करमा
महारानी
दुर्गावति की महिमा
हाय रे हाय महिमा
गावत हौं यार
दुर्गावति महारानी के, महिमा गावत हौं रे-2
गढ़ महुबे मां
जन्मी दुर्गा, मंडला गढ़ मां
बिवाह- भइया...।
संग्राम शाह के
भई बहुरिया, पति हैं दलपत
शाह। महिमा....।।
दुर्गावति महारानी के, महिमा गावत हौं रे।।
पांच बरस के वीर
नारायण, एकै ठन संतान-2 भइया...।
दलपत शाह गुजर
गये तबही, गढ होइगे सुनसान।।
महिमा...।।
दुर्गावति महारानी के, महिमा गावत हौं रे।।
ताजपोशी सुत के
कराके, खुद लई सत्ता हाथ-2 रानी....।
राजकाज सब देखन
लागी, सैनिक देवैं साथ।। महिमा....।।
दुर्गावति महारानी के, महिमा गावत हौं रे।।
लावारिस
साम्राज्य जान के राजा करें विचार-2 भइया....।
मंडला गढ़ का
हड़प लेई हम, का करी इक नार।।
महिमा...।।
दुर्गावति महारानी के, महिमा गावत हौं रे।।
यही सोचकर बाज
बहादुर, मंडला में घुस आया-2 भइया.....।
तीन बार वो हमला
कीन्हा, फिर भी जीत न पाया।।
महिमा....।।
दुर्गावति महारानी के, महिमा गावत हौं रे।।
अब अकबर के मन
में आया, करें राज्य विस्तार-2 भइया....।
आसफ खां को सेना
लेकर, भेजा किले के द्वार।।
महिमा...।।
दुर्गावति महारानी के, महिमा गावत हौं रे।।
रानी के रण कौशल
देखा, मन में बहुत घबराया-2 आसफ....।
सेना लेकर भागा
आसफ, पुनः दुबारा आया।।
महिमा....।।
दुर्गावति महारानी के, महिमा गावत हौं रे।।
दूसरी लड़ाई में
भी हारा, तिसरी सोच बनाया-2 आसफ.....।
छल पूर्वक और
धोखे से, रानी को लक्ष्य बनाया-2।।महिमा....।।
दुर्गावति महारानी के, महिमा गावत हौं रे।।
लगी तीर दुई छाती
गर्दन, मूर्छित हुई इस बार-२
रानी ....।
मूर्छा टूटी समझ
गई अब, निश्चित होगी हार।।
महिमा....।।
दुर्गावति महारानी के, महिमा गावत हौं रे।।
अपने महावत से वह
बोली, मुझे मार तलवार-2 भइया.....।
ना करने पर खुद
रानी ने, छाती धंसाई कटार।।
महिमा....।।
दुर्गावति महारानी के, महिमा गावत हौं रे।।
दुर्गा थी रणचंडी
थी वो, रण में जौहर कर गई-2 रानी......।
'कुशराम' कहें वो वतन की खातिर, जां न्योछावर कर गई।। महिमा....।।
दुर्गावति महारानी के, महिमा गावत हौं रे।।
Ⓒबी एस कुशराम
प्रभारी
प्राचार्य, हाई स्कूल बड़ी तुम्मी
विकासखंड-पुष्पराजगढ़, जिला-अनूपपुर
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