शुक्रवार, फ़रवरी 05, 2021

तीन कवितायेँ : राम सहोदर पटेल



तीन कविताएँ

काम अपना हो हसने - हसाने के लिये ।

जिन्दगी ये मिली कर दिखाने के लिये ।

काम हो ऐसा मस्तक हो ऊँचा सदा ,

काम होवे न और को रुलाने के लिये ।

कभी शर्मिन्दगी की न नौमत बने ,

फर्ज होवे सदा इन्साफ के लिये ।

लक्ष्य होवे सदा कुछ नया करने की,

लीक होते नही जिम्मेदार के लिये ।

काल उपकार की मूल्य होवे सदा,

धन्य क्षण है जो हो सेवा भाव के लिये।  

 

दीन सेवा से बढ़कर न कार्य अन्य है ।

है जो सेवक बना बस वही धन्य है ।

काम आये पराये वह ही सम्पन्न है ।

इससे दिल है चुराये वह विपन्न है ।

सेवता है वही जो अकल मन्द है ।

सेव लेता वही जिसमें छलछन्द है ।

शुद्ध अन्तःकरण करे छल - बल तजे ।

निश्छल आचरण करे वह सकलकन्द है ।।

 

साई रहिये सदा स्वार्थपरता से बच ,

दागी बनने से बच बोलिये सबसे सच

कोई अच्छा कहे इसकी चिन्ता न रख ।

बुरा कहने न पाये तू कालिख से बच ।

कितना अच्छा करो निन्दा तो होना है ,

बुरे बकते हैं अच्छे की आदत में रख ।    

चित्त कर ले निर्मल तू सफलगामी वन ,

भावना हो सहोदर सफल लक्ष्य रख।

//रचना//

राम सहोदर पटेल,

शिक्षक, ग्राम-सनौसी, थाना-ब्योहारी जिला शहडोल (मध्यप्रदेश)

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