आजकल के पढ़ाई लिखाई दादा मोबाईले मे होई जात हय (#मोबाइल_पर_बघेली_कविता)
ओह जमाने का का कही दादू
मास्टरजी पढावे खातिर
एहर ओहर लईका पकड़त रहेन
महतारी के अचरा मे
हमन,लुकाय जात रहेन
हाथ पकड़ के बाऊ फेर
मास्टरजी के ईहाँँ
पहुंचाई देत रहेन
अब बतावा कुल काम घर बैठे होई जात हय
आजकल के पढ़ाई लिखाई दादा मोबाईले (मोबाइल) मे होई जात हय
लड़िका सबे कुदत् फांदत
बहिरे भीतरे करिके
चहल पहल कर देत रहेन
बोबा और दाई के मनवा
धरी लेत रहेन,
जलेबी लाये हेन !
ई त बहाना रहा
एही मे अपनौ के लइका समझ लेत रहेन
अब बतावा समसवो स्विगी से मिल जात हय
आजकल के पढ़ाई लिखाई दादा मोबाईले मे होई जात हय
माई हमार कहत ही की
ई लईका
का जानी, केतना
दिनभर पिक्चर देखत हय
थोड़ीके पढ़ी लिखि लेत त
का होई जा भला
हमरे ही भाग मे आवा ई कोरौना
स्कूल बंद कराई दिहिस
हमरे लड़िका के
जिंदगी बरबाद कर दिहिस
हम ओके कैसे समझाई अम्मी
मैडम जी के स्कूल, गूगल मीट से होई जात हय
आजकल के पढ़ाई लिखाई दादा मोबाईले मे होई जात हय
थोड़ीके बइबे निकला करा दादु
खेला ख़ुदा,
शरीर पे ध्यान देत जा
हवा सवा ला,
कसरत ओसरत करि लेजा
नही त जइबा सुखाय,
बैठे बैठे खाई के
पेट कहो न तोहरो निकल जाए
एकरो तोड़ निकला,
एहि मा गेम, और मीटिंग से योगा होई जात हय
आजकल के पढ़ाई लिखाई दादा मोबाईले मे होई जात हय
बहुत देर चूपियाय के फेर फलनवा बोलिन
ई बतावा दादू,
कुल मोबाइले से होत है
ई त हमहुँ जान गएन
तोहार कुल कहा हम मान गएन
पए हमार एखे सवाल रहा
खाना खाये के
और लिखे पढ़े के खातिर
मोबाईले मे हाथ कौन मेर के होत हय
एतना छोट फोन से मनई कौन मेर से हसत और कौन मेर से रोवत हय।
(#मोबाइल_पर_बघेली_कविता_)
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~जागेश्वर सिंह
सिंगरौली, मध्यप्रदेश
1 टिप्पणी:
बहुत बहुत खूब , अपनी बोली की रचनाएं पढ़ना बड़ा सुखद लगता है
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