प्रियदर्शिनी इन्दिरा
प्रियदर्शिनी इंदिरा प्रखर बुद्धिशाली,
अद्भुत अजूबा करामात वाली।
अदम्य साहसी शूरमा शेरनी की मूरत,
वतन की प्रगति में रही मतवाली॥
देशभक्ति से नस-नस तेरी रंगी थी,
बचपन से तेरी शक्ति जगी थी।
विलक्षण सकल कार्य होते हैं तेरे,
बनाया था वानरसेना प्रबल बच्चों वाली॥
महिला प्रथम थी जो भारत में छाई,
तेरी नीति का कोई नहीं पार पाई,
प्रेरक प्रकृति प्रेम निश्छल सदा ही,
कूटनीतिज्ञ दूरदृष्टि भावना निराली॥
बांग्ला को पृथक कर आजाद कीन्हा,
अनाचारी पाक के दाॅंत खट्टे कीन्हा।
सन् इकहत्तर का जंग जीत लीन्हा,
धैर्य और साहस प्रचण्ड शक्तिवाली॥
राजा नवाबों का प्रिवीपर्स रोका,
राष्ट्रीयकरण में अधिकोषों को झोंका।
भूमि की सीमा निर्धारण कराया,
तू लौह महिला अथक शौर्यवाली॥
कुशल प्रशासन से जन-मन को जीता,
गरीबी उन्मूलन में तेरा पल बीता।
रखती सहोदर सा नाता सभी से,
उर्जस्वला थी मृदुल बोलवाली॥
अद्भुत अजूबा करामात वाली॥
रचनाकार: राम सहोदर पटेल, सहा. शिक्षक
शासकीय हाईस्कूल नगनौड़ी, निवास ग्राम- सनौसी थाना- ब्योहारी जिला- शहडोल (मध्यप्रदेश)
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