रविवार, जुलाई 05, 2020

कहिया बीतही रे भैया कोरोना के डरवा-2


कहिया बीतही रे भैया कोरोना के डरवा-2
ओये होये
रोज रोज पुलिस के सायरन बाजे
बाजे हे एम्बुलेशवा
एको दीना के चेन नही
भैया फँसल मोर बिदेसवा

कहिया बीतही रे भैया ...
ओये होये

बाजार में जाए के मनवा करे
करे रे घुमे फिरय के मनवा
घेरा में खड़ा करके
देथे रे सहुआ समनवा

कहिया बीतही रे भैया ...
ओये होये

बेर बेर हाथ धोवा
धोवा रे अोना धोतिया
एता दीना घरे रहनं मन भरी गए
सगरो त्यौहार में लागी गए रोकवा

कहिया बीतही रे भैया ...
ओये होये

बड़े बड़े लइका होइ गइन
कथंय रोज कराइ दे मोर कजवा
सगरो घोडा-गाड़ी बंद हे
कैसे के आहीं महिमनवा

कहिया बीतही रे भैया ...
ओये होये

गाई गोरु घरे बैठिन
कैसे लोरीे खेतवा से भूसा-चरवा
ओहु में काटेक हवय गोहु
कैसे आही अगने मोर ठेसरवा

कहिया बीतही रे भैया ...
ओये होये

मोदी जी कहिनय
घरे से झिन निकलिहा
शिवराज मामा के आसरा से
फ्री में मिलिथे कोटा में गेहु गलवा

कहिया बीतही रे भैया ...
ओये होये

दाइ बाबा आथंय रोज
रात के देखे रामायणवा
दिने चढ़ी जाथंय महवा
मम्मी पापा कथंय कहिया आही बहुरिया

कहिया बीतही रे भैया ,कोरोना के डरवा - 3
..... ओये होये

©®जागेश्वर सिंह 'ज़ख़्मी ' 

1 टिप्पणी:

Narayan ने कहा…

मातृभाषा में कितनी अच्छी शीतल राग पिरोया है ,सच आपके भाव चित्र को सलाम है ,,

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