक चेतना के केन्द्र रहे हैं। प्रकृति के सौंदर्य से मोहित होकर कवियों ने अनेक काव्य कृतियाॅं रची हैं। वस्तुतः मानव और प्रकृति का अत्यन्त गहरा संबंध रहा है। प्रकृति की गोद ही मुख्य शिक्षा के केन्द्र रहे हैं। वेदों, पुराणों, उपनिषदों की रचना प्रकृति के बीच ही हुई हैं। मनुष्य प्रकृति के सहयोग से ही सुखी और सम्पन्न रह सका है। प्रकृति निष्पक्ष है वह किसी के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करती है। प्रकृति से प्रेम ही मनुष्य को उन्नति की ओर ले जाता है।
वृक्ष फूल फल और लताओं युक्त रहकर यानी सर्व सम्पन्न रहकर भी झुके रहते हैं जिससे हमें शील और विनम्रता की सीख प्राप्त होती है। प्रकृति हर समय मानव को आदर्शवाद का पाठ पढ़ाती है। नदियाॅं हमारे खेतों की सिंचाई कर हमें पीने का पानी उपलब्ध कराती है। नदियों को जल पेड़-पौधों एवं वर्षा द्वारा ही प्राप्त होता है। और वर्षा भी पहाड़ों और वनों के द्वारा ही हो पाती है। इसका मतलब यह कि प्रकृति के सारे उपमान ग्रुप के रूप में काम करते हैं। वन नहीं होंगे तो बादलों को आकर्षित कौन करेगा। पहाड़ नहीं होंगे तो वर्षा हवाओं को कौन रोकेगा। और बादल बरषेंगे ही नही ंतो हमारे फसलों को नदियों को तालाब और कुओं को पानी कहां से मिलेगा। यानी प्राणियों और मनुष्यों को जीवित रहने के लिये प्रकृति का संतुलन आवश्यक है।
प्रकृति के द्वार सबके लिये समान रूप से खुले हैं। लेकिन जब कोई इसके साथ बेवजह छेड़छाड़ करता है, अनावश्यक रूप से नुकसान पहुंचाता है तब प्रकृति का भी कोप प्रकट होना स्वाभाविक है। कहा भी गया है- कर भला, तो हो भला। और तब प्रकृति का क्रोध भूकम्प, सूखा, बाढ़ तूफान के रूप में फूट पड़ता है। तब फिर अपराध करने वाला और अपराध न करने वाला सभी काल के गाल में समा जाते हैं। प्रकृति से हस्तक्षेप के कारण पर्यावरण का सन्तुलन बिगड़ा। और इसके दुष्परिणाम से वातावरण में विषैले गैस घुल गये। जिससे अनेक प्रकार की बीमारियों ने जन्म ले लिया। धरती में पानी की कमी हुई जिससे तापमान असामान्य हो गया। ग्लेशियर का पिघलना प्रारम्भ हो गया। हमारे भारतवर्ष में तीव्र गति से वनों को नष्ट किया जा रहा है। जनसंख्या उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है। गृह निर्माण, खेत निर्माण, बांध निर्माण तथा अन्य विभिन्न कार्यों के लिये लगातार वनों को रिक्त किया जा रहा है। अगर यही स्थिति रही तो कुछ ही दिनों में यह धरती वन विहीन हो जायेगा। और तब सोचिये मानव और अन्य जीव जन्तुओं की क्या दुर्गति होगी।अनेक जीव और पशुपक्षियां तो वर्तमान में ही विलुप्त हो चुके हैं। कुछ विलुप्त होने के कगार पर हैं।
मानव भी प्रकृति का हिस्सा है। और आदिकाल से ही मानव और प्रकृति का गहरा संबंध रहा है। हरे-भरे पेड़ पौधे मानव जीवन के अभिन्न अंग हैं। प्रकृति के बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। क्षिति, जल, पावक समीर और आकाश इन पाॅंच तत्वों से ही शरीर का निर्माण होता है। सृष्टि ने इस पृथ्वी को नदी, पहाड़, वन रूपी आभूषणों से श्रंगारित कर मानव को प्रदान किया है ताकि वह हंसी-खुशी की जिन्दगी जी सके किन्तु मानव है कि प्रकृति और पर्यावरण के महत्व को न समझकर अपनी जरूरतों की पिपासा की तृप्ति के लिये पेड़ों को काटने में तुला हुआ है। उसे यह भी नहीं पता कि वह प्रदूषण फैलाकर अपने ही पैर में कुल्हाड़ी चला रहा है। मानव स्वयं ही ’’आ बैल, मुझे मार’’ की कहावत को चरितार्थ कर रहा है। अगर मानव यानी हमने समझा नहीं और प्रकृति के साथ इसी गति से छेड़खानी चलती रही तो वह दिन दूर नहंी जब मानव आॅक्सीजन और पानी की कमी से विलमत होने की कगार में पहुंच जायेगा। और तब हमारी कोई भी तरकीब हमारे काम नहीं आयेगी।
इस सर्वनाश से बचने के लिये और पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिये प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत 1973 से हुई। जिसका मुख्य लक्ष्य है- पर्यावरण के महत्व का प्रचार-प्रसार कर लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना, पर्यावरण को संरक्षित करने का उपाय सुझाना, तथा लोगों को इसके प्रति प्रोत्साहित करना। ताकि मानव की जीवनशैली को सुरक्षित, निर्मल और आनन्ददायी बनाया जा सके।
इसके लिये सभी को आगे आकर जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेकर समाज के हर वर्ग में इस आशय की जानकारी देनी होगी। पर्यावरण की उपयोगिता पर प्रकाश डालना होगा। उनमें प्रोत्साहन पैदा कर पर्यावरण के प्रति आकर्षण और लगाव जागृति करना होगा। ताकि लोगों में पर्यावरण के प्रति रुझाान पैदा हो जाय और प्रदूषण के प्रति भय और नफरत आ जाय। जिससे लोग स्पयं ही इस कार्य के लिये आगे आयें तथा पर्यावरण दिवस के लक्ष्यों को पूर्ण करने में सक्रिय सहभागी बनें।
जब लोगों में पर्यावरण के प्रति लगाव बढ़ जायेगा, वे उसके महत्व को समझने लगेंगे जब वे स्वयं पेड़ों को काटना बन्द कर देंगे और दूसरे लोगों को भी समझाइश देंगे। वे स्वयं ही पेड़ लगाने लगेंगे। और दूसरे लोगों को प्रेरित कर धरती को हराभरा बनाने में अमूल्य सहयोग प्रदान करेंगे। और तब हमारा पर्यावरण दिवस मनाने का लक्ष्य भी पूर्ण होगा।
॥वृक्ष देवो भवः॥
राम सहोदर पटेल,एम.ए.(हिन्दी,इतिहास)
स.शिक्षक, शासकीय हाई स्कूल नगनौड़ी
गृह निवास-सनौसी, थाना-ब्योहारी जिला शहडोल(मध्यप्रदेश)
.........................................
22. भानू पटेल जी का सन्देश:-
.........................................
शुभ संध्या🙏💐💐🙏
आप सभी ने आज पर्यावरण महोत्सव मना कर पर्यावरण संरक्षण का जो नेक कार्य किया है वह बहुत ही सराहनीय योगदान रहा है।आप सभी ने पेड़ लगा कर और जागरूकता अभियान चला कर यह साबित कर दिया है कि आप सभी पर्यावरण संरक्षण के लिए कितना सजग और जागरूक है।मैं आप सभी को बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद व शुभकामनाएं देता हूँ।🙏💐
मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ आप सभी को जो आप लोग अपनी अपनी रचनाओं से लोगो को जागरूक करने का काम किया है। धन्यवाद देना चाहता हूं ग्रुप एडमिन महोदय को जिनकी सोच भविष्य के लिए एक सार्थक प्रयास रहा है और अच्छा प्रयास भी किया गया। एक बार पुनः आप सभी को धन्यवाद।जय हिंद।जय भारत।खुश रहे, सुरक्षित रहे।जय माँ भारती।🙏💐💐💐💐
आपका- भानु पटेल ग्राम आमडीह(ब्यौहारी)
........................................
23. आशीष पटेल की पंक्तियाँ
.........................................
भारत देश मे जन्म लिए हो,एक फर्ज निभाना सीख लो।
पेड़ लगाना सीख लो,
देश बचाना सीख लो।
पर्यावरण ने तुम्हे बहुत दिया है,
तुम भी कुछ देना सीख लो।
पेड़ लगाना सीख लो,
देश बचाना सीख लो।
- आशीष कुमार पटेल
(ग्राम पोस्ट- नगनौडी)
...................................
24 . शशि द्वेदी जी के रचना:-
...................................
पर्यावरण संरक्षण पर दो शब्द
नदियों को कर करके दूषित
कचरा उसमें डाला है।
हमनें ही वृक्षों को काटकर
प्रकृति को मारा भाला है।।
वायु प्रदूषण फैला करके
वातावरण खराब किया।
पर्वत का सीना चीर चीर
हमने बहुत विकास किया।।
कुएं बावली सूख रहे बस
घर घर बोर ही दिखते हैं।
पर्यावरण संरक्षण पर बस
फ़ोटो ही तो खिंचते हैं।।
प्रकृति ने जब क्रोध जताया
घर घर मातम छाता है।
दुबक घरों में बैठा मानव
करनी का फल पाता है।।
जीव जंतुओं पर निर्दयता
प्रकृति का अपमान ही है।
अपने कर्मों से दुख भोगे
वह प्राणी इंसान ही है।।
आओ हम सब प्रण लेते हैं
प्रकृति का सम्मान करें।
दानव बनकर नहीं है जीना
बस अच्छा इंसान बनें।।
-शशि द्विवेदी "शिवम"
05/06/2020
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
....................................
25 सतीश सोनी जी की रचना:-
...................................
.................................
25 सतीश सोनी जी की रचना:-
...................................
.................................
26. गजराज सिंह की रचना:-
.................... ...............
प्रकृति के सुंदर जल – थल में,
जीवन का बीज पनपता है
पानी – मिट्टी के पोषण से
पौधा युवक बन जाता हैं।
करती अपना सर्वस्व न्योछावर
करती हमारी देखभाल,
और बदले में, चाहे बस इतना
हम रखें उसका भी थोड़ा सा ख़्याल।
पर भौतिकता के पीछे भागते
हम देते पेड़ों को काट
और बदले में देते उसे, सिर्फ
प्रदूषण का उपकार।
प्रदूषित होगी यदि प्रकृति
होगें यदि पेड़ समाप्त
बस नहीं पायेंगे क्योंकि,
हम भी हैं इसी प्रकृति के भाग।
🌱🌳🌴 विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। 🌱🌳🌴🌿☘️🍀
मूल निवासी गजराज सिंह पटेल
पिता – श्री राम सेवक पटेल
ग्राम – Tenduadh
मोबाईल नम्बर - 9981939350
.................... ...............
प्रकृति के सुंदर जल – थल में,
जीवन का बीज पनपता है
पानी – मिट्टी के पोषण से
पौधा युवक बन जाता हैं।
करती अपना सर्वस्व न्योछावर
करती हमारी देखभाल,
और बदले में, चाहे बस इतना
हम रखें उसका भी थोड़ा सा ख़्याल।
पर भौतिकता के पीछे भागते
हम देते पेड़ों को काट
और बदले में देते उसे, सिर्फ
प्रदूषण का उपकार।
प्रदूषित होगी यदि प्रकृति
होगें यदि पेड़ समाप्त
बस नहीं पायेंगे क्योंकि,
हम भी हैं इसी प्रकृति के भाग।
🌱🌳🌴 विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। 🌱🌳🌴🌿☘️🍀
मूल निवासी गजराज सिंह पटेल
पिता – श्री राम सेवक पटेल
ग्राम – Tenduadh
मोबाईल नम्बर - 9981939350
.................................
27. सुरेन्द्र पटेल(तेन्दुआढ) रचना:-
.................................
.................................
बदले हम तस्वीर धरा की ।
सुंदर सा एक दृश्य बनाये।
यह संदेश हम सब तक पहुँचाये।
आओ पर्यावरण स्वच्छ बनाएं।
फैल रहा खूब प्रदूषण।
हनन कर रहा है मानव जंगल ।
वायु हो रही है प्रदूषित।
कमजोर पड़ रहा है सबका तन मन।
समय आ गया है इस पल का ।
हम सब मिलकर पर्यावरण स्वच्छ बनाएं।
यह संदेश सब तक पहुँचाये।
आओ सब मिलकर पर्यावरण स्वच्छ बनाएं।
यही राह हम सब चलकर ।
5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनायें।
-सुरेंद्र पटेल
ग्राम - तेंदुआढ़ ब्यौहारी
जिला शहडोल (म.प्र.)
सुंदर सा एक दृश्य बनाये।
यह संदेश हम सब तक पहुँचाये।
आओ पर्यावरण स्वच्छ बनाएं।
फैल रहा खूब प्रदूषण।
हनन कर रहा है मानव जंगल ।
वायु हो रही है प्रदूषित।
कमजोर पड़ रहा है सबका तन मन।
समय आ गया है इस पल का ।
हम सब मिलकर पर्यावरण स्वच्छ बनाएं।
यह संदेश सब तक पहुँचाये।
आओ सब मिलकर पर्यावरण स्वच्छ बनाएं।
यही राह हम सब चलकर ।
5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनायें।
-सुरेंद्र पटेल
ग्राम - तेंदुआढ़ ब्यौहारी
जिला शहडोल (म.प्र.)
...............................................
28. अनिल कुमार पटेल की रचना:-
................................................
मैं मानव हूँ
मैं भूख लगने पर भोजन करता हूँ,
प्यास लगने पर पानी पीता हूँ,
नीद आने पर सोता हूँ,
मैं सौंदर्य को निहारता हूँ,
सौंदर्य चाहे किसी का हो,
वह हो सुन्दरी का, प्रकृति का,
हृदय का, बुध्दि का, शौर्य का, साहस का,
शिशु का, माँ का, रूप का, नदी का,
मेघ का, मयूर का, स्वर का, चित्र का,
काव्य का, मूर्ति का, भवन का!
मुझे अच्छा लगता है
मैं मन्दिर नही जाता,
मैं पूजा नही करता,
और ना व्रत उपवास करता हूँ।
मैं न आस्तिक हूँ , न नास्तिक हूँ
मैं किसी धर्म या दर्शन के पचड़े मे नही पडता।
मैं जीता हूँ,
जैसे एक चिडिया जीती है
एक मृगछौना जीता है सहज,
जो जीवन और मृत्यु के रहस्य को नही जानता,
वह तो जान नहीं सकता,
मैं जानने की कोशिश नही करता
क्योकि मुझे यह कोशिश बेकार ब्यर्थ की लगती है,
सृष्टि के रहस्य, जीवन के रहस्य,
बहुतों ने खोजे हैं,
मैं उस पचड़े मे पड़ना नहीं चाहता
एक सीधी सी सच्चाई है
मै आज हूँ
कल नही रहूँगा।
जिस रूप में आज हूँ
बस इतना ही मुझे समझें,
मैं अपने को वैसा नही समझता,
इसी के साथ नारा:-
"हम सब लोगों के बीच
वृक्ष धरा के भूषण है।
करते दूर प्रदूषण हैं।"
बंजर धरती करे पुकार।
कम बच्चे हों वृक्ष हजार।"
-अनिल कुमार पटेल
ग्राम+पोस्ट- नागनौड़ी,
तहसील-जयसिंहनगर, जिला-शहडोल (मध्यप्रदेश)
मोबाइल नंबर- 8085111792....
28. अनिल कुमार पटेल की रचना:-
................................................
मैं मानव हूँ
मैं भूख लगने पर भोजन करता हूँ,
प्यास लगने पर पानी पीता हूँ,
नीद आने पर सोता हूँ,
मैं सौंदर्य को निहारता हूँ,
सौंदर्य चाहे किसी का हो,
वह हो सुन्दरी का, प्रकृति का,
हृदय का, बुध्दि का, शौर्य का, साहस का,
शिशु का, माँ का, रूप का, नदी का,
मेघ का, मयूर का, स्वर का, चित्र का,
काव्य का, मूर्ति का, भवन का!
मुझे अच्छा लगता है
मैं मन्दिर नही जाता,
मैं पूजा नही करता,
और ना व्रत उपवास करता हूँ।
मैं न आस्तिक हूँ , न नास्तिक हूँ
मैं किसी धर्म या दर्शन के पचड़े मे नही पडता।
मैं जीता हूँ,
जैसे एक चिडिया जीती है
एक मृगछौना जीता है सहज,
जो जीवन और मृत्यु के रहस्य को नही जानता,
वह तो जान नहीं सकता,
मैं जानने की कोशिश नही करता
क्योकि मुझे यह कोशिश बेकार ब्यर्थ की लगती है,
सृष्टि के रहस्य, जीवन के रहस्य,
बहुतों ने खोजे हैं,
मैं उस पचड़े मे पड़ना नहीं चाहता
एक सीधी सी सच्चाई है
मै आज हूँ
कल नही रहूँगा।
जिस रूप में आज हूँ
बस इतना ही मुझे समझें,
मैं अपने को वैसा नही समझता,
इसी के साथ नारा:-
"हम सब लोगों के बीच
वृक्ष धरा के भूषण है।
करते दूर प्रदूषण हैं।"
बंजर धरती करे पुकार।
कम बच्चे हों वृक्ष हजार।"
-अनिल कुमार पटेल
ग्राम+पोस्ट- नागनौड़ी,
तहसील-जयसिंहनगर, जिला-शहडोल (मध्यप्रदेश)
मोबाइल नंबर- 8085111792....
चलते-चलते... सबसे बड़ी बात:-
..........................
29. डॉ. वेद प्रकाश जी का सन्देश:-
........................................
श्रीकृष्ण जी ने देवपूजा को गैरजरूरी बताया और देवराज इंद्र का घमंड तोडकर उसे समझाया कि देवताओं को अपना कर्तव्य निभाने के लिए लोगों से अपनी पूजा अर्चना नहीं करानी चाहिए।
श्रीकृष्ण जी ने देवताओं की पूजा करने के स्थान पर प्रकृति की पूजा करने का आह्वान किया और इस तरह उन्होंने सभी गोकुल वासियों के साथ मिलकर गोवर्धन पर्वत की पूजा किया।
तो आइये हम मूर्ति पूजक के स्थान पर प्रकृति पूजक बनें।
......
..
.......................................
(30) डॉ . ए के पटेल जी का सन्देश कुछ पंक्तियों में:-
.....................................
इस धरा से उस
धरा तक सब धरा रह जायेगा
इस धरा से उस धरा तक सब धरा
रह जाता है।
जीवन हरियाली का एहसास ये
वृक्ष तुमसे ही तो पाता है॥
तुम कोई पैसा नहीं लेते हो
निःस्वार्थ भाव से सब देते हो।
तुम जड तना पत्ती फल फूल सब
कुछ अपना देते हो॥
जो लोग कहते हैं पेड़ नहीं
खुद को काटे हैं।
तभी ऑक्सीजन के लिए हजारों
खर्च करने हॉस्पिटल चले आते हैं॥
ये मूर्ख इन्सान अभी भे संभल
जा तेरा अस्तित्व पौधों से है।
पौधे लगा जीवन बचा सब कुछ
हम उससे पाते हैं॥
पौधे न रहे जलवायु बिगड़ेगी,
बाढ़ सूखे से फिर कोई बचा न पायेगा।
इस धरा से उस धरा तक सब धरा
रह जायेगा॥
डॉ. एके पटेल,सहायक प्राध्यापक, मेडिकल कालेज, जबलपुर
.....................................
चलते-चलते....कार्यक्रम के सफल आयोजन के उपलक्ष्य में ,
🙏🙏आभार पत्र🙏🙏
ग्रुप एडमि़नों को हार्दिक - हार्दिक बधाई,
जिन्होंनें महोत्सव की अलख जलाई।
ग्रुप के सभी सदस्यों को सादर प्रणाम।
जिन्होंनें वृक्षारोपण का है दिया पैगाम।
ग्रुप में शामिल लोंगों के परिजनों का भी आभार।
आप सभी ने मिलकर मनाया पर्यावरणीय त्योहार।।
पौधा रोपित करनें वाले बडे़ बुजुर्गों का चरणवंदन।
वृक्षारोपण कर आपनें किया धरती काअभिनंदन।।
महोत्सव में शामिल युवा साथियों का भी आभार।
आप हम सबको मिला पर्यावरण सुरक्षा का प्रभार।।
महोत्सव में शामिल नन्हे मुन्ने बच्चों को शुभाशीष।
हर वर्ष ऐसे ही पौधारोपण करते रहो दश बीस।।
मातृ शक्ति और बहनों से हाथ जोड़ प्रार्थना।
पौधा रोपण करनें में कभी न पीछे हटना।
आपका भाई - धर्मेन्द कुमार पटेल✍️✍️
...............................................
(सपरिवार)
-राजेश पटेल जी शिक्षक
सत्ती टोला बराछ, ब्योहारी जिला शहडोल (मध्यप्रदेश)
........................................
दोनों करते जन कल्याण
पर्यावरण पर है सबका
इसलिए इसकी रक्षा भी है सबका कर्त्तव्य
-चन्द्रवती पटेल
नगनौडी
..........................................
रमेश प्रसाद पटेल जी शिक्षक 07/06/2020 |
प्रकृति से प्रेम
प्रकृति से है जीवन
सृष्टि का संचालन।
अनवरत से चल रहा
उसी के हाथ में नियंत्रण।
सर्वशक्तिमान है
जीवो का महाकाल है।
प्रकृति को नगण्य न समझ
हथियारों का भी ढाल है।
प्रकृति में सभी समाये
जानते हुए बने अनजान।
परिणाम आया मिटा शान
ज्ञानी बनकर हुई अज्ञान।
जो सत्य है जो अनंत है
निज हित में करते प्रहार।
स्वार्थपरता में डूबे
तन मन में भरा अहंकार।
क्रोध में अंधा बने हुए
हृदय में प्रेम हुआ नष्ट।
बादलों की गरज जैसे
परिणाम में छाया कष्ट।
प्रकृति से प्रेम करिये
जीवन में हर्ष छाएगा।
परिवार का मुखिया
समझे उद्धार हो जाएगा।
ऋषि-मुनियों ने गायी
दैवी प्रकृति प्रेम की।
स्वार्थ त्यागें हृदय से
जीवन को जीने की।
..........................................
रचना: रमेश प्रसाद पटेल
ग्राम-पुरैना, जिला-शहडोल (मध्यप्रदेश)
......................................
इतनी खुशियाँ बाँटो सबको, हर दिन पर्व दिखाई दे।
आपका बहुत-बहुत विनम्र आभार! (09/06/2020 को प्राप्त फोटो) |
इतनी खुशियाँ बाँटो सबको, हर दिन पर्व दिखाई दे।
हरे वृक्ष जो काट
रहे हैं, उन्हें खूब धिक्कारो,
खुद भी पेड़ लगाओ
इतने, धरती स्वर्ग दिखाई दे॥
वृक्ष रोपकर
पर्यावरण का, संरक्षण ऐसा करना,
दुष्ट प्रदूषण का
भय भू पर, किंचित नहीं दिखाई दे॥
हरे वृक्ष से
वायु-प्रदूषण का, संहार दिखाई दे।
हरियाली और
प्राणवायु का, बस अम्बार दिखाई
दे।
जंगल के जीवों के
रक्षक, बनकर तो दिखला दो,
जिससे सुखमय
प्यारा-प्यारा, ये संसार दिखाई
दे॥
रितुराज पटेल
अध्यक्ष
जन कल्याण
युवक मण्डल झांपर ब्योहारी
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आकाश पटेल की रचना:-
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आकाश पटेल की रचना:-
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(1) पेड़ों पर न करें प्रहार।
यही दे रहे सदा आहार॥
(2) यही
हमारे जीवन दाता।
मत भूलो मेरे प्यारे भ्राता॥
(3) जन जीवन का यही आधार।
स्वयं करो ऐसा उपकार॥
(4) यही रहेगा संकल्प हमारा।
पर्यावरण को है हर हाल बचाना॥
(5) अगर करोगे अभी तुम भूल।
आगे कहोगे हो गई चूक॥
(6) करें परिश्रम पेड़ लगाए।
नित निज स्वच्छ आक्सीजन पाएं॥
आकाश पटेल
उकसा (ब्यौहारी)
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सम्पूर्ण सामग्री सर्वाधिकार सुरक्षित
(किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा प्रकाशित फोटो/रचना या कोई अन्य सामग्री का पुनः प्रकाशन या उपयोग पूर्णतः वर्जित)
Ⓒब्लॉगर टीम
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8 टिप्पणियां:
बहुत ही सुंदर और मनमोहक तरीके से इस ऑनलाइन एल्बम सजाया गया है। सभी काविवरों की रचना एल्बम पर एक जादुई सुगंध डाल रही है जिसे छोड़कर जाने का मन नहीं कर रहा। ऐसी आशा है इसकी खुशबू दिग दिगंतर तक लोगों पर अपना प्रभाव बनाए रखेगी।
इस मंच से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी जनों का मैं हार्दिक अभिवादन करता हूं।
धन्यवाद।
बहुत ही बेहतरीन एल्बम तैयार किया गया है। आपके परिश्रम और लगन को देख मन आह्लादित हो गया । इस कार्य को सम्पन्न करने वाले सभी मेहनतकश प्रकृति प्रेमियो को कोटिशः धन्यवाद ।
हार्दिक धन्यवाद।
हार्दिक धन्यवाद।
सच मे इसे देखकर लगा कि हम सब बहुत कुछ कर सकते है इतने सफल प्रयास के लिए पूरे टीम को को मैं धन्यवाद और शुभकामनाएं देना चाहता हूं और मेरे से जो भी सहयोग होगा मैं तत्पर रहूंगा।
अविनाश सिंह
8010017450
नव रचनाकारों को पढ़ने, उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत आभार अविनाश जी । आपके शब्द हमारी ऊर्जा हैं। भविष्य में भी हमसे जुड़े रहने का विनम्र आग्रह है।
धन्यवाद सतीश जी इस बहाने आपसे जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ है। कृपया अपना स्नेह बनाएं रखें
सहृदय धन्यवाद, आपकी रचनाएं निरंतर पढ़ता हूं।
आप सतत लिखते हैं, आपकी रचनाएं हमारी प्रेरणा हैं।
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