मंगलवार, मई 12, 2020

मां: न्यायदीप पटेल

🌸मां🌸
मां शीश झुकाता हूं,
              चरणों में बालि बालि जाता हूं।
मां की शिक्षा को,
               अमृत सा दूध पी पी जाता हूं।
उपकार हजारों हैं तेरे,
                जिसे कभी नहीं भुला सकता।
स्नेह प्रेम करुणा को,
                मैं मन से नहीं डुला सकता।
अंधकार भरे जीवन में,
                 प्रकाश मिल नहीं सकता।
बिपदओं में पड़े हो,
                  छुटकारा मिल नहीं सकता।
मां तुमने सर्वस्व दिया,
                मैं   ऋण चुका नहीं सकता।
तेरे बिछुड़ जाने पर,
                 बालक मुस्कुरा नहीं सकता।
मां की दुआ बिन,
                 जीवन सवर  नहीं   सकता।
मां की दुआएं मिल जाए,
                  कष्ट कभी हो नहीं सकता।










रचना: 
न्यायदीप पटेल कक्षा 7
पुरैना,ब्योहारी जिला
(शहडोल) मध्य प्रदेश
मो.8966093082 

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बहुत सुंदर कविता।

सुरेन्द्र कुमार पटेल ने कहा…

न्यायदीप को बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं.

रजनीश रैन ने कहा…

सच, न्यायदीप आपने तो हृदय में माँ की वत्सलता का हृदयस्पर्शी चित्र खीचा है .... इसी तरह अपनी शीतल भावनाओं को माँजते रहिर ..... धन्यवाद्

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